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राजस्थान की 6 लोकसभा सीटों पर आए चौंकाने नतीजे, जानें - जयपुर

मोदी मैजिक का असर राजस्थान में जमकर दिखा. जहां 6 लोकसभा सीटों पर चौंकाने वाले परिणाम सामने आए हैं.

राजस्थान की 6 लोकसभा सीटों पर आए चौंकाने नताजे
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Published : May 24, 2019, 11:27 PM IST

Updated : May 25, 2019, 10:32 AM IST

जयपुर. देश में लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं, लेकिन मोदी लहर का असर क्या होता है अगर किसी को यह देखना हो तो वह राजस्थान में आए. क्योंकि राजस्थान में जिस तरीके के चुनाव परिणाम आए हैं उसके बाद हर कोई चौंक गया है.

दरअसल, इस बार राजस्थान के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा ने कुल पांच ऐसे प्रत्याशी मैदान में उतारे थे, जो विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके थे. इनमें से कांग्रेस के पीपल्दा विधायक रामनारायण मीणा को कोटा से टिकट दिया गया था. वहीं भाजपा के मंडावा से विधायक नरेंद्र को झुंझुनूं से टिकट दिया गया था. इसी तरह से दोनों पार्टियों ने तीन ऐसे प्रत्याशी भी उतारे थे जो विधानसभा चुनाव में जीत नहीं सके थे. इनमें से बायतू से विधानसभा चुनाव लड़े कैलाश चौधरी भाजपा के बाड़मेर से प्रत्याशी बने. वहीं सूरतगढ़ से कांग्रेस की टिकट पर विधानसभा चुनाव हारे सरवन कुमार को कांग्रेस ने झुंझुनूं से टिकट दिया. इसी तरह से रानीवाड़ा से विधानसभा चुनाव हारे रतन दिवासी को कांग्रेस ने जालोर से अपना प्रत्याशी बनाया, लेकिन खास बात यह रही कि जहां विधानसभा चुनाव में अपनी जमानत नहीं बचा सके कैलाश चौधरी ने मानवेंद्र सिंह जैसे मजबूत कांग्रेस के प्रत्याशी को बड़े अंतर से हराया.

वहीं झुंझुनूं से भी नरेंद्र कुमार ने जीत दर्ज की कांग्रेस की ओर से पीपल्दा विधानसभा के विधायक रामलाल मीणा ना केवल चुनाव हरे, बल्कि वह अपनी विधानसभा पीपल्दा से भी चुनाव नहीं जीत सके. इसी तरह से झुंझुनूं के कांग्रेस के प्रत्याशी अपनी सूरतगढ़ विधानसभा से भी चुनाव नहीं जीत सके. हालांकि वह विधानसभा चुनाव में भी इस सीट को नहीं बचा सके थे. कांग्रेस के तीसरे विधानसभा के प्रत्याशी जालौर के रतन देवासी थे. देवासी हालांकि विधानसभा चुनाव में तो रानीवाड़ा विधानसभा सीट से नहीं जीत सके थे, लेकिन लोकसभा चुनाव में उन्होंने इस सीट से विजय प्राप्त की. वे लोकसभा चुनाव भी हार गए

राजस्थान की 6 लोकसभा सीटों पर आए चौंकाने नताजे

लोकसभा चुनाव की कुछ रोचक बातें जिनसे हर कोई है हैरान

  1. राजस्थान की दौसा लोकसभा से महुआ से निर्दलीय विधायक ओम प्रकाश हुडला भाजपा का टिकट मांग रहे थे. वह पहले भाजपा से ही महुआ सीट से विधायक रह चुके थे, लेकिन इस बार टिकट कटने के कारण वह निर्दलीय विधानसभा का चुनाव लड़े और जीते. इस बार लोकसभा चुनाव में भी वह टिकट मांग रहे थे लेकिन भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया. ऐसे में हुडला की सीट महुआ से कांग्रेस की दौसा लोकसभा सीट की प्रत्याशी सविता मीणा जीत गईं. वहीं हुडला को लोकसभा चुनाव में जीत नहीं मिल सकी.
  2. विधानसभा चुनाव में इस बार बीटीपी को 2 सीटें मिली थी. इसका असर लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला, जब बीटीपी ने डूंगरपुर बांसवाड़ा सीट से अपना प्रत्याशी उतारा. बांसवाड़ा लोकसभा की बाकी की सीटों से तो बीटीपी का प्रत्याशी नहीं जीत सका, लेकिन बांसवाड़ा- डूंगरपुर की चौरासी विधान से बीटीपी के प्रत्याशी नहीं जीत दर्ज की. ऐसे में यह एकमात्र विधानसभा सीट है जहां कांग्रेस या भाजपा के अलावा किसी अन्य पार्टी ने जीत दर्ज की है.
  3. देवली उनियारा से कांग्रेस के विधायक हरीश मीणा अपने भाई नमो नारायण मीणा को सवाईमाधोपुर लोकसभा सीट से चुनाव नहीं जिता सके. जबकि 4 महीने पहले ही वह इस विधानसभा से चुनाव जीते हैं.
  4. विधायक मुरारी लाल मीणा ने दौसा लोकसभा से अपनी पत्नी सविता मीणा को टिकट दिलाया, लेकिन खास बात यह रही कि सविता मीणा चुनाव हार गईं. इसी सीट से मुरारीलाल मीणा विधायक हैं.
  5. राजस्थान विधान सभा चुनाव 2019 के दौरान बायतू विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी कैलाश चौधरी चुनावी मैदान में थे. इस सीट से उनकी जमानत जप्त हो गई थी. अब लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने उन्हें उन पर फिर से भरोसा जताया था. पार्टी ने उन्हें बाड़मेर से टिकट दिया था. इस बार कैलाश चौधरी बीजेपी की उम्मीदों पर सौ प्रतिशत खरा उतरे. उन्होंने बाड़मेर से 60 मतों से जीत दर्ज की.
  6. भाजपा के झुंझुनूं से सांसद बने नरेंद्र कुमार वर्तमान में मंडावा विधानसभा से विधायक भी हैं. ऐसे में इस सीट पर दोबारा विधानसभा उप चुनाव होगा.
  7. एनडीए के प्रत्याशी के तौर पर भाजपा ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल को नागौर से प्रत्याशी बनाया उन्होंने भी जीत दर्ज की. इसके साथ ही हनुमान बेनीवाल की पार्टी राजस्थान में विधानसभा चुनाव में जिन 3 सीटों पर जीत दर्ज की थी. उन तीनों सीटों में से दो में भाजपा को बढ़त मिली है तो वही खींवसर से राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल को जबरदस्त बढ़त मिली. इस तरह भाजपा के लिए बेनीवाल के साथ गठबंधन करना फायदे का सौदा साबित हुआ.

जयपुर. देश में लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं, लेकिन मोदी लहर का असर क्या होता है अगर किसी को यह देखना हो तो वह राजस्थान में आए. क्योंकि राजस्थान में जिस तरीके के चुनाव परिणाम आए हैं उसके बाद हर कोई चौंक गया है.

दरअसल, इस बार राजस्थान के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा ने कुल पांच ऐसे प्रत्याशी मैदान में उतारे थे, जो विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके थे. इनमें से कांग्रेस के पीपल्दा विधायक रामनारायण मीणा को कोटा से टिकट दिया गया था. वहीं भाजपा के मंडावा से विधायक नरेंद्र को झुंझुनूं से टिकट दिया गया था. इसी तरह से दोनों पार्टियों ने तीन ऐसे प्रत्याशी भी उतारे थे जो विधानसभा चुनाव में जीत नहीं सके थे. इनमें से बायतू से विधानसभा चुनाव लड़े कैलाश चौधरी भाजपा के बाड़मेर से प्रत्याशी बने. वहीं सूरतगढ़ से कांग्रेस की टिकट पर विधानसभा चुनाव हारे सरवन कुमार को कांग्रेस ने झुंझुनूं से टिकट दिया. इसी तरह से रानीवाड़ा से विधानसभा चुनाव हारे रतन दिवासी को कांग्रेस ने जालोर से अपना प्रत्याशी बनाया, लेकिन खास बात यह रही कि जहां विधानसभा चुनाव में अपनी जमानत नहीं बचा सके कैलाश चौधरी ने मानवेंद्र सिंह जैसे मजबूत कांग्रेस के प्रत्याशी को बड़े अंतर से हराया.

वहीं झुंझुनूं से भी नरेंद्र कुमार ने जीत दर्ज की कांग्रेस की ओर से पीपल्दा विधानसभा के विधायक रामलाल मीणा ना केवल चुनाव हरे, बल्कि वह अपनी विधानसभा पीपल्दा से भी चुनाव नहीं जीत सके. इसी तरह से झुंझुनूं के कांग्रेस के प्रत्याशी अपनी सूरतगढ़ विधानसभा से भी चुनाव नहीं जीत सके. हालांकि वह विधानसभा चुनाव में भी इस सीट को नहीं बचा सके थे. कांग्रेस के तीसरे विधानसभा के प्रत्याशी जालौर के रतन देवासी थे. देवासी हालांकि विधानसभा चुनाव में तो रानीवाड़ा विधानसभा सीट से नहीं जीत सके थे, लेकिन लोकसभा चुनाव में उन्होंने इस सीट से विजय प्राप्त की. वे लोकसभा चुनाव भी हार गए

राजस्थान की 6 लोकसभा सीटों पर आए चौंकाने नताजे

लोकसभा चुनाव की कुछ रोचक बातें जिनसे हर कोई है हैरान

  1. राजस्थान की दौसा लोकसभा से महुआ से निर्दलीय विधायक ओम प्रकाश हुडला भाजपा का टिकट मांग रहे थे. वह पहले भाजपा से ही महुआ सीट से विधायक रह चुके थे, लेकिन इस बार टिकट कटने के कारण वह निर्दलीय विधानसभा का चुनाव लड़े और जीते. इस बार लोकसभा चुनाव में भी वह टिकट मांग रहे थे लेकिन भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया. ऐसे में हुडला की सीट महुआ से कांग्रेस की दौसा लोकसभा सीट की प्रत्याशी सविता मीणा जीत गईं. वहीं हुडला को लोकसभा चुनाव में जीत नहीं मिल सकी.
  2. विधानसभा चुनाव में इस बार बीटीपी को 2 सीटें मिली थी. इसका असर लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला, जब बीटीपी ने डूंगरपुर बांसवाड़ा सीट से अपना प्रत्याशी उतारा. बांसवाड़ा लोकसभा की बाकी की सीटों से तो बीटीपी का प्रत्याशी नहीं जीत सका, लेकिन बांसवाड़ा- डूंगरपुर की चौरासी विधान से बीटीपी के प्रत्याशी नहीं जीत दर्ज की. ऐसे में यह एकमात्र विधानसभा सीट है जहां कांग्रेस या भाजपा के अलावा किसी अन्य पार्टी ने जीत दर्ज की है.
  3. देवली उनियारा से कांग्रेस के विधायक हरीश मीणा अपने भाई नमो नारायण मीणा को सवाईमाधोपुर लोकसभा सीट से चुनाव नहीं जिता सके. जबकि 4 महीने पहले ही वह इस विधानसभा से चुनाव जीते हैं.
  4. विधायक मुरारी लाल मीणा ने दौसा लोकसभा से अपनी पत्नी सविता मीणा को टिकट दिलाया, लेकिन खास बात यह रही कि सविता मीणा चुनाव हार गईं. इसी सीट से मुरारीलाल मीणा विधायक हैं.
  5. राजस्थान विधान सभा चुनाव 2019 के दौरान बायतू विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी कैलाश चौधरी चुनावी मैदान में थे. इस सीट से उनकी जमानत जप्त हो गई थी. अब लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने उन्हें उन पर फिर से भरोसा जताया था. पार्टी ने उन्हें बाड़मेर से टिकट दिया था. इस बार कैलाश चौधरी बीजेपी की उम्मीदों पर सौ प्रतिशत खरा उतरे. उन्होंने बाड़मेर से 60 मतों से जीत दर्ज की.
  6. भाजपा के झुंझुनूं से सांसद बने नरेंद्र कुमार वर्तमान में मंडावा विधानसभा से विधायक भी हैं. ऐसे में इस सीट पर दोबारा विधानसभा उप चुनाव होगा.
  7. एनडीए के प्रत्याशी के तौर पर भाजपा ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल को नागौर से प्रत्याशी बनाया उन्होंने भी जीत दर्ज की. इसके साथ ही हनुमान बेनीवाल की पार्टी राजस्थान में विधानसभा चुनाव में जिन 3 सीटों पर जीत दर्ज की थी. उन तीनों सीटों में से दो में भाजपा को बढ़त मिली है तो वही खींवसर से राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल को जबरदस्त बढ़त मिली. इस तरह भाजपा के लिए बेनीवाल के साथ गठबंधन करना फायदे का सौदा साबित हुआ.
Intro:प्रदेश में लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी के तौर पर पांच विधानसभा प्रत्याशियों जिनमें से दो वर्तमान विधायक हैं भाग्य आजमाया था लेकिन 5 में से केवल भाजपा के 2 प्रत्याशी चुनाव जीत सके कांग्रेस के तीनों हारे कांग्रेस कि 3 में से दो कैसी तो अपनी विधानसभा से भी चुनाव नहीं जीत सके


Body:देश में लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं लेकिन मोदी लहर का असर क्या होता है अगर किसी को यह देखना हो तो वह राजस्थान में आए क्योंकि राजस्थान में जिस तरीके के चुनाव परिणाम आए हैं उसके बाद हर कोई चौक गया है दरअसल इस बार राजस्थान के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा ने कुल पांच ऐसे प्रत्याशी मैदान में उतारे थे जो विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके थे इनमें से कांग्रेस के पीपल्दा विधायक रामनारायण मीणा को कोटा से टिकट दिया गया था तो वही भाजपा के मंडावा से विधायक नरेंद्र को झुंझुनू से टिकट दिया गया था इसी तरह से दोनों पार्टियों ने तीन ऐसे प्रत्याशी भी उतारे थे जो विधानसभा चुनाव में जीत नहीं सके थे इनमें से बायतु से विधानसभा चुनाव लड़े कैलाश चौधरी भाजपा के बाड़मेर से प्रत्याशी मने तो सूरतगढ़ से कांग्रेस की टिकट पर विधानसभा चुनाव हारे सरवन कुमार को कांग्रेस ने झुंझुनू से टिकट दिया तो इसी तरह से रानीवाड़ा से विधानसभा चुनाव हारे रतन दिवासी को कांग्रेस ने जालौर से अपना प्रत्याशी बनाया लेकिन खास बात यह रही कि जहां विधानसभा चुनाव में अपनी जमानत नहीं बचा सके कैलाश चौधरी ने मानवेंद्र सिंह जैसे मजबूत कांग्रेस के प्रत्याशी को बड़े अंतर से हराया तो वही झुंझुनू से भी नरेंद्र कुमार ने जीत दर्ज की कांग्रेस की ओर से पीपल्दा विधानसभा के विधायक रामलाल मीणा ना केवल चुनाव हरे बल्कि वह अपनी विधानसभा पीपल्दा से भी चुनाव नहीं जीत सके इसी तरह से झुंझुनू के कांग्रेस के प्रत्याशी अपनी सूरतगढ़ विधानसभा से भी चुनाव नहीं जीत सके हालांकि वह विधानसभा चुनाव में भी इस सीट को नहीं बचा सके थे कांग्रेस के तीसरे विधानसभा के प्रत्याशी जालौर के रतन देवासी थे रतन देवासी हालांकि विधानसभा चुनाव में तो रानीवाड़ा विधानसभा सीट से नहीं जीत सके थे लेकिन लोकसभा चुनाव में उन्होंने इस सीट से विजय प्राप्त की हालांकि वह लोकसभा चुनाव भी हार गए
लोकसभा चुनाव की कुछ रोचक बातें जिनसे हर कोई है हैरान
1. राजस्थान की दौसा लोकसभा से महुआ से निर्दलीय विधायक ओम प्रकाश हुडला भाजपा का टिकट मांग रहे थे वह पहले भाजपा से ही महुआ सीट से विधायक रह चुके थे लेकिन इस बार टिकट कटने के कारण वह निर्दलीय विधानसभा का चुनाव लड़े और जीते इस बार लोकसभा चुनाव में भी वह टिकट मांग रहे थे लेकिन भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया ऐसे में हुडला की सीट महुआ से कांग्रेस की दौसा लोकसभा सीट की प्रत्याशी सविता मीणा जीत गई लेकिन उन्हें लोकसभा चुनाव में जीत नहीं मिल सकी
2. विधानसभा चुनाव में इस बार बीटीपी को 2 सीटें मिली थी इसका असर लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला जब बीटीपी ने डूंगरपुर बांसवाड़ा सीट से अपना प्रत्याशी उतारा बांसवाड़ा लोकसभा की बाकी की सीटों से तो बीटीपी का प्रत्याशी नहीं जीत सका लेकिन बांसवाड़ा डूंगरपुर की चौरासी विधान से बीटीपी के प्रत्याशी नहीं जीत दर्ज की ऐसे में यह एकमात्र विधानसभा सीट है जहां कांग्रेस या भाजपा के अलावा किसी अन्य पार्टी ने जीत दर्ज की है
3. देवली उनियारा से कांग्रेस के विधायक हरीश मीणा अपने भाई नमो नारायण मीणा को चुनाव नहीं जीता सके जबकि 4 महीने पहले ही वह इस विधानसभा से चुनाव जीते हैं
4. दौसा विधानसभा से विधायक मुरारी लाल मीणा ने दौसा लोकसभा से अपनी पत्नी सविता मीणा को टिकट दिलाया लेकिन खास बात यह रही कि सविता मीणा दौसा विधानसभा से ही चुनाव हार गई जो उनके पति की विधानसभा थी
5. बाड़मेर के भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी विधान सभा चुनाव में बायतु विधानसभा से चुनाव लड़े थे लेकिन इस सीट से उनकी जमानत जप्त हो गई थी अब जब लोकसभा में उन्हें पार्टी ने कैंडिडेट बनाया तो उन्होंने इस सीट से करीब 60000 वोटों की जीत दर्ज की कैलाश चौधरी ने बाड़मेर की लोकसभा सीट से भी जीत दर्ज की है
6. भाजपा के झुंझुनू से सांसद बने नरेंद्र कुमार वर्तमान में मंडावा विधानसभा से विधायक भी हैं ऐसे में इस सीट पर दोबारा विधानसभा उप चुनाव होगा


Conclusion:
Last Updated : May 25, 2019, 10:32 AM IST
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