जयपुर. आगामी कुछ दिनों में लोकसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आंगनबाड़ी वर्कर्स और सहायिकाओं की बेतन वृद्धि की घोषणा की थी. वहीं अब यह घोषणा मजाक साबित होती जा रही है.
सरकार ने महिला और बाल विकास के बड़े दावे किए और योजनाओं का भी खाका तैयार किया. लेकिन देखा जाए तो धरातल पर विकास की गणित कर्मचारियों पर भारी पड़ रही है. राजस्थान में 2 लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की स्थिति बहुत दयनीय है. कार्यकर्ताओं को ना तो समय पर मानदेय मिल रहा है. वहीं पीएम मोदी ने दीवाली पर वेतन वृद्धि की बात की थी, वो भी खाते में नहीं आया.
प्रदेशभर में पिछले 3 माह से 6 माह तक का आंगनबाड़ी महिलाकर्मियों का मानदेय भुगतान नहीं किया जा रहा, जिसके कारण महिलाकर्मियों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है.
ये है मानदेय, होना चाहिए था यह
वर्तमान समय में मानदेय कर्मियों के भुगतान को देखा जाए तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को 6 हजार रुपये, सहायिकाओं को 3500 रुपए, ग्राम साथिनों को 3300 रुपए और आशा सहयोगिनियों को 2500 रुपये मिलते हैं. इसके साथ ही कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का प्रधानमंत्री सुरक्षित बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना करवाने के लिए कहा गया था.
वहीं 2017-18 के बजट में पूर्ववर्ती सरकार की ओर से कुछ राशि बीमा कार्यकर्ताओं और सरकारी सहायता देनी थी. परंतु वह भी पूरे वितीय वर्ष में शुरू नहीं हो पाई है. 250 से 500 रुपए तक कार्य प्रदर्शन पर दिए जाने थे. वह भी अभी तक लागू नहीं हुए हैं.
अखिल राजस्थान महिला बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ के अध्यक्ष छोटेलाल बुनकर ने बताया कि मानदेय को लेकर कई बार अधिकारियों से बातचीत की गई है. लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. यहां तक कि प्रधानमंत्री की घोषणा को भी दरकिनार किया गया है. प्रधानमंत्री की घोषणा का मानदेय तो दूर यहां तो कार्यकर्ताओं को भी 3-4 महीने से वेतन तक नहीं मिला है.