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Shri Laxmi Narayan Dham : देश का इकलौता मंदिर जहां गाय के गोबर से बन रही देव प्रतिमाएं, विराजेंगे ये देवी-देवता

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Published : Feb 3, 2023, 7:26 PM IST

जयपुर से 50 किलोमीटर दूर बोराज-आसलपुर में गाय के गोबर से भव्य और विशाल श्री संकल्प सिद्धा गोमय महालक्ष्मी धाम मंदिर तैयार हो रहा है. इस मंदिर में 121 फीट की महालक्ष्मी, 35 फीट के हनुमानजी और 31 फीट के गणेश जी विराजेंगे.

Shri Laxmi Narayan Dham
गाय के गोबर से बन रही देव प्रतिमाएं,
संयोजक शिवजी राम कुमावत ने क्या कहा...

जयपुर. भारतीय संस्कृति में गाय की बहुत अधिक महत्ता है. गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास माना जाता है. गाय के दुग्ध, गोमूत्र और गोबर से अनेक प्रकार की औषधियां सदियों से बनाई जा रही हैं. कई रोगों का उपचार गोउत्पाद से बनी औषधियों से हो रहा है. देश में चल रहे अभिनव प्रयोगों के बीच जयपुर से 50 किलोमीटर दूर बोराज-आसलपुर में एक विशाल मंदिर बन रहा है. इस मंदिर में खास बात यह है कि इसमें लगने वाली मूर्तियां गाय के गोबर की होंगी. मंदिर में 121 फीट की महालक्ष्मी, 35 फीट की हनुमानजी और 31 फीट की गणेश की प्रतिमाएं लगाई जाएंगी. दावा है कि यह राजस्थान ही नहीं, बल्कि देश का पहला मंदिर होगा, जहां गाय के गोबर से विशालकाय मूर्तियां लगाई जाएंगी.

गाय के गोबर की विशालकाय मूर्तियां : बोराज-आसलपुर में महालक्ष्मी का गाय के गोबर से भव्य और विशाल श्री महालक्ष्मी धाम मंदिर तैयार हो रहा है. मंदिर संयोजक शिवजी राम कुमावत बताते हैं कि भारतीय संस्कृति में गाय को सबसे ज्यादा पूज्य माना गया है. गाय के गोबर में लक्ष्मी का वास होता है. इसी को ध्यान में रख गाय के गोबर से विशालकाय मूर्तियां स्थापित की जा रही हैं. शिवजी राम बताते हैं कि गाय के संरक्षण और उसकी महत्ता को बढ़ाने के उद्देश्य से यह मंदिर तैयार किया जा रहा है. पहले चरण में फिलहाल गोबर के 35 फीट के हनुमानजी की मूर्ति और गर्भ गृह बनकर तैयार हो गया है. जिस पर 20 लाख रुपये का खर्च आया है.

पढ़ें : Special : पानी पर दौड़ रहे घोड़े, कैसे बन रहा स्ट्रक्चर और क्या है खासियत ? यहां जानिए

देश की सबसे विशाल और पहली गाय के गोबर की मूर्ति : शिवजी राम बताते हैं कि वेद-पुराणों में पढ़ा है कि गाय का गोबर किस तरह से लाभदायक होता है. गाय के गोबर से बनी वस्तुएं औषधि के रूप में काम करती हैं. इस को ध्यान में रख कर इस मंदिर का निर्माण किया जा रहा है. अगले चरण में गाय के गोबर से माता महालक्ष्मी की 121 फीट की विशाल मूर्ति बनाई जाएगी. महालक्ष्मीजी के दक्षिण भाग में भूतभावन भैरव की और पूर्वी द्वार पर गोबरिया गणेश व पिपलाद ऋषि की भी 31 फीट की गोबर की मूर्तियां शीघ्र विराजमान की जाएंगी. शिवजी राम ने दावा किया है कि ये देश का पहला मंदिर होगा, जहां गाय के गोबर से बनी मूर्तियां स्थापित होंगी.

यहां से मिली प्रेणा : शिवजी राम कुमावत ने बताया कि प्रतिमा के लिए पंडित विष्णु दत्त शर्मा की प्रेरणा से हुआ है. जिन्होंने पूर्व में भी गोबर की प्रतिमाओं से युक्त मंदिर बनाए गए हैं. चित्तौड़गढ़ में श्री निलिया महादेव गौशाला में 11 फीट के गोबर के गजानंद स्थापित किए गए हैं. प्रतिमा देखने के बाद विश्वास हुआ और उसके बाद गोबर की प्रतिमा बनाने का लक्ष्य बनाया. उन्होंने बताया कि मूर्तियां बनाने में गाय के गोबर के अलावा ईंट, चुना और कुछ सीमेंट का भी इस्तेमाल होगा. शिवराम कहते हैं कि सैकड़ों वर्ष तक सुरक्षित रहने वाली इन मूर्तियों में गोबर का वास होने से लक्ष्मी का वास भी होगा.

गोधन की होगी रक्षा : कुमावत बताते हैं कि गोबर के वैकल्पिक उपयोग प्रारंभ होने से गोधन की रक्षा हो सकेगी. गोपालकों को आय हो सके, ताकि गोवंश सुरक्षित रहें. उन्होंने कहा कि मंदिर के पास में गौशाला भी बनाई जा रही है. इन्हीं गायों के गोबर को महालक्ष्मी की मूर्ति बनाने में काम लिया जाएगा. इसके साथ आने वाले समय में गाय के दुग्ध, गोमूत्र और गोबर से अनेक प्रकार की औषधियां सहित अन्य वस्तुएं भी बनाई जाएंगी, जो गोपालकों के आय को बढ़ाने में उपयोगी होंगी. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ धार्मिक मान्यता और वास्तुनुसार पौधे लगाए जाएंगे.

संयोजक शिवजी राम कुमावत ने क्या कहा...

जयपुर. भारतीय संस्कृति में गाय की बहुत अधिक महत्ता है. गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास माना जाता है. गाय के दुग्ध, गोमूत्र और गोबर से अनेक प्रकार की औषधियां सदियों से बनाई जा रही हैं. कई रोगों का उपचार गोउत्पाद से बनी औषधियों से हो रहा है. देश में चल रहे अभिनव प्रयोगों के बीच जयपुर से 50 किलोमीटर दूर बोराज-आसलपुर में एक विशाल मंदिर बन रहा है. इस मंदिर में खास बात यह है कि इसमें लगने वाली मूर्तियां गाय के गोबर की होंगी. मंदिर में 121 फीट की महालक्ष्मी, 35 फीट की हनुमानजी और 31 फीट की गणेश की प्रतिमाएं लगाई जाएंगी. दावा है कि यह राजस्थान ही नहीं, बल्कि देश का पहला मंदिर होगा, जहां गाय के गोबर से विशालकाय मूर्तियां लगाई जाएंगी.

गाय के गोबर की विशालकाय मूर्तियां : बोराज-आसलपुर में महालक्ष्मी का गाय के गोबर से भव्य और विशाल श्री महालक्ष्मी धाम मंदिर तैयार हो रहा है. मंदिर संयोजक शिवजी राम कुमावत बताते हैं कि भारतीय संस्कृति में गाय को सबसे ज्यादा पूज्य माना गया है. गाय के गोबर में लक्ष्मी का वास होता है. इसी को ध्यान में रख गाय के गोबर से विशालकाय मूर्तियां स्थापित की जा रही हैं. शिवजी राम बताते हैं कि गाय के संरक्षण और उसकी महत्ता को बढ़ाने के उद्देश्य से यह मंदिर तैयार किया जा रहा है. पहले चरण में फिलहाल गोबर के 35 फीट के हनुमानजी की मूर्ति और गर्भ गृह बनकर तैयार हो गया है. जिस पर 20 लाख रुपये का खर्च आया है.

पढ़ें : Special : पानी पर दौड़ रहे घोड़े, कैसे बन रहा स्ट्रक्चर और क्या है खासियत ? यहां जानिए

देश की सबसे विशाल और पहली गाय के गोबर की मूर्ति : शिवजी राम बताते हैं कि वेद-पुराणों में पढ़ा है कि गाय का गोबर किस तरह से लाभदायक होता है. गाय के गोबर से बनी वस्तुएं औषधि के रूप में काम करती हैं. इस को ध्यान में रख कर इस मंदिर का निर्माण किया जा रहा है. अगले चरण में गाय के गोबर से माता महालक्ष्मी की 121 फीट की विशाल मूर्ति बनाई जाएगी. महालक्ष्मीजी के दक्षिण भाग में भूतभावन भैरव की और पूर्वी द्वार पर गोबरिया गणेश व पिपलाद ऋषि की भी 31 फीट की गोबर की मूर्तियां शीघ्र विराजमान की जाएंगी. शिवजी राम ने दावा किया है कि ये देश का पहला मंदिर होगा, जहां गाय के गोबर से बनी मूर्तियां स्थापित होंगी.

यहां से मिली प्रेणा : शिवजी राम कुमावत ने बताया कि प्रतिमा के लिए पंडित विष्णु दत्त शर्मा की प्रेरणा से हुआ है. जिन्होंने पूर्व में भी गोबर की प्रतिमाओं से युक्त मंदिर बनाए गए हैं. चित्तौड़गढ़ में श्री निलिया महादेव गौशाला में 11 फीट के गोबर के गजानंद स्थापित किए गए हैं. प्रतिमा देखने के बाद विश्वास हुआ और उसके बाद गोबर की प्रतिमा बनाने का लक्ष्य बनाया. उन्होंने बताया कि मूर्तियां बनाने में गाय के गोबर के अलावा ईंट, चुना और कुछ सीमेंट का भी इस्तेमाल होगा. शिवराम कहते हैं कि सैकड़ों वर्ष तक सुरक्षित रहने वाली इन मूर्तियों में गोबर का वास होने से लक्ष्मी का वास भी होगा.

गोधन की होगी रक्षा : कुमावत बताते हैं कि गोबर के वैकल्पिक उपयोग प्रारंभ होने से गोधन की रक्षा हो सकेगी. गोपालकों को आय हो सके, ताकि गोवंश सुरक्षित रहें. उन्होंने कहा कि मंदिर के पास में गौशाला भी बनाई जा रही है. इन्हीं गायों के गोबर को महालक्ष्मी की मूर्ति बनाने में काम लिया जाएगा. इसके साथ आने वाले समय में गाय के दुग्ध, गोमूत्र और गोबर से अनेक प्रकार की औषधियां सहित अन्य वस्तुएं भी बनाई जाएंगी, जो गोपालकों के आय को बढ़ाने में उपयोगी होंगी. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ धार्मिक मान्यता और वास्तुनुसार पौधे लगाए जाएंगे.

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