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सदन में ऐसा क्या हुआ कि धारीवाल को बताना पड़ा, 'इसी आसन से भैरोसिंह शेखावत ने मांगी थी माफी' - सिरोही से विधायक संयम लोढ़ा

राजस्थान विधानसभा में संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने सदन को बताया कि एक बार ऐसा हुआ कि भैरोसिंह शेखावत को सदन में माफी मांगनी पड़ी. जानिए ये किस्सा बताने की जरूरत क्यों पड़ी...

Shanti Dhariwal reminded Bhairon Singh Shekhawat story of apology in assembly
सदन में ऐसा क्या हुआ कि धारीवाल को बताना पड़ा, 'इसी आसन से भैरोसिंह शेखावत ने मांगी थी माफी'
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Published : Feb 14, 2023, 5:42 PM IST

जयपुर. विधानसभा में आज उस वक्त बड़ा हंगामा हो गया जब सिरोही विधायक संयम लोढ़ा को नियमित समय से ज्यादा नहीं बोलने दिया गया. लोढ़ा के साथ कोटा विधायक संदीप शर्मा ने भी अतिरिक्त समय की मांग की. लेकिन आसन पर बैठे सभापति राजेन्द्र पारीक ने इसकी अनुमति नहीं दी. इससे नाराज विधायक संदीप शर्मा वेल में आ गए. इस पर सभापति ने कहा कि बार-बार आसन को डिटेक्ट करना शोभा नहीं देता. मामला बढ़ा तो उपनेता प्रतिपक्ष ने आश्वस्त किया कि आगे से ऐसा नहीं होगा, लेकिन इस बीच संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने स्वर्गीय पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत की ओर से सदन में माफी मांगने का किस्सा बताया और कहा कि आसन सर्वोपरी होता है. उसकी गरिमा का सम्मान करना सभी सदन के सदस्यों की जिम्मेदारी है.

यूं चला घटनाक्रम: दरअसल सिरोही से विधायक संयम लोढ़ा ने स्थगन प्रस्ताव पर बोलते हुए मॉडल वाइन शॉप को लेकर सवाल उठाए. संयम लोढ़ा अपनी बात कह रहे थे कि उनका समय जो सदन की ओर से 2 मिनट निर्धारित था, वह पूरा हो गया. इस बीच सदन में अगले विधायक अशोक लाहोटी को बोलने के लिए आमंत्रित किया गया, लेकिन संयम लोढ़ा समय खत्म होने के बावजूद भी लगातार बोलते रहे.

पढ़ें: विधानसभा में संयम लोढ़ा ने ऐसा क्या कह दिया कि स्पीकर को विनय सहस्त्रबुद्धे से मांगनी पड़ी माफी

सभापति राजेंद्र पारीक ने लोढ़ा को बार-बार बैठने के लिए कहा, लेकिन इस बीच कोटा से विधायक संदीप शर्मा भी खड़े हो गए और उन्होंने इसी बात को लेकर आपत्ति दर्ज कराई कि उन्हें भी अपनी पूरी बात कहने का मौका नहीं दिया गया. संदीप शर्मा अपनी बात कहते-कहते वेल में आ गए और आसन की ओर उंगली से इशारा करते हुए कहा कि मुझे भी अपनी बात कहने का मौका नहीं दिया. इस पर सभापति ने कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि यह तरीका ठीक नहीं है कि आप आसन को बार-बार डिटेक्ट करें. आसन की अपनी गरिमा है.

भैरोसिंह शेखावत ने मांगी थी माफी: सदन को डिटेक्ट करने पर बने माहौल के बीच संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल खड़े हुए और स्वर्गीय पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत का उस वक्त का किस्सा बताया, जब वो विपक्ष में थे. धारीवाल ने कहा कि आज जो कुछ हुआ वो दुर्भाग्यपूर्ण था. इससे पहले भी इस तरह का एक मौका हो चुका है, जब तत्कालीन सभापति नरेंद्र नाथ आचार्य थे. उन्होंने भैरोसिंह शेखावत को समय से ज्यादा बोलने पर रोक दिया था. भैरोंसिंह शेखावत उस समय विपक्ष में थे. भैरोसिंह ने गुस्से में सभापति से कह दिया था कि आप कुर्सी छोड़ कर चले जाइए. इस पर मोहनलाल सुखाड़िया ने विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव रखा. लेकिन भैरोसिंह शेखावत की महानता थी कि उन्होंने तत्काल सदन के सामने अपने बोले हुए शब्दों पर माफी मांगी.

पढ़ें: भरतपुर: थाना प्रभारी पर लगा चोर को छोड़ने का आरोप, भरी पंचायत में मांगनी पड़ी माफी

धारीवाल ने कहा कि सदन की बात नहीं मानना यह हमारे लिए शर्मनाक बात है. सदस्य की बात पूरी हुई या नहीं, वह समय से ज्यादा नहीं बोल सकता. आसन का फैसला है. उसे समय से अधिक समय दे या नहीं. उसके बाद अगर सदस्य आगे बोलते जा रहे हो, तो आसन की गरिमा का क्या होगा? धारीवाल ने कहा कि उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ आप अपने प्रतिपक्ष के सदस्यों को समझाएं कि आसन को आसान ही समझें. वहां से जो आदेश है उसको चैलेंज नहीं किया जा सकता. इस पर उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ खड़े हुए और उन्होंने आश्वस्त किया कि आसन की आज्ञा और आसन को गरिमा में विपक्ष के साथी अवहेलना नहीं करेंगे.

पढ़ें: छात्र की पिटाई के बाद शिक्षक को सभी के सामने मांगनी पड़ी माफी

ये था मामला: दरअसल विधानसभा में सरकार के राजस्व को नुकसान का मामला मुख्यमंत्री के सलाहकार संयम लोढ़ा ने उठाया. लोढ़ा ने कहा कि सरकार की आबकारी नीति में मॉडल शॉप्स खोलने के प्रावधान, कमर्शियल कॉम्पलेक्स में दुकान के प्रावधान थे, लेकिन बाद में रूटीन की दुकानें खोलने पर बदल दिए गया. नियमित दुकान पर 10 करोड़ की गारंटी थी, जबकि मॉडल शॉप 16 लाख में ही खोलने की अनुमति दी. आखिर कौन है जो सरकार को राजस्व का चूना लगा रहा है.

जयपुर. विधानसभा में आज उस वक्त बड़ा हंगामा हो गया जब सिरोही विधायक संयम लोढ़ा को नियमित समय से ज्यादा नहीं बोलने दिया गया. लोढ़ा के साथ कोटा विधायक संदीप शर्मा ने भी अतिरिक्त समय की मांग की. लेकिन आसन पर बैठे सभापति राजेन्द्र पारीक ने इसकी अनुमति नहीं दी. इससे नाराज विधायक संदीप शर्मा वेल में आ गए. इस पर सभापति ने कहा कि बार-बार आसन को डिटेक्ट करना शोभा नहीं देता. मामला बढ़ा तो उपनेता प्रतिपक्ष ने आश्वस्त किया कि आगे से ऐसा नहीं होगा, लेकिन इस बीच संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने स्वर्गीय पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत की ओर से सदन में माफी मांगने का किस्सा बताया और कहा कि आसन सर्वोपरी होता है. उसकी गरिमा का सम्मान करना सभी सदन के सदस्यों की जिम्मेदारी है.

यूं चला घटनाक्रम: दरअसल सिरोही से विधायक संयम लोढ़ा ने स्थगन प्रस्ताव पर बोलते हुए मॉडल वाइन शॉप को लेकर सवाल उठाए. संयम लोढ़ा अपनी बात कह रहे थे कि उनका समय जो सदन की ओर से 2 मिनट निर्धारित था, वह पूरा हो गया. इस बीच सदन में अगले विधायक अशोक लाहोटी को बोलने के लिए आमंत्रित किया गया, लेकिन संयम लोढ़ा समय खत्म होने के बावजूद भी लगातार बोलते रहे.

पढ़ें: विधानसभा में संयम लोढ़ा ने ऐसा क्या कह दिया कि स्पीकर को विनय सहस्त्रबुद्धे से मांगनी पड़ी माफी

सभापति राजेंद्र पारीक ने लोढ़ा को बार-बार बैठने के लिए कहा, लेकिन इस बीच कोटा से विधायक संदीप शर्मा भी खड़े हो गए और उन्होंने इसी बात को लेकर आपत्ति दर्ज कराई कि उन्हें भी अपनी पूरी बात कहने का मौका नहीं दिया गया. संदीप शर्मा अपनी बात कहते-कहते वेल में आ गए और आसन की ओर उंगली से इशारा करते हुए कहा कि मुझे भी अपनी बात कहने का मौका नहीं दिया. इस पर सभापति ने कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि यह तरीका ठीक नहीं है कि आप आसन को बार-बार डिटेक्ट करें. आसन की अपनी गरिमा है.

भैरोसिंह शेखावत ने मांगी थी माफी: सदन को डिटेक्ट करने पर बने माहौल के बीच संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल खड़े हुए और स्वर्गीय पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत का उस वक्त का किस्सा बताया, जब वो विपक्ष में थे. धारीवाल ने कहा कि आज जो कुछ हुआ वो दुर्भाग्यपूर्ण था. इससे पहले भी इस तरह का एक मौका हो चुका है, जब तत्कालीन सभापति नरेंद्र नाथ आचार्य थे. उन्होंने भैरोसिंह शेखावत को समय से ज्यादा बोलने पर रोक दिया था. भैरोंसिंह शेखावत उस समय विपक्ष में थे. भैरोसिंह ने गुस्से में सभापति से कह दिया था कि आप कुर्सी छोड़ कर चले जाइए. इस पर मोहनलाल सुखाड़िया ने विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव रखा. लेकिन भैरोसिंह शेखावत की महानता थी कि उन्होंने तत्काल सदन के सामने अपने बोले हुए शब्दों पर माफी मांगी.

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धारीवाल ने कहा कि सदन की बात नहीं मानना यह हमारे लिए शर्मनाक बात है. सदस्य की बात पूरी हुई या नहीं, वह समय से ज्यादा नहीं बोल सकता. आसन का फैसला है. उसे समय से अधिक समय दे या नहीं. उसके बाद अगर सदस्य आगे बोलते जा रहे हो, तो आसन की गरिमा का क्या होगा? धारीवाल ने कहा कि उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ आप अपने प्रतिपक्ष के सदस्यों को समझाएं कि आसन को आसान ही समझें. वहां से जो आदेश है उसको चैलेंज नहीं किया जा सकता. इस पर उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ खड़े हुए और उन्होंने आश्वस्त किया कि आसन की आज्ञा और आसन को गरिमा में विपक्ष के साथी अवहेलना नहीं करेंगे.

पढ़ें: छात्र की पिटाई के बाद शिक्षक को सभी के सामने मांगनी पड़ी माफी

ये था मामला: दरअसल विधानसभा में सरकार के राजस्व को नुकसान का मामला मुख्यमंत्री के सलाहकार संयम लोढ़ा ने उठाया. लोढ़ा ने कहा कि सरकार की आबकारी नीति में मॉडल शॉप्स खोलने के प्रावधान, कमर्शियल कॉम्पलेक्स में दुकान के प्रावधान थे, लेकिन बाद में रूटीन की दुकानें खोलने पर बदल दिए गया. नियमित दुकान पर 10 करोड़ की गारंटी थी, जबकि मॉडल शॉप 16 लाख में ही खोलने की अनुमति दी. आखिर कौन है जो सरकार को राजस्व का चूना लगा रहा है.

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