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Sanjivani Scam : मैंने कभी जमानत नहीं ली, जमानत तो अब CM गहलोत को लेनी पड़ेगी - गजेंद्र सिंह शेखावत

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Published : Aug 20, 2023, 10:18 PM IST

Sanjivani Credit Society, संजीवनी प्रकरण में मुल्जिम बताने पर केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री शेखावत ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि मेरी तीन पीढ़ियों तक का संजीवनी प्रकरण से कोई लेना-देना नहीं हैं. मैंने कभी जमानत नहीं ली, लेकि जमानत तो अब सीएम गहलोत को लेनी पड़ेगी.

Gajendra Singh Shekhawat Alleged CM Gehlot
केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत
गजेंद्र सिंह का बड़ा बयान

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा संजीवनी प्रकरण में मुल्जिम बताने के आरोप पर केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने रविवार को जोरदार पलटवार किया. उन्होंने कहा कि संजीवनी प्रकरण में एसओजी द्वारा पेश किसी भी चार्जशीट में उनका नाम नहीं है और न ही उन्होंने इस केस में कभी जमानत की अर्जी लगाई, बल्कि केस रद्द करने की अर्जी लगाई थी, जिस पर कोर्ट ने मेरी बात से सहमत होते हुए प्रसंज्ञान लिया है. शेखावत ने जोर देकर कहा कि जमानत तो अब मानहानि प्रकरण में मुख्यमंत्री गहलोत को लेनी पड़ेगी.

भाजपा कार्यालय में रविवार को पत्रकारों से बातचीत में शेखावत ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री जी यह मानते हैं कि उन्होंने मानहानि नहीं की तो कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है. इसका रोना रोने की आवश्यकता नहीं थी. गहलोत जी को जबरदस्ती अपने आपको विक्टिम बताने और सहानुभूति लेने की आवश्यकता नहीं थी. जैसे मैं डंके की चोट कहता हूं कि मैंने पाप नहीं किया है, मेरा संजीवनी से कोई लेना-देना नहीं है. मैं और मेरे परिवार की तीन पीढ़ियों का कोई भी सदस्य संजीवनी में न डायरेक्टर है और न ही एम्प्लोयी है, न मैनेजर, न डिपोजिटर है और न रेजर है.

पढ़ें : Gehlot on Shekhawat: SOG की जांच में प्रामाणित हुआ है जुर्म, 2 साल में 5 बार ईडी को लिखा पत्र

मुख्यमंत्री जी भी हौसले के साथ ये बात कहें तो सही कि मैंने मानहानि नहीं की. उन्होंने कहा कि एसओजी की जांच में मैं मुल्जिम हूं. मैं मीडिया के माध्यम से एक बार उनसे पूछना चाहता हूं कि किस समय और कितने बजे मेरा नाम केस डायरी में अभियुक्त के रूप में रजिस्टर किया. यदि मेरा नाम जोड़ा तो वो मानहानि केस दायर करने के बाद जोड़ा है, क्योंकि उन्होंने (गहलोत ने) कहा कि एसओजी ने प्रारंभ से ही उन्हें दोषी माना है. यदि ऐसा है तो चार-चार चार्जशीट पेश कर दी गईं, उसमें मेरा नाम क्यों नहीं है ?

गहलोत साहब खुद फंस गए : शेखावत ने कहा कि कोई कितनी भी कालिख उछाले, कुछ छींटें तो उसके ऊपर भी गिरते हैं. कालिख उछालने के इस केस में गहलोत साहब इस बार खुद फंसे, इसलिए वे अपने आपको विक्टिम बताकर सहानुभूति अर्जित करना चाहते हैं.

मैं केस रद्द कराने कोर्ट गया था : केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने मुख्यमंत्री गहलोत के इस आरोप को भी गलत बताया कि उन्होंने संजीवनी प्रकरण में जमानत ली है. केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि गहलोत साहब को कानून को समझने की जरूरत है या उनके सलाहकार उन्हें गुमराह कर रहे हैं. मैं जमानत की एप्लीकेशन लेकर अदालन गया ही नहीं, मुख्यमंत्री बिना वजह बार-बार एक ही राग अलाप रहे थे और मुझे दोषी बनाने पर तुले हुए थे. यह समझा जा सकता है कि यदि सरकार का मुखिया और गृहमंत्री की इच्छा ही पुलिस के लिए आदेश है तो ऐसे में पुलिस किसी को भी अपराधी बना सकती है. इसलिए मैंने कोर्ट में कहा है कि यह झूठी इन्वेस्टिगेशन मेरे खिलाफ दर्ज है. इसे निरस्त करें. अदालत ने इस संज्ञान लिया. मुझे इम्युनिटी प्रदान की. सरकार उल्टा काम कर सकती है. यह कोर्ट ने भी माना. शेखावत ने कहा कि जमानत तो अब गहलोत साहब को दिल्ली की अदालत में जाकर भरनी पड़ेगी. इसलिए यह पट्टियां पैरों में बांधी हैं.

षड्यंत्र की कोई कसर नहीं छोड़ी : शेखावत ने कहा कि अपने बेटे की हार की खीज उतारने में उन्होंने कितने षड्यंत्र किए. कोई कसर नहीं छोड़ी. वे कहते हैं कि अगर मैं चाहता तो बंद करा देता. मैं कहना चाहता हूं कि आपके चाहने में कोई कमी थी, कितनी बार स्टेटमेंट दिए. यदि मेरे खिलाफ थोड़ा सा भी कोई सूत्र मिल जाता तो शायद आपकी मंशा आप कब की पूरी कर चुके होते, लेकिन ऐसा कुछ मेरे खिलाफ कुछ मिला ही नहीं.

सीएम की लोकतंत्र से आस्था खत्म : शेखावत ने कहा कि मुझे लगता है कि लोकतंत्र में सीएम की आस्था खत्म हो गई. आप बार-बार पीएम की यात्रा का उल्लेख करते हो, जबकि वो आपके यहां आकर हजारों करोड़ रुपए की सौगात दे रहे हैं. आपके प्रदेश के लोगों को कुछ मिल रहा है. आपको इसमें डर किस बात का है. आपके दिल की धड़कनें क्यों बढ़ रही हैं ? विकास से डर लगता है, क्योंकि विनाश करने वाले गहलोत साहब को राजस्थान की जनता ने उखाड़ फेंकने का मानस बनाया है. यह उनका भय है. यह भय ही उनको अनर्गल वक्तव्य देने पर मजबूर करता है.

सरकार बचाने की कीमत जनता ने चुकाई : केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि गहलोत सरकार बचने की कीमत प्रदेश की जनता ने चुकाई है. जब से उनकी सरकार बची है, उनके विधायक बेलगाम हो गए. भ्रष्टाचार बढ़ गया. राजस्थान की जनता को लूटा गया. जहां हाथ डालो वहीं भ्रष्टाचार है. अभी अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना को ही ले लीजिए. इसमें न गुणवत्ता है और न ही पूरी मात्रा. गहलोत राजनीतिक लाभ के लिए योजनाएं बनाकर उनमें भ्रष्टाचार कर रहे हैं.

देश के खिलाफ कोई आंख उठाकर नहीं देख सकता : राहुल गांधी द्वारा लद्दाख में चीनी सेना घुसने और भारत की भूमि पर कब्जा करने की बात पर शेखावत ने कहा कि राहुल गांधी को पहले यह जान लेना चाहिए कि उनके नाना, दादी और पिता के जमाने में कितने जमीन गई थी. उसमें से कितनी वापस आई. राहुल गांधी को देश और खुद गहलोत भी सीरियसली नहीं लेते. यह मोदी का भारत है. यहां कोई भारत की जमीन कब्जाना तो दूर आंख उठाकर भी नहीं देख सकता.

गजेंद्र सिंह का बड़ा बयान

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा संजीवनी प्रकरण में मुल्जिम बताने के आरोप पर केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने रविवार को जोरदार पलटवार किया. उन्होंने कहा कि संजीवनी प्रकरण में एसओजी द्वारा पेश किसी भी चार्जशीट में उनका नाम नहीं है और न ही उन्होंने इस केस में कभी जमानत की अर्जी लगाई, बल्कि केस रद्द करने की अर्जी लगाई थी, जिस पर कोर्ट ने मेरी बात से सहमत होते हुए प्रसंज्ञान लिया है. शेखावत ने जोर देकर कहा कि जमानत तो अब मानहानि प्रकरण में मुख्यमंत्री गहलोत को लेनी पड़ेगी.

भाजपा कार्यालय में रविवार को पत्रकारों से बातचीत में शेखावत ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री जी यह मानते हैं कि उन्होंने मानहानि नहीं की तो कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है. इसका रोना रोने की आवश्यकता नहीं थी. गहलोत जी को जबरदस्ती अपने आपको विक्टिम बताने और सहानुभूति लेने की आवश्यकता नहीं थी. जैसे मैं डंके की चोट कहता हूं कि मैंने पाप नहीं किया है, मेरा संजीवनी से कोई लेना-देना नहीं है. मैं और मेरे परिवार की तीन पीढ़ियों का कोई भी सदस्य संजीवनी में न डायरेक्टर है और न ही एम्प्लोयी है, न मैनेजर, न डिपोजिटर है और न रेजर है.

पढ़ें : Gehlot on Shekhawat: SOG की जांच में प्रामाणित हुआ है जुर्म, 2 साल में 5 बार ईडी को लिखा पत्र

मुख्यमंत्री जी भी हौसले के साथ ये बात कहें तो सही कि मैंने मानहानि नहीं की. उन्होंने कहा कि एसओजी की जांच में मैं मुल्जिम हूं. मैं मीडिया के माध्यम से एक बार उनसे पूछना चाहता हूं कि किस समय और कितने बजे मेरा नाम केस डायरी में अभियुक्त के रूप में रजिस्टर किया. यदि मेरा नाम जोड़ा तो वो मानहानि केस दायर करने के बाद जोड़ा है, क्योंकि उन्होंने (गहलोत ने) कहा कि एसओजी ने प्रारंभ से ही उन्हें दोषी माना है. यदि ऐसा है तो चार-चार चार्जशीट पेश कर दी गईं, उसमें मेरा नाम क्यों नहीं है ?

गहलोत साहब खुद फंस गए : शेखावत ने कहा कि कोई कितनी भी कालिख उछाले, कुछ छींटें तो उसके ऊपर भी गिरते हैं. कालिख उछालने के इस केस में गहलोत साहब इस बार खुद फंसे, इसलिए वे अपने आपको विक्टिम बताकर सहानुभूति अर्जित करना चाहते हैं.

मैं केस रद्द कराने कोर्ट गया था : केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने मुख्यमंत्री गहलोत के इस आरोप को भी गलत बताया कि उन्होंने संजीवनी प्रकरण में जमानत ली है. केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि गहलोत साहब को कानून को समझने की जरूरत है या उनके सलाहकार उन्हें गुमराह कर रहे हैं. मैं जमानत की एप्लीकेशन लेकर अदालन गया ही नहीं, मुख्यमंत्री बिना वजह बार-बार एक ही राग अलाप रहे थे और मुझे दोषी बनाने पर तुले हुए थे. यह समझा जा सकता है कि यदि सरकार का मुखिया और गृहमंत्री की इच्छा ही पुलिस के लिए आदेश है तो ऐसे में पुलिस किसी को भी अपराधी बना सकती है. इसलिए मैंने कोर्ट में कहा है कि यह झूठी इन्वेस्टिगेशन मेरे खिलाफ दर्ज है. इसे निरस्त करें. अदालत ने इस संज्ञान लिया. मुझे इम्युनिटी प्रदान की. सरकार उल्टा काम कर सकती है. यह कोर्ट ने भी माना. शेखावत ने कहा कि जमानत तो अब गहलोत साहब को दिल्ली की अदालत में जाकर भरनी पड़ेगी. इसलिए यह पट्टियां पैरों में बांधी हैं.

षड्यंत्र की कोई कसर नहीं छोड़ी : शेखावत ने कहा कि अपने बेटे की हार की खीज उतारने में उन्होंने कितने षड्यंत्र किए. कोई कसर नहीं छोड़ी. वे कहते हैं कि अगर मैं चाहता तो बंद करा देता. मैं कहना चाहता हूं कि आपके चाहने में कोई कमी थी, कितनी बार स्टेटमेंट दिए. यदि मेरे खिलाफ थोड़ा सा भी कोई सूत्र मिल जाता तो शायद आपकी मंशा आप कब की पूरी कर चुके होते, लेकिन ऐसा कुछ मेरे खिलाफ कुछ मिला ही नहीं.

सीएम की लोकतंत्र से आस्था खत्म : शेखावत ने कहा कि मुझे लगता है कि लोकतंत्र में सीएम की आस्था खत्म हो गई. आप बार-बार पीएम की यात्रा का उल्लेख करते हो, जबकि वो आपके यहां आकर हजारों करोड़ रुपए की सौगात दे रहे हैं. आपके प्रदेश के लोगों को कुछ मिल रहा है. आपको इसमें डर किस बात का है. आपके दिल की धड़कनें क्यों बढ़ रही हैं ? विकास से डर लगता है, क्योंकि विनाश करने वाले गहलोत साहब को राजस्थान की जनता ने उखाड़ फेंकने का मानस बनाया है. यह उनका भय है. यह भय ही उनको अनर्गल वक्तव्य देने पर मजबूर करता है.

सरकार बचाने की कीमत जनता ने चुकाई : केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि गहलोत सरकार बचने की कीमत प्रदेश की जनता ने चुकाई है. जब से उनकी सरकार बची है, उनके विधायक बेलगाम हो गए. भ्रष्टाचार बढ़ गया. राजस्थान की जनता को लूटा गया. जहां हाथ डालो वहीं भ्रष्टाचार है. अभी अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना को ही ले लीजिए. इसमें न गुणवत्ता है और न ही पूरी मात्रा. गहलोत राजनीतिक लाभ के लिए योजनाएं बनाकर उनमें भ्रष्टाचार कर रहे हैं.

देश के खिलाफ कोई आंख उठाकर नहीं देख सकता : राहुल गांधी द्वारा लद्दाख में चीनी सेना घुसने और भारत की भूमि पर कब्जा करने की बात पर शेखावत ने कहा कि राहुल गांधी को पहले यह जान लेना चाहिए कि उनके नाना, दादी और पिता के जमाने में कितने जमीन गई थी. उसमें से कितनी वापस आई. राहुल गांधी को देश और खुद गहलोत भी सीरियसली नहीं लेते. यह मोदी का भारत है. यहां कोई भारत की जमीन कब्जाना तो दूर आंख उठाकर भी नहीं देख सकता.

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