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मुनि सुज्ञेय सागर के देवलोक गमन पर उनके गुरु ने कही ये बड़ी बात

झारखंड में जैन तीर्थ सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने के विरोध के बीच (Sammed Shikhar Controversy) मंगलवार सुबह जयपुर में मुनि सुज्ञेय सागर ने अपने प्राण त्याग दिए. इस बीच मुनि सुज्ञेय सागर के गुरु संघी जी दिगम्बर जैन मंदिर में विराजमान आचार्य सुनील सागर महाराज का बड़ा बयान सामने आया है.

Sugyeyasagar Maharaj Samadhi Maran
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Published : Jan 3, 2023, 9:23 PM IST

किसने क्या कहा, सुनिए...

जयपुर. आचार्य सुनील सागर महाराज ने मंगलवार को जयपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि मुनि सुज्ञेय सागर आत्म साधना कर रहे थे. उनका सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने के आंदोलन से सीधा जुड़ाव नहीं था. मुनि सुज्ञेय सागर आचार्य सुनील सागर के ही शिष्य थे. आचार्य सुनील सागर ने बताया कि मुनि सुज्ञेय सागर मध्यम सिंहनिष्क्रिड़ित व्रत कर रहे थे. वो कठिन साधना होती है. इसमें एक आहार करते हैं, उसके बाद एक उपवास करते हैं. फिर एक आहार करते हैं, दो उपवास करते हैं. फिर एक आहार करते हैं, तीन उपवास करते हैं. ये क्रम एक आहार नौ उपवास तक चलता हैं. इसमें जल भी नहीं लिया जाता.

मुनि सुज्ञेय सागर की इस तरह की साधना चल रही थी. वो चढ़ते उपवास पूरे कर चुके थे, जिसके चलते उनका शरीर जर्जर हो रहा था. इसी दौरान सम्मेद शिखर का मामला भी सामने आ गया, जो भावात्मक विषय था. इसे भी उन्होंने साधना से जोड़ दिया कि जब तक सम्मेद शिखरजी का मसला हल नहीं होता, तब तक अन्न आदि का उपयोग नहीं करेंगे. उनसे कहा भी गया था कि अगर समाधि हो गई, तो उनका जवाब था कि तपस्या और तीर्थ की सेवा में समाधि हो भी गई तो कोई दिक्कत की बात नहीं. उनके भाव जुड़े हुए थे कि तीर्थंकर और निर्वाण भूमि की पवित्रता बनी रहे.

पढ़ें : सम्मेद शिखर को बचाने के लिए अनशन पर बैठे जैन मुनि सुज्ञेयसागर ने त्यागे प्राण

ये सुनिश्चित हो जाए कि सम्मेद शिखर जैनियों का पवित्र तीर्थ स्थल है. उसकी 18 हजार एकड़ भूमि और उसके आसपास 5 किलोमीटर क्षेत्र में मांस, मछली, शराब और भारतीय संस्कृति में जो गलत चीजें मानी जाती है, उसे निषेध कर दिया जाए. इस बात को पीएम मोदी और झारखंड सरकार तक पहुंचाएं. जो मिसअंडरस्टैंडिंग हो रही है, वो न हो. उन्होंने कहा कि लगता है केंद्र सरकार तक अभी बात पहुंची नहीं है. इसके लिए एक टीम गठित होनी चाहिए. जो स्पष्ट रूप से अपनी बात रख सकें. अगर उनसे सीधी बात हो जाए तो इसका रास्ता मिनटों में निकल जाएगा.

उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उनकी तपस्या आत्म साधना के लिए थी, उनका आंदोलन से सीधा जुड़ाव नहीं था. जब भावात्मक घटनाएं होने लगी, तब उन्होंने खाने की चीजों का त्याग कर दिया था. उनकी साधना ऐसे स्तर की चल रही थी, जिसे बहुत लोग (Sammed Shikharji) पार नहीं कर पाते हैं. उपवास के बाद एक दिन भोजन लेना था, उसमें भी उन्होंने अन्न त्याग दिया और फिर निर्जल 9 उपवास करने थे. ऐसे स्थिति में कैसे टिक सकते थे.

उधर, अखिल भारतीय दिगम्बर जैन युवा एकता संघ राष्ट्रीय अध्यक्ष अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि सम्मेद शिखर जैन धर्म और जैन समाज की आस्था का मुख्य केंद्र है. इस तीर्थ स्थल का बहुत बड़ा इतिहास है. इस पवित्र पर्वत से 20 तीर्थंकर भगवानों ने अपने त्याग और तप से मोक्ष के सुख को प्राप्त किया, साथ ही करोड़ों मुनियों ने इस पर्वत की वंदना कर त्याग-तप और साधना कर समाधी मरण के सुख को प्राप्त किया. इसके अलावा पूरे विश्वभर से हर वर्ष लाखों की संख्या में जैन श्रद्धालुओं इस पवित्र पर्वत की वंदना करते है. ऐसे में अगर झारखंड सरकार और केंद्र सरकार जैन समाज की आस्था से खिलवाड़ कर पवित्र पर्वत की पवित्रता को नष्ट कर इसे पर्यटक स्थल बना देगी तो इस क्षेत्र से धर्म पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा.

यह पवित्र पर्वत मांस-मदिरा का केंद्र बनकर रह जाएगा, जिसे जैन समाज (Jains protest over Shri Sammed Shikharji) बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि जैन समाज अहिंसक समाज है. सदैव अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए सभी धर्मों का सम्मान किया है. लेकिन मुनि सुज्ञेय सागर महाराज ने जो बलिदान दिया है उसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है. उन्होंने केंद्र और झारखंड सरकार को खुली चेतावनी देते हुए कहा कि जल्द से जल्द सम्मेद शिखर तीर्थ को 'जैन तीर्थ स्थल' घोषित करे. अन्यथा पूरे जैन समाज को मुनि सुज्ञेय सागर महाराज के मार्ग पर चलते हुए आमरण अनशन पर बैठना होगा.

वहीं, भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि 24 में से 20 तीर्थंकरों (सर्वोच्च जैन गुरुओं) से संबंधित और 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ जी के निर्वाण प्राप्ति स्थल श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटक स्थल घोषित कर केंद्र की बीजेपी सरकार जैन समाज की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है. तीर्थ स्थल को बचाने के लिये 9 दिन से आमरण अनशन कर रहे जैन मुनि सुज्ञेय सागर के बलिदान को वो व्यर्थ नहीं जाने देंगे. भाजपा सरकार 15 दिन के अंदर इस पवित्र स्थल की पूर्व स्थिति बहाल कर तीर्थ स्थल घोषित करे. अन्यथा एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन किया जाएगा, जो सरकार की जड़ें हिला देगा.

किसने क्या कहा, सुनिए...

जयपुर. आचार्य सुनील सागर महाराज ने मंगलवार को जयपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि मुनि सुज्ञेय सागर आत्म साधना कर रहे थे. उनका सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने के आंदोलन से सीधा जुड़ाव नहीं था. मुनि सुज्ञेय सागर आचार्य सुनील सागर के ही शिष्य थे. आचार्य सुनील सागर ने बताया कि मुनि सुज्ञेय सागर मध्यम सिंहनिष्क्रिड़ित व्रत कर रहे थे. वो कठिन साधना होती है. इसमें एक आहार करते हैं, उसके बाद एक उपवास करते हैं. फिर एक आहार करते हैं, दो उपवास करते हैं. फिर एक आहार करते हैं, तीन उपवास करते हैं. ये क्रम एक आहार नौ उपवास तक चलता हैं. इसमें जल भी नहीं लिया जाता.

मुनि सुज्ञेय सागर की इस तरह की साधना चल रही थी. वो चढ़ते उपवास पूरे कर चुके थे, जिसके चलते उनका शरीर जर्जर हो रहा था. इसी दौरान सम्मेद शिखर का मामला भी सामने आ गया, जो भावात्मक विषय था. इसे भी उन्होंने साधना से जोड़ दिया कि जब तक सम्मेद शिखरजी का मसला हल नहीं होता, तब तक अन्न आदि का उपयोग नहीं करेंगे. उनसे कहा भी गया था कि अगर समाधि हो गई, तो उनका जवाब था कि तपस्या और तीर्थ की सेवा में समाधि हो भी गई तो कोई दिक्कत की बात नहीं. उनके भाव जुड़े हुए थे कि तीर्थंकर और निर्वाण भूमि की पवित्रता बनी रहे.

पढ़ें : सम्मेद शिखर को बचाने के लिए अनशन पर बैठे जैन मुनि सुज्ञेयसागर ने त्यागे प्राण

ये सुनिश्चित हो जाए कि सम्मेद शिखर जैनियों का पवित्र तीर्थ स्थल है. उसकी 18 हजार एकड़ भूमि और उसके आसपास 5 किलोमीटर क्षेत्र में मांस, मछली, शराब और भारतीय संस्कृति में जो गलत चीजें मानी जाती है, उसे निषेध कर दिया जाए. इस बात को पीएम मोदी और झारखंड सरकार तक पहुंचाएं. जो मिसअंडरस्टैंडिंग हो रही है, वो न हो. उन्होंने कहा कि लगता है केंद्र सरकार तक अभी बात पहुंची नहीं है. इसके लिए एक टीम गठित होनी चाहिए. जो स्पष्ट रूप से अपनी बात रख सकें. अगर उनसे सीधी बात हो जाए तो इसका रास्ता मिनटों में निकल जाएगा.

उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उनकी तपस्या आत्म साधना के लिए थी, उनका आंदोलन से सीधा जुड़ाव नहीं था. जब भावात्मक घटनाएं होने लगी, तब उन्होंने खाने की चीजों का त्याग कर दिया था. उनकी साधना ऐसे स्तर की चल रही थी, जिसे बहुत लोग (Sammed Shikharji) पार नहीं कर पाते हैं. उपवास के बाद एक दिन भोजन लेना था, उसमें भी उन्होंने अन्न त्याग दिया और फिर निर्जल 9 उपवास करने थे. ऐसे स्थिति में कैसे टिक सकते थे.

उधर, अखिल भारतीय दिगम्बर जैन युवा एकता संघ राष्ट्रीय अध्यक्ष अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि सम्मेद शिखर जैन धर्म और जैन समाज की आस्था का मुख्य केंद्र है. इस तीर्थ स्थल का बहुत बड़ा इतिहास है. इस पवित्र पर्वत से 20 तीर्थंकर भगवानों ने अपने त्याग और तप से मोक्ष के सुख को प्राप्त किया, साथ ही करोड़ों मुनियों ने इस पर्वत की वंदना कर त्याग-तप और साधना कर समाधी मरण के सुख को प्राप्त किया. इसके अलावा पूरे विश्वभर से हर वर्ष लाखों की संख्या में जैन श्रद्धालुओं इस पवित्र पर्वत की वंदना करते है. ऐसे में अगर झारखंड सरकार और केंद्र सरकार जैन समाज की आस्था से खिलवाड़ कर पवित्र पर्वत की पवित्रता को नष्ट कर इसे पर्यटक स्थल बना देगी तो इस क्षेत्र से धर्म पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा.

यह पवित्र पर्वत मांस-मदिरा का केंद्र बनकर रह जाएगा, जिसे जैन समाज (Jains protest over Shri Sammed Shikharji) बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि जैन समाज अहिंसक समाज है. सदैव अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए सभी धर्मों का सम्मान किया है. लेकिन मुनि सुज्ञेय सागर महाराज ने जो बलिदान दिया है उसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है. उन्होंने केंद्र और झारखंड सरकार को खुली चेतावनी देते हुए कहा कि जल्द से जल्द सम्मेद शिखर तीर्थ को 'जैन तीर्थ स्थल' घोषित करे. अन्यथा पूरे जैन समाज को मुनि सुज्ञेय सागर महाराज के मार्ग पर चलते हुए आमरण अनशन पर बैठना होगा.

वहीं, भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि 24 में से 20 तीर्थंकरों (सर्वोच्च जैन गुरुओं) से संबंधित और 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ जी के निर्वाण प्राप्ति स्थल श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटक स्थल घोषित कर केंद्र की बीजेपी सरकार जैन समाज की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है. तीर्थ स्थल को बचाने के लिये 9 दिन से आमरण अनशन कर रहे जैन मुनि सुज्ञेय सागर के बलिदान को वो व्यर्थ नहीं जाने देंगे. भाजपा सरकार 15 दिन के अंदर इस पवित्र स्थल की पूर्व स्थिति बहाल कर तीर्थ स्थल घोषित करे. अन्यथा एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन किया जाएगा, जो सरकार की जड़ें हिला देगा.

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