जयपुर. राजधानी जयपुर और नागौर जिले के नमक कारोबारियों पर इस साल हो रही बेमौसम बरसात कहर बरपा रही है. पश्चिमी विक्षोभ के कारण सांभर झील से सटे इलाकों के अलावा डीडवाना झील में भी नमक उत्पादन करने वाले कारोबारियों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. मानसून में क्यारियों में पानी भरने से करीब 4 महीने तक नमक का कारोबार नहीं होता है. ऐसे में अप्रैल, मई और जून के महीने में नमक उत्पादन से व्यापारियों को बड़ी उम्मीदें होती हैं. हालांकि इस साल हुई बरसात में इन व्यापारियों के अरमानों पर पानी फेर दिया है.
नमक उत्पादन में गिरावट : राजस्थान में नमक उत्पादन के लिहाज से गर्मियों का मौसम मुफीद माना जाता है, पर इस साल आई बरसात के बाद नमक उत्पादनकर्ता भारी नुकसान में हैं. भारत की दूसरी सबसे बड़ी खारे पानी के झील सांभर में हर साल अप्रैल, मई और जून के महीने में लाखों टन नमक का उत्पादन होता है. इस साल लगातार हो रही बरसात से झील में बनी नमक की क्यारियों में पानी सूखने की जगह और अधिक हो गया, जिसके कारण व्यापारियों का नुकसान हो रहा है.
व्यापारियों को भारी नुकसान : नमक व्यापार मंडल अध्यक्ष मुरली स्नेही ने बताया कि सांभर झील के 32 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हजारों नमक की क्यारियां बनी हुई हैं. प्रत्येक नमक की क्यारी से करीब 10 से 15 हजार रुपए के नमक का उत्पादन होता है. ऐसे में 10-12 क्यारियों के भरोसे व्यापार करने वाले छोटे और मझले कारोबारी तो इस दफा नुकसान से उबर भी नहीं सकेंगे.
नमक उत्पादन में कमी : दूसरी ओर व्यापारियों का कहना है कि बरसात के साथ आए तूफान की वजह से झील क्षेत्र में सौर ऊर्जा के प्लांट उड़ गए और बिजली के पोल भी गिर गए. ऐसे में झील से निकाले गए नमक की प्रोसेसिंग भी नहीं हो सकी है. कारोबार पूरी तरह से ठप हो गया है. नमक उत्पादनकर्ता कालूराम ने बताया कि इस बार रुक-रुक कर हो रही बरसात और गर्मी कम पड़ने से नमक उत्पादन में भारी कमी आई है. उन्होंने पिछले दिनों आए तूफान से नुकसान का दावा करते हुए लेकर सरकार से मुआवजे की मांग भी की है.
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नागौर में भी 3 गुना नुकसान : नागौर जिले में तूफान-बारिश के बाद डीडवाना की नमक झील में भी पानी भर गया है. ऐसे में माना जा रहा है कि नमक उत्पादन पर यहां भी 1 महीने का ब्रेक लग गया है. आमतौर पर गर्मियों के मौसम में क्यारियों में पानी डालने के बाद 10 से 15 दिन में नमक की परत जम जाती है, जिसे 5 दिन की प्रोसेसिंग के बाद तैयार कर लिया जाता है. इस बार बीते डेढ़ महीने से मौसम की मार झेल रहे कारोबार पर इसका भारी असर पड़ता नजर आया है. व्यापारियों का दावा है कि बेमौसम बरसात से उन्हें 3 गुना नुकसान हुआ है.