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पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर पीएम मोदी के बयान को लेकर RU के शिक्षकों ने जताया विरोध

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर पीएम मोदी की टिप्पणी के बाद सियासी संग्राम छिड़ गया है. एक तरफ सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी दलों के बीच इसको लेकर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है. वहीं आरयू के शिक्षकों ने भी इस बयान को लेकर कड़ा विरोध जताया है.

राजस्थान विश्वविद्यालय के शिक्षक
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Published : May 10, 2019, 10:34 PM IST

जयपुर. पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर की गई टिप्पणी को लेकर जहां सभी राजनीतिक दलों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. वहीं राजस्थान विश्विद्यालय के प्रोफसर भी खुलकर सामने आ गए.

पीएम मोदी के बयान को लेकर RU के शिक्षकों ने जताया विरोध

बता दें कि कुछ दिन पहले ही यूनिवर्सिटी की रैंकिंग में गिरावट आई थी. उस पर कोई भी शिक्षक खुलकर सामने नहीं आया था. लेकिन राजनीतिक मुद्दों पर शिक्षक खुलकर सामने आते रहे हैं.

दरअसल, शुक्रवार को राजस्थान विश्वविद्यालय में कांग्रेस विचारधारा के 200 शिक्षकों ने हस्ताक्षर कर राष्ट्रपति को पत्र भेजा. इस दौरान शिक्षकों ने कहा कि इस प्रकार के बयान से इस महान राष्ट्र के करोड़ों लोगों को आघात लगा है. उन सभी को इस बात को लेकर आत्मग्लानि है कि राजनीतिक विमर्श कितना गिर चुका है.

आरयू के शिक्षक एमएल शर्मा ने कहा कि इसको लेकर शिक्षकों में गहरा रोष है. सभी शिक्षकों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर मांग की है कि आगे से कोई भी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति किसी के लिए इस तरह की भाषा का इस्तेमाल न करें.

प्रोफेसर जेपी यादव ने कहा कि भारत सहित विश्व के किसी भी देश के धर्म ग्रंथों में भी मृत आत्मा की निंदा की जाए. इस बात को सही नहीं ठहराया गया है. लेकिन भारत के प्रधानमंत्री चुनाव जीतने के लिए जिस तरीके से सालों पहले देश के लिए जान गंवा देने वाले प्रधानमंत्री राजीव गांधी के लिए इस तरह के बयान की भाषा का इस्तेमाल किया गया है.

जयपुर. पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर की गई टिप्पणी को लेकर जहां सभी राजनीतिक दलों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. वहीं राजस्थान विश्विद्यालय के प्रोफसर भी खुलकर सामने आ गए.

पीएम मोदी के बयान को लेकर RU के शिक्षकों ने जताया विरोध

बता दें कि कुछ दिन पहले ही यूनिवर्सिटी की रैंकिंग में गिरावट आई थी. उस पर कोई भी शिक्षक खुलकर सामने नहीं आया था. लेकिन राजनीतिक मुद्दों पर शिक्षक खुलकर सामने आते रहे हैं.

दरअसल, शुक्रवार को राजस्थान विश्वविद्यालय में कांग्रेस विचारधारा के 200 शिक्षकों ने हस्ताक्षर कर राष्ट्रपति को पत्र भेजा. इस दौरान शिक्षकों ने कहा कि इस प्रकार के बयान से इस महान राष्ट्र के करोड़ों लोगों को आघात लगा है. उन सभी को इस बात को लेकर आत्मग्लानि है कि राजनीतिक विमर्श कितना गिर चुका है.

आरयू के शिक्षक एमएल शर्मा ने कहा कि इसको लेकर शिक्षकों में गहरा रोष है. सभी शिक्षकों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर मांग की है कि आगे से कोई भी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति किसी के लिए इस तरह की भाषा का इस्तेमाल न करें.

प्रोफेसर जेपी यादव ने कहा कि भारत सहित विश्व के किसी भी देश के धर्म ग्रंथों में भी मृत आत्मा की निंदा की जाए. इस बात को सही नहीं ठहराया गया है. लेकिन भारत के प्रधानमंत्री चुनाव जीतने के लिए जिस तरीके से सालों पहले देश के लिए जान गंवा देने वाले प्रधानमंत्री राजीव गांधी के लिए इस तरह के बयान की भाषा का इस्तेमाल किया गया है.

Intro:जयपुर- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर की गई टिप्पणी को लेकर जहां सभी राजनीतिक दल आरोप प्रत्यारोप कर रहे है। वही अब शिक्षा के मंदिर में शिक्षक भी इस राजनीतिक अखाड़े से दूर नहीं रहे है। देश में लोकसभा चुनाव है और मोदी के दीए गए बयान पर जो राजनीति हो रही है उससे राजस्थान विश्विद्यालय के प्रोफसर भी खुलकर सामने आ गए, लेकिन कुछ दिन पहले ही यूनिवर्सिटी की रैंकिंग में गिरावट आई थी उसपर कोई शिक्षक खुलकर सामने नहीं आया था। लेकिन राजनीतिक मुद्दों पर शिक्षक खुलकर सामने आते रहे है।


Body:दरअसल, शुक्रवार को राजस्थान विश्विद्यालय के कांग्रेस विचारधारा के 200 शिक्षकों ने हस्ताक्षर कर राष्ट्रपति को पत्र भेजा। इस दौरान शिक्षकों ने कहा कि इस प्रकार के बयान से इस महान राष्ट्र के करोड़ों लोगों को आघात लगा है। हम सभी को इस बात को लेकर आत्मा गलिन है कि हमारा राजनीतिक विमर्श कितना गिर चुका है। प्रोफेसर जेपी यादव ने कहा कि भारत सहित विश्व के किसी भी देश के धर्म ग्रंथों में भी मृत आत्मा की निंदा हो सही नहीं ठहराया गया है लेकिन भारत के प्रधानमंत्री के चुनाव जीतने के लिए जिस तरीके सालों पहले देश के लिए जान लगा देने वाले प्रधानमंत्री राजीव गांधी के लिए इस तरह के बयान की भाषा का इस्तेमाल किया गया है। देश के शिक्षा जगत के शिक्षकों में गहरा रोष है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति को पत्र लिखकर मांग की है कि आगे से कोई भी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति किसी के लिए इस प्रकार की भाषा का इस्तेमाल नहीं करे।

बाईट- शिक्षकों की बाईट


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