जयपुर. आरटीई के तहत बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश देने से जुड़े मामले में मंगलवार को राज्य सरकार व निजी स्कूलों की अपीलों पर सुनवाई 7 सप्ताह के लिए टल गई. वहीं अदालत ने राज्य सरकार को पक्षकारों की संशोधित सूची पेश करने के लिए कहा है. इसके साथ ही अदालत ने कहा कि यदि किसी पक्षकार को जवाब देना है तो वह भी दो सप्ताह में दे सकता है.
एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार, मयूर स्कूल, अजमेर सहित अन्य निजी स्कूलों की अपीलों पर दिया. राज्य सरकार व निजी स्कूलों ने अपीलों में एकलपीठ के 18 जुलाई, 2023 के आदेश को चुनौती दी है. सुनवाई के दौरान एएजी सीएल सैनी ने अदालत से कहा कि एक मामले में खंडपीठ ने नर्सरी स्तर पर ही बच्चों को आरटीई कानून के तहत एडमिशन देने के लिए कहा था.
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इसके अनुसार ही राज्य सरकार ने नर्सरी स्टेज पर बच्चों को एडमिशन देने का निर्णय लिया था और इस मामले को सुनने का एकलपीठ को अधिकार ही नहीं था. जिस पर अदालत ने सुनवाई 7 सप्ताह के लिए टाल दी. दरअसल राज्य सरकार की ओर से जहां एकलपीठ के उस निर्देश को चुनौती दी है, जिसमें निजी स्कूलों को राहत देते हुए राज्य सरकार के उस प्रावधान को रद्द कर दिया था, जिसमें आरटीई के तहत प्री प्राइमरी क्लासेज में होने वाले बच्चों के एडमिशन की फीस का पुनर्भुगतान नहीं करने के लिए कहा था. जबकि निजी स्कूलों ने एकलपीठ के आरटीई के तहत बच्चों को नर्सरी व प्रथम कक्षा में एडमिशन देने वाले निर्देश को चुनौती दी है.