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रोडवेज कर्मचारियों ने गहलोत सरकार के खिलाफ भरी हुंकार, वेतन व पेंशन न मिलने से हैं नाराज

अब राज्य की गहलोत सरकार के खिलाफ रोडवेज के सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने मोर्चा खोल दिया है. मंगलवार को ये कर्मचारी अपनी 11 सूत्रीय मांगों को लेकर रोडवेज मुख्यालय के बाहर धरने पर बैठ (Demonstration outside Roadways Headquarters) गए.

Demonstration outside Roadways Headquarters
Demonstration outside Roadways Headquarters
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Published : Apr 4, 2023, 5:27 PM IST

धरने पर बैठे रोडवेज कर्मचारी

जयपुर. बकाया वेतन और पेंशन की मांग को लेकर रोडवेज के सेवारत व सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने मंगलवार को सरकार के खिलाफ हुंकार भरी. इस दौरान कर्मचारियों ने रोडवेज मुख्यालय का घेराव किया. साथ ही मेन गेट को बंद कर वहीं धरने पर बैठ गए. धरने पर बैठे कर्मचारियों ने कहा कि अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वो आगे बड़े स्तर पर आंदोलन को मजबूर होंगे. दरअसल, राजस्थान परिवहन निगम संयुक्त कर्मचारी फेडरेशन व सेवानिवृत्त संयुक्त कर्मचारी महासंघ के बैनर तले सैकड़ों कर्मचारी मुख्यालय स्थित मंदिर के पास मंगलवार को एकत्रित हुए. यहां से कर्मचारी सरकार और रोडवेज प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी करते रैली के रूप में आगे बढ़े, जो पहले सिविल लाइंस फाटक गए और वहां से फिर रोडवेज मुख्यालय पहुंचे.

हालांकि, प्रदर्शन व रैली की पूर्व सूचना मिलने पर गार्ड्स ने पहले ही मेन गेट को बंद कर दिया था. ऐसे में कर्मचारी वहीं मेन गेट पर बैनर लगाकर धरने पर बैठ गए. जहां काफी देर तक रोडवेज के सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने नारेबाजी की. इस दौरान कर्मचारियों ने कहा जब तक वेतन और पेंशन का स्थायी समाधान नहीं होता, तब तक उनका धरना जारी रहेगा. कर्मचारियों ने बताया कि ऊंची दरों पर अनुबंधित बसें लेकर रोडवेज को घाटा पहुंचाया जा रहा है. जिसका विरोध कर्मचारी पहले से ही कर रहे हैं. साथ ही बकाया वेतन और पेंशन सहित 11 सूत्री मांगों के समर्थन में रोडवेज कर्मचारियों ने मंगलवार को रोडवेज मुख्यालय का घेराव किया.

इसे भी पढ़ें - राजस्थान : परिवहन मंत्री ने रोडवेज को सरकार के अधीन करने के लिए लिखा पत्र

धरने पर बैठे कर्मचारियों ने बताया कि राज्य सरकार ने रोडवेज को बजट में कोई आर्थिक पैकेज नहीं दिया है. इसके अलावा भर्तियों में ठेका प्रथा पर कर्मचारियों की भर्ती करने और कई महीनों तक वेतन, पेंशन का भुगतान न देने से रोडवेज के कर्मचारियों में आक्रोश है. वहीं, कर्मचारियों ने सरकार की ओर से रोडवेज को बंद करने की आशंका भी जताई. फेडरेशन के महामंत्री सत्यनारायण शर्मा ने बताया कि सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम का ढिंढोरा पीट कर वरिष्ठ कर्मचारियों को आर्थिक सुरक्षा देने की बात कर रही है, लेकिन वर्तमान में रोडवेज के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन न देने से सरकार की ओपीएस देने वाली बात में दम नजर नहीं आ रहा है.

शर्मा ने आगे बताया कि रोडवेज कर्मचारियों को फरवरी और मार्च महीने का वेतन भी नहीं मिला है. वहीं, सेवानिवृत्त कर्मचारियों को जनवरी से मार्च तक की पेंशन भी नहीं दी गई है. जिससे कर्मचारियों को घर खर्च चलाने में भी परेशानी हो रही है. शर्मा ने बताया कि कर्मचारियों से काम कराकर उन्हें वेतन का लाभ नहीं देना अपराध की श्रेणी में आता है. कर्मचारियों को वेतन और पेंशन का लाभ देना अधिकारियों की नैतिक जिम्मेदारी बनती है. रोडवेज के अधिकारी भ्रष्टाचार को दबाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने आगे बताया कि कर्मचारियों ने वेतन और पेंशन के स्थायी समाधान की मांग को लेकर रोडवेज मुख्यालय का घेराव किया है.

उन्होंने कहा कि अब रोडवेज प्रशासन निजीकरण की ओर बढ़ रहा है और विरोध के बावजूद 1000 बसों को सर्विस मॉडल के रूप में शामिल किया जा रहा है. इसकी घोषणा भी बजट सत्र में की गई थी. उन्होंने आरोप लगाया कि कई डिपो में नियम के खिलाफ मुख्य प्रबंधक लगाए हैं. जिनका पिछले कई सालों से तबादला तक नहीं किया गया है. जिससे भ्रष्टाचार की बू आती है. सेवानिवृत्त कर्मचारी महासंघ के महामंत्री मुरारी लाल शर्मा ने कहा कि यदि जल्द उनकी मांग नहीं मानी गई तो एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा और इसके लिए केवल व केवल सरकार जिम्मेदारी होगी.

धरने पर बैठे रोडवेज कर्मचारी

जयपुर. बकाया वेतन और पेंशन की मांग को लेकर रोडवेज के सेवारत व सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने मंगलवार को सरकार के खिलाफ हुंकार भरी. इस दौरान कर्मचारियों ने रोडवेज मुख्यालय का घेराव किया. साथ ही मेन गेट को बंद कर वहीं धरने पर बैठ गए. धरने पर बैठे कर्मचारियों ने कहा कि अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वो आगे बड़े स्तर पर आंदोलन को मजबूर होंगे. दरअसल, राजस्थान परिवहन निगम संयुक्त कर्मचारी फेडरेशन व सेवानिवृत्त संयुक्त कर्मचारी महासंघ के बैनर तले सैकड़ों कर्मचारी मुख्यालय स्थित मंदिर के पास मंगलवार को एकत्रित हुए. यहां से कर्मचारी सरकार और रोडवेज प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी करते रैली के रूप में आगे बढ़े, जो पहले सिविल लाइंस फाटक गए और वहां से फिर रोडवेज मुख्यालय पहुंचे.

हालांकि, प्रदर्शन व रैली की पूर्व सूचना मिलने पर गार्ड्स ने पहले ही मेन गेट को बंद कर दिया था. ऐसे में कर्मचारी वहीं मेन गेट पर बैनर लगाकर धरने पर बैठ गए. जहां काफी देर तक रोडवेज के सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने नारेबाजी की. इस दौरान कर्मचारियों ने कहा जब तक वेतन और पेंशन का स्थायी समाधान नहीं होता, तब तक उनका धरना जारी रहेगा. कर्मचारियों ने बताया कि ऊंची दरों पर अनुबंधित बसें लेकर रोडवेज को घाटा पहुंचाया जा रहा है. जिसका विरोध कर्मचारी पहले से ही कर रहे हैं. साथ ही बकाया वेतन और पेंशन सहित 11 सूत्री मांगों के समर्थन में रोडवेज कर्मचारियों ने मंगलवार को रोडवेज मुख्यालय का घेराव किया.

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धरने पर बैठे कर्मचारियों ने बताया कि राज्य सरकार ने रोडवेज को बजट में कोई आर्थिक पैकेज नहीं दिया है. इसके अलावा भर्तियों में ठेका प्रथा पर कर्मचारियों की भर्ती करने और कई महीनों तक वेतन, पेंशन का भुगतान न देने से रोडवेज के कर्मचारियों में आक्रोश है. वहीं, कर्मचारियों ने सरकार की ओर से रोडवेज को बंद करने की आशंका भी जताई. फेडरेशन के महामंत्री सत्यनारायण शर्मा ने बताया कि सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम का ढिंढोरा पीट कर वरिष्ठ कर्मचारियों को आर्थिक सुरक्षा देने की बात कर रही है, लेकिन वर्तमान में रोडवेज के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन न देने से सरकार की ओपीएस देने वाली बात में दम नजर नहीं आ रहा है.

शर्मा ने आगे बताया कि रोडवेज कर्मचारियों को फरवरी और मार्च महीने का वेतन भी नहीं मिला है. वहीं, सेवानिवृत्त कर्मचारियों को जनवरी से मार्च तक की पेंशन भी नहीं दी गई है. जिससे कर्मचारियों को घर खर्च चलाने में भी परेशानी हो रही है. शर्मा ने बताया कि कर्मचारियों से काम कराकर उन्हें वेतन का लाभ नहीं देना अपराध की श्रेणी में आता है. कर्मचारियों को वेतन और पेंशन का लाभ देना अधिकारियों की नैतिक जिम्मेदारी बनती है. रोडवेज के अधिकारी भ्रष्टाचार को दबाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने आगे बताया कि कर्मचारियों ने वेतन और पेंशन के स्थायी समाधान की मांग को लेकर रोडवेज मुख्यालय का घेराव किया है.

उन्होंने कहा कि अब रोडवेज प्रशासन निजीकरण की ओर बढ़ रहा है और विरोध के बावजूद 1000 बसों को सर्विस मॉडल के रूप में शामिल किया जा रहा है. इसकी घोषणा भी बजट सत्र में की गई थी. उन्होंने आरोप लगाया कि कई डिपो में नियम के खिलाफ मुख्य प्रबंधक लगाए हैं. जिनका पिछले कई सालों से तबादला तक नहीं किया गया है. जिससे भ्रष्टाचार की बू आती है. सेवानिवृत्त कर्मचारी महासंघ के महामंत्री मुरारी लाल शर्मा ने कहा कि यदि जल्द उनकी मांग नहीं मानी गई तो एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा और इसके लिए केवल व केवल सरकार जिम्मेदारी होगी.

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