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कांग्रेस की प्रदेश इलेक्शन कमेटी की रिपोर्ट तय करेगी टिकट, परंपरागत तरीकों से चुनाव से पहले जारी होगी सूची

राजस्थान कांग्रेस ने साफ किया है कि टिकट वितरण में प्रदेश इलेक्शन कमेटी की रिपोर्ट महत्वपूर्ण होगी. अधिकांश टिकटों की सूची चुनाव से पहले परंपरागत तरीके से सर्वे कर जारी की जाएगी.

Report of Rajasthan state election committee to decide tickets for assembly election 2023
कांग्रेस की प्रदेश इलेक्शन कमेटी की रिपोर्ट तय करेगी टिकट, परंपरागत तरीकों से चुनाव से पहले जारी होगी सूची
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Published : Aug 12, 2023, 7:19 PM IST

कांग्रेस में टिकट वितरण को लेकर सीएम और रंधावा ने कही बड़ी बात...

जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस पार्टी ने एक के बाद एक टिकट के योग्य प्रत्याशियों के कई सर्वे अब तक करवा लिए हैं. उन सर्वे रिपोर्ट के आधार पर वर्तमान विधायकों, मंत्रियों और बाकी नेताओं को उनकी विधानसभा में उनकी स्थिति से अवगत करवा दिया गया है. इस बीच पार्टी ने कहा है कि सर्वे रिपोर्ट के साथ ही प्रदेश इलेक्शन कमेटी की रिपोर्ट को सबसे महत्वपूर्ण माना जाएगा.

शुक्रवार को हुई राजस्थान कांग्रेस की पॉलिटिकल अफेयर कमेटी की बैठक में यह तय हो चुका है कि अब जल्द ही प्रदेश इलेक्शन कमेटी के सदस्यों को अलग-अलग जिलों में भेज कर योग्य प्रत्याशियों को लेकर रिपोर्ट तैयार करवाई जाएगी. इसके लिए प्रदेश इलेक्शन कमेटी के सदस्य पूर्व विधायकों, वरिष्ठ नेताओं, जिले के महापौर, सभापति, अध्यक्ष या प्रदेश कांग्रेस संगठन से जुड़े वर्तमान और पूर्व नेताओं, पदाधिकारियों से राय शुमारी करेंगे कि कौन नेता चुनाव जीत सकता है.

पढ़ें: Congress in Rajasthan : स्क्रीनिंग, PEC-PAC की लिस्ट से मंत्री महेश जोशी और धारीवाल बाहर, क्या टिकट लिस्ट में भी यही तैयारी ?

इसी रायशुमारी के आधार पर प्रदेश इलेक्शन कमेटी रिपोर्ट तैयार करेगी. इसके बाद प्रदेश इलेक्शन कमेटी की बैठक होगी जिसमें सदस्यों की ओर से लाए गए नामों पर चर्चा होगी. जो नाम जिलों से निकल कर आएंगे, उन्हें प्रदेश इलेक्शन कमिटी ही सर्वे रिपोर्ट से मिलान कर यह देखेगी कि कौन योग्य उम्मीदवार है. उसी के आधार पर प्रदेश इलेक्शन कमेटी अपनी रिपोर्ट स्क्रीनिंग कमेटी के सामने रखेगी. मतलब साफ है कि अब तक हुए तमाम सर्वे कंपनियों के सर्वे पर पार्टी अपने नेताओं की राय को तवज्जो देगी.

पढ़ें: कांग्रेस की रणनीतिः चुनाव से पहले संगठन के नेताओं को नियुक्ति, जिन्हें टिकट नहीं, उनके लिए बनाया ये प्लान

अक्टूबर के शुरुआत में आ सकते हैं कुछ टिकटः भले ही पार्टी ने टिकट की घोषणा सितंबर में करने की बात कही हो, लेकिन टिकट की लिस्ट अक्टूबर के शुरूआत में आ सकती है. इस बार कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से 2 महीने पहले सितंबर महीने में ही टिकटों की घोषणा करने का दावा किया था. लेकिन चुनावी गणित में यह फार्मूला फिट बैठता नजर नहीं आ रहा है. यह लगभग साफ हो चुका है कि अब टिकट की पहली लिस्ट सितंबर में आना मुश्किल है. अक्टूबर के शुरुआत में भी एक छोटी लिस्ट ही आ सकती है.

पढ़ें: कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटीः गहलोत, पायलट, डोटासरा और सीपी जोशी को इन क्षेत्रों में टिकट और जीत की दी जिम्मेदारी

जहां टिकट को लेकर किसी तरह का कोई संशय नहीं है. यानी बड़े नेताओं के और उन उम्मीदवारों के नाम भले ही अक्टूबर में सामने आ जाएं, जिनके विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी से कोई कंपटीशन नहीं मिल रहा हो. बाकी टिकट राजस्थान में उन्ही पुराने आधारों पर दिए जाएंगे, जिसके अनुसार यह देखा जाता है कि उसे विधानसभा क्षेत्र में सामने वाली पार्टी ने किस उम्मीदवार बनाया है. जातिगत गणित में क्या बदलाव हुआ है या कांग्रेस पार्टी से ही क्या कोई बागी भी हो सकता है? इन्हीं तमाम आधारों को देखते हुए ही टिकट नामांकन की तारीखों के आसपास ही घोषित किए जाएंगे.

ये है वो कारण जिसके चलते राजनीतिक पार्टियां देती है एन मौके पर टिकट:

  1. हर पार्टी चाहती है कि जब वह उम्मीदवार घोषित करे, तो उसे पता हो कि सामने वाली पार्टी ने किसे और किस जाति के नेता को उम्मीदवार बनाया है.
  2. नामांकन के ठीक पहले टिकट देने पर पार्टी के उन नेताओं को बगावत का समय नहीं मिलता जो टिकट की लाइन में हैं.
  3. पहले टिकट देने से प्रत्याशियों के चुनावी खर्च में भी होती है बढ़ोतरी.

कांग्रेस में टिकट वितरण को लेकर सीएम और रंधावा ने कही बड़ी बात...

जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस पार्टी ने एक के बाद एक टिकट के योग्य प्रत्याशियों के कई सर्वे अब तक करवा लिए हैं. उन सर्वे रिपोर्ट के आधार पर वर्तमान विधायकों, मंत्रियों और बाकी नेताओं को उनकी विधानसभा में उनकी स्थिति से अवगत करवा दिया गया है. इस बीच पार्टी ने कहा है कि सर्वे रिपोर्ट के साथ ही प्रदेश इलेक्शन कमेटी की रिपोर्ट को सबसे महत्वपूर्ण माना जाएगा.

शुक्रवार को हुई राजस्थान कांग्रेस की पॉलिटिकल अफेयर कमेटी की बैठक में यह तय हो चुका है कि अब जल्द ही प्रदेश इलेक्शन कमेटी के सदस्यों को अलग-अलग जिलों में भेज कर योग्य प्रत्याशियों को लेकर रिपोर्ट तैयार करवाई जाएगी. इसके लिए प्रदेश इलेक्शन कमेटी के सदस्य पूर्व विधायकों, वरिष्ठ नेताओं, जिले के महापौर, सभापति, अध्यक्ष या प्रदेश कांग्रेस संगठन से जुड़े वर्तमान और पूर्व नेताओं, पदाधिकारियों से राय शुमारी करेंगे कि कौन नेता चुनाव जीत सकता है.

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इसी रायशुमारी के आधार पर प्रदेश इलेक्शन कमेटी रिपोर्ट तैयार करेगी. इसके बाद प्रदेश इलेक्शन कमेटी की बैठक होगी जिसमें सदस्यों की ओर से लाए गए नामों पर चर्चा होगी. जो नाम जिलों से निकल कर आएंगे, उन्हें प्रदेश इलेक्शन कमिटी ही सर्वे रिपोर्ट से मिलान कर यह देखेगी कि कौन योग्य उम्मीदवार है. उसी के आधार पर प्रदेश इलेक्शन कमेटी अपनी रिपोर्ट स्क्रीनिंग कमेटी के सामने रखेगी. मतलब साफ है कि अब तक हुए तमाम सर्वे कंपनियों के सर्वे पर पार्टी अपने नेताओं की राय को तवज्जो देगी.

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अक्टूबर के शुरुआत में आ सकते हैं कुछ टिकटः भले ही पार्टी ने टिकट की घोषणा सितंबर में करने की बात कही हो, लेकिन टिकट की लिस्ट अक्टूबर के शुरूआत में आ सकती है. इस बार कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से 2 महीने पहले सितंबर महीने में ही टिकटों की घोषणा करने का दावा किया था. लेकिन चुनावी गणित में यह फार्मूला फिट बैठता नजर नहीं आ रहा है. यह लगभग साफ हो चुका है कि अब टिकट की पहली लिस्ट सितंबर में आना मुश्किल है. अक्टूबर के शुरुआत में भी एक छोटी लिस्ट ही आ सकती है.

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जहां टिकट को लेकर किसी तरह का कोई संशय नहीं है. यानी बड़े नेताओं के और उन उम्मीदवारों के नाम भले ही अक्टूबर में सामने आ जाएं, जिनके विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी से कोई कंपटीशन नहीं मिल रहा हो. बाकी टिकट राजस्थान में उन्ही पुराने आधारों पर दिए जाएंगे, जिसके अनुसार यह देखा जाता है कि उसे विधानसभा क्षेत्र में सामने वाली पार्टी ने किस उम्मीदवार बनाया है. जातिगत गणित में क्या बदलाव हुआ है या कांग्रेस पार्टी से ही क्या कोई बागी भी हो सकता है? इन्हीं तमाम आधारों को देखते हुए ही टिकट नामांकन की तारीखों के आसपास ही घोषित किए जाएंगे.

ये है वो कारण जिसके चलते राजनीतिक पार्टियां देती है एन मौके पर टिकट:

  1. हर पार्टी चाहती है कि जब वह उम्मीदवार घोषित करे, तो उसे पता हो कि सामने वाली पार्टी ने किसे और किस जाति के नेता को उम्मीदवार बनाया है.
  2. नामांकन के ठीक पहले टिकट देने पर पार्टी के उन नेताओं को बगावत का समय नहीं मिलता जो टिकट की लाइन में हैं.
  3. पहले टिकट देने से प्रत्याशियों के चुनावी खर्च में भी होती है बढ़ोतरी.
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