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क्या होता है अल्पसंख्यक संस्थान? क्या होते हैं इसके फायदे? जानें

भारत में अल्पसंख्यक संस्थानों संविधान के अनुच्छेद 30(1) के तहत संरक्षण मिलता है. इसके अलावा अल्पसंख्यक संस्थानों को कई और फायदे भी मिलते हैं.

क्या होता है अल्पसंख्यक संस्थान?
क्या होता है अल्पसंख्यक संस्थान? (सांकेतिक तस्वीर ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 8, 2024, 5:08 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 4-3 के बहुमत से दिए गए फैसले में अजीज बाशा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में अपने 1967 के फैसले को पलट दिया, जिसमें पहले अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) को अल्पसंख्यक संस्थान के तौर पर मान्यता देने से इनकार कर दिया गया था. अदालत ने अब तीन जजों की बेंच को निर्देश दिया है कि वह इस फैसले में स्थापित नए सिद्धांतों को लागू करते हुए AMU के अल्पसंख्यक दर्जे का फिर से मूल्यांकन करे.

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सात जजों की संविधान पीठ ने जस्टिस चंद्रचूड़, संजीव खन्ना, जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा द्वारा लिखे गए बहुमत के मत के साथ फैसला सुनाया. वहीं, जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और सतीश चंद्र शर्मा ने इस फैसले से असहमति जताई.

क्या है माइनॉरिटी इंस्टीट्यूट?
अल्पसंख्यक संस्थान एक ऐजूकेशन इंस्टीट्यूट होता है, जिसकी स्थापना या रखरखाव अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्तियों या समूहों करते हैं. इन समुदायों के शैक्षिक अधिकारों को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग अधिनियम 2004 के तहत सुरक्षित रखा गया है.

भारत में अल्पसंख्यक संस्थानों को मिलने वाले फायदे
भारत में अल्पसंख्यक संस्थानों संविधान के अनुच्छेद 30(1) के तहत संरक्षण मिलता है. इसके अलावा माइनॉरिटी इंस्टीट्यूट को शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम के अनुसार वंचित समूहों के लिए सीट आरक्षण निर्धारित करने का अधिकार मिलता है. इसके अलावा उन्हें RTE दिशा-निर्देशों के तहत सीटें रिजर्व करने की आवश्यकता नहीं होती है.

अल्पसंख्यक संस्थान में अल्पसंख्यकों को क्या लाभ मिलते हैं?
अल्पसंख्यक संस्थान में अल्पसंख्यक समुदाय अपनी कम्युनिटी के सदस्यों के लिए महत्वपूर्ण संख्या में सीटें आरक्षित कर सकते हैं. वे अपने सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप शिक्षकों का चयन करने और कोर्स के भीतर अपनी सांस्कृतिक और भाषाई विरासत को शामिल कर सकते हैं.

इसके अलावा अल्पसंख्यक संस्थान संस्था द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने वाले अल्पसंख्यक समूह के छात्रों के लिए 50 प्रतिशत तक सीटें आरक्षित की जा सकती हैं. इसके तहत समुदाय के मूल्यों और सांस्कृतिक आवश्यकताओं को रिफ्लेक्ट करने वाले शिक्षकों को नियुक्त करने में अधिक स्वतंत्रता मिलती है.

माइनॉरिटी इंस्टीट्यूशन में पाठ्यक्रम कंट्रोल करने की अनुमति मिलती है और ऐजूकेशनल कंटेंट में स्पेसिफिक सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई एलिमेंट को शामिल किया जा सकता है. संस्था के प्रशासन और नीतियों से संबंधित निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है.

इसके अलावा यह समुदाय की आइडेंटिटी को प्रोटेक्शन देता है. इससे समुदाय की अनूठी सांस्कृतिक प्रथाओं और भाषा को संरक्षित करने और मनाने के लिए एक सहायक वातावरण मिलता है.

यह भी पढ़ें- AMU माइनॉरिटी स्टेटस केस: 1875 से लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक समझें कब क्या हुआ?

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 4-3 के बहुमत से दिए गए फैसले में अजीज बाशा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में अपने 1967 के फैसले को पलट दिया, जिसमें पहले अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) को अल्पसंख्यक संस्थान के तौर पर मान्यता देने से इनकार कर दिया गया था. अदालत ने अब तीन जजों की बेंच को निर्देश दिया है कि वह इस फैसले में स्थापित नए सिद्धांतों को लागू करते हुए AMU के अल्पसंख्यक दर्जे का फिर से मूल्यांकन करे.

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सात जजों की संविधान पीठ ने जस्टिस चंद्रचूड़, संजीव खन्ना, जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा द्वारा लिखे गए बहुमत के मत के साथ फैसला सुनाया. वहीं, जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और सतीश चंद्र शर्मा ने इस फैसले से असहमति जताई.

क्या है माइनॉरिटी इंस्टीट्यूट?
अल्पसंख्यक संस्थान एक ऐजूकेशन इंस्टीट्यूट होता है, जिसकी स्थापना या रखरखाव अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्तियों या समूहों करते हैं. इन समुदायों के शैक्षिक अधिकारों को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग अधिनियम 2004 के तहत सुरक्षित रखा गया है.

भारत में अल्पसंख्यक संस्थानों को मिलने वाले फायदे
भारत में अल्पसंख्यक संस्थानों संविधान के अनुच्छेद 30(1) के तहत संरक्षण मिलता है. इसके अलावा माइनॉरिटी इंस्टीट्यूट को शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम के अनुसार वंचित समूहों के लिए सीट आरक्षण निर्धारित करने का अधिकार मिलता है. इसके अलावा उन्हें RTE दिशा-निर्देशों के तहत सीटें रिजर्व करने की आवश्यकता नहीं होती है.

अल्पसंख्यक संस्थान में अल्पसंख्यकों को क्या लाभ मिलते हैं?
अल्पसंख्यक संस्थान में अल्पसंख्यक समुदाय अपनी कम्युनिटी के सदस्यों के लिए महत्वपूर्ण संख्या में सीटें आरक्षित कर सकते हैं. वे अपने सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप शिक्षकों का चयन करने और कोर्स के भीतर अपनी सांस्कृतिक और भाषाई विरासत को शामिल कर सकते हैं.

इसके अलावा अल्पसंख्यक संस्थान संस्था द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने वाले अल्पसंख्यक समूह के छात्रों के लिए 50 प्रतिशत तक सीटें आरक्षित की जा सकती हैं. इसके तहत समुदाय के मूल्यों और सांस्कृतिक आवश्यकताओं को रिफ्लेक्ट करने वाले शिक्षकों को नियुक्त करने में अधिक स्वतंत्रता मिलती है.

माइनॉरिटी इंस्टीट्यूशन में पाठ्यक्रम कंट्रोल करने की अनुमति मिलती है और ऐजूकेशनल कंटेंट में स्पेसिफिक सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई एलिमेंट को शामिल किया जा सकता है. संस्था के प्रशासन और नीतियों से संबंधित निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है.

इसके अलावा यह समुदाय की आइडेंटिटी को प्रोटेक्शन देता है. इससे समुदाय की अनूठी सांस्कृतिक प्रथाओं और भाषा को संरक्षित करने और मनाने के लिए एक सहायक वातावरण मिलता है.

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