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जयपुर: रेनवाली CHC की मोर्चरी में डीफ्रीज के अभाव में सड़ रही लाशें

5 साल पहले राज्य में 100 आधुनिकतम मोर्चरी में शामिल किए गए रेनवाल सीएचसी की मोर्चरी में डीफ्रीज के अभाव में रखे शवों में से बदबू आने लगी है. इतना ही नहीं इस मोर्चरी की खिड़कियां भी टूट चुकी हैं. जिसके कारण जानवर अंदर आकर शवों को नोंचकर चले जाते हैं.

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रेनवाल मोर्चरी का बुरा हाल
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Published : Feb 7, 2020, 1:16 PM IST

रेनवाल (जयपुर). रेनवाल कस्बे के राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में करीब 5 साल पहले 15 लाख की लागत से नई आधुनिक मोर्चरी का निर्माण करवाया गया था. लेकिन आज तक मोर्चरी में डीफ्रीज नहीं लगाए और न ही एयर कंडिशनर. इस कारण लंबे समय तक शव पड़े-पड़े बदबू देने लगे हैं.

रेनवाल मोर्चरी का बुरा हाल

5 साल पहले विधायक निर्मल कुमावत के निर्देश पर राज्य में 100 मोर्चरी में रेनवाल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की मोर्चरी को शामिल किया गया था. सर्दी की सीजन में आसपास की बर्फ फैक्ट्रियां बंद हो जाती हैं. जिसके चलते पुलिस और परिजनों को काफी मशक्त उठानी पड़ती है. शव सुरक्षित रखने के लिए चौमूं या फिर जयपुर से बर्फ मंगवानी पड़ती है.

यह भी पढ़ें- उदयपुर: 'पैडल टू जंगल' का आगाज, 150 किमी साइकिल चला जंगल यात्रा का लुत्फ उठाएंगे साइकिल प्रेमी

अब आधुनिक मोर्चरी के खिड़कियों के कांच टूट चुके है. कोई भी जंगली जानवर अंदर जाकर शवों को नोच सकता है, चारों ओर गंदगी का ऐसा आलम है कि, कमरों में जंगली घासें उग चुकी हैं.

इस संबंध में चिकित्सा प्रभारी आरपी सेपट का कहना है कि प्रावधानों के अनुसार नई मोर्चरी बन चुकी है. एक बार डी-फ्रिज का प्रावधान आया था, जिसमें डीफ्रीज की साइज ऐसी है कि मार्चरी में फिट नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि जब तक नया मूल्यांकन होकर मोर्चरी का निर्माण नहीं होता या डीफ्रीज की साइज में कोई परिवर्तन नहीं होता, तब तक डीफ्रीज का रखा जाना संभव नहीं है.

रेनवाल (जयपुर). रेनवाल कस्बे के राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में करीब 5 साल पहले 15 लाख की लागत से नई आधुनिक मोर्चरी का निर्माण करवाया गया था. लेकिन आज तक मोर्चरी में डीफ्रीज नहीं लगाए और न ही एयर कंडिशनर. इस कारण लंबे समय तक शव पड़े-पड़े बदबू देने लगे हैं.

रेनवाल मोर्चरी का बुरा हाल

5 साल पहले विधायक निर्मल कुमावत के निर्देश पर राज्य में 100 मोर्चरी में रेनवाल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की मोर्चरी को शामिल किया गया था. सर्दी की सीजन में आसपास की बर्फ फैक्ट्रियां बंद हो जाती हैं. जिसके चलते पुलिस और परिजनों को काफी मशक्त उठानी पड़ती है. शव सुरक्षित रखने के लिए चौमूं या फिर जयपुर से बर्फ मंगवानी पड़ती है.

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अब आधुनिक मोर्चरी के खिड़कियों के कांच टूट चुके है. कोई भी जंगली जानवर अंदर जाकर शवों को नोच सकता है, चारों ओर गंदगी का ऐसा आलम है कि, कमरों में जंगली घासें उग चुकी हैं.

इस संबंध में चिकित्सा प्रभारी आरपी सेपट का कहना है कि प्रावधानों के अनुसार नई मोर्चरी बन चुकी है. एक बार डी-फ्रिज का प्रावधान आया था, जिसमें डीफ्रीज की साइज ऐसी है कि मार्चरी में फिट नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि जब तक नया मूल्यांकन होकर मोर्चरी का निर्माण नहीं होता या डीफ्रीज की साइज में कोई परिवर्तन नहीं होता, तब तक डीफ्रीज का रखा जाना संभव नहीं है.

Intro:जयपुर जिले के रेनवाल कस्बे के राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में करीब पांच वर्ष पहले 15लाख की लागत से नई आधुनिकतम मोर्चरी का निर्माण करवाया गया था। लेकिन आज तक मोर्चरी में डीफ्रीज नहीं लगाए गए, ओर ना ही एयर कंडीशनर, जिस कारण लंबे समय तक शव रखनें पर संडाध मारते है। Body:पांच वर्ष पहले विधायक निर्मल कुमावत की अनुशंषा पर राज्य में 100 मोर्चरी में रेनवाल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की मोर्चरी को शामिल करते हुए राज्य सरकार के चिकित्सा विभाग द्वारा यहां करीब 15लाख की लागत से मोर्चरी का निर्माण तो करवा दिया गया लेकिन मोर्चरी में ना तो डीफ्रीज लगाए गए, ओर ना ही एयर कंडीशनर तथा शव काे ज्यादा समय रखने के यहां कोई इंतजाम नहीं है। जिसके कारण लंबे समय तक शव रखनें पर संडाध मारने लग जाते है। वही सर्दी की सीजन में आसपास की बर्फ फेक्टीयां बंद हो जाती है जिसके चलते पुलिस या परिजनो को काफी मशक्त उठानी पडती है, शव सुरक्षित रखने के लिए चौमू या जयपुर से बर्फ मंगानी पडती है। Conclusion:वही अब आधूनिक मोर्चरी के खिडकीयों के कांच टूट चुके है, कोई भी जंगली जानवर अंदर जाकर शवों को नोच सकता है। चाराें ओर गंदगी की आलम है, जंगली घास उग चुका है। अंदर केवल पटटी लगी हुई है,जिस पर शव को रख दिया जाता है। अाधुनिकतम मोर्चरी में शवो को सम्मान नही अपमान मिल रहा है।
वही इस संबंध में चिकित्सा प्रभारी आरपी सेपट कहते है कि प्रावधानों के अनुसार नई मोर्चरी बन चुकी है। एक बार डी फ्रिज का प्रावधान आया था जिसमें डीफ्रीज की साइज ऐसी है कि मार्चरी में फिट नहीं हो सकती। जब तक नया मूल्यांकन होकर नहीं मोर्चरी का निर्माण नहीं होता या डीफ्रीज की साइज में कोई परिवर्तन नहीं होता तब तक डीफ्रीज का रखा जाना संभव नहीं है। एक बार इंजीनियर भी आए थे डी फ्रीज रखने की कोशिश भी की गई, लेकिन डीफ्रीज रखा जाना संभव नहीं हुआ।

विजूयल व बाईट –
विजूयल- रेनवाल सीएचसी की मोर्चरी।         
बाईट-1- आरपी सेपट, चिकित्सा प्रभारी, रेनवाल सीएचसी।

विजूयल—ईटीवी भारत के लिए शिवराज सिंह शेखावत रेनवाल (जयपुर) की रिपोर्ट।
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