जयपुर. राजस्थान के दंगल में से नाम वापसी के साथ ही कांग्रेस और बीजेपी के दावेदारों की तस्वीर फाइनल हो गई है. प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर नामांकन वापस लेने की तारीख खत्म होने के साथ ही कई सीटों पर लड़ाई दिलचस्प हो गई है. बीजेपी की 200 सीटों में से करीब डेढ़ दर्जन सीटें ऐसी हैं जहां उनकी ही पार्टी के नेताओं ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन वापस नहीं लेकर सियासी समीकरण को उलझा दिया है.
बीजेपी के उम्मीदवारों ने चुनावी समर में ताल ठोक दी है, लेकिन कई सीटों पर अभी पार्टी को अपनों के भारी विरोध का समाना करना पड़ रहा है. ज्यादतर ये वो लोग हैं जो पूर्व विधायक, पूर्व-मंत्री या वर्तमान विधायक हैं. ये सब विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के कारण बागी हुए अब बीजेपी के सत्ता हासिल करने के समीकरण को बिगाड़ सकते हैं.
कुछ माने, कुछ नहीं माने: टिकट नहीं निलने से नाराज झोटवाड़ा से निर्दलीय के तौर पर नामांकन दाखिल करने वाले पूर्व मंत्री राजपाल शेखावत को नामांकन वापस लेने के लिए मनाने में बीजेपी कामयाब हो गई हो, लेकिन अभी भी डेढ़ दर्जन से ज्यादा सीटों पर पार्टी के बागी नेताओं ने ताल ठोकते हुए चुनावी मैदान में डटे हैं. इसमें चितौड़, खंडेला, डीडवाना जैसी कुछ सीटें हैं. हालांकि कुछ सीट ऐसी हैं जहां पार्टी ने नेताओं को मानाने की पूरी कोशिश की, लेकिन वो नहीं माने. ऐसे में अब माना जा रहा है कि बीजेपी की अनुशासन समिति इन बागियों पर एक्शन ले सकती है .
ये डटे हुए मैदान में: बीजेपी की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. शाहपुरा से कैलाश मेघवाल,भीलवाड़ा में अशोक कोठारी,चितौड़ में चंद्रभान सिंह आक्या,डीडवाना में यूनुस खान,लाडपुरा में भवानी सिंह रजावत मैदान में डटे हुए हैं. सवाई माधोपुर से आशा मीणा, बाड़मेर में प्रियंका चौधरी, शिव सीट से रविन्द्र सिंह भाटी, झोटवाड़ा में आशु सिंह शेखावत, झुंझुनू में राजेन्द्र भाम्भू, बयाना में ऋतु बनावत , खंडेला से पूर्व मंत्री बंशीधर बाजिया, सीकर में ताराचंद धायल, फतेहपुर में मधुसूदन भिंडा, कोटपूतली सीट पर मुकेश गोयल तो डग विधानसभा सीट पर रामचंद्र सुनारीवाल चुनावी मैदान में दमखम दिखा रहे हैं.