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नए जिलों पर बोले पूर्व आईएसएस अधिकारी, कदम जनता को राहत देने वाला, लेकिन वित्तीय प्रबंधन होगा चुनौती - नए जिलों पर बोले पूर्व आईएसएस अधिकारी

प्रदेश में 19 नए जिलों और 3 संभागों की घोषणा पर पूर्व आईएसएस अधिकारियों का कहना है ​कि इससे जनता को राहत मिलेगी. लेकिन इन जिलों के लिए वित्तीय प्रबंधन करना चुनौती होगा.

Reaction of Ex IAS officers on new districts in Rajasthan
नए जिलों पर बोले पूर्व आईएसएस अधिकारी, कदम जनता को राहत देने वाला, लेकिन वित्तीय प्रबंधन होगा चुनौती
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Published : Mar 18, 2023, 8:40 PM IST

Updated : Mar 18, 2023, 9:56 PM IST

नए जिलों को लेकर क्या होगी सरकार के सामने चुनौती

जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले मास्टर स्ट्रोक खेलते हुए प्रदेश में 19 नए जिले और 3 संभाग की घोषणा की है. नए संभाग और जिलों की घोषणा के बाद पक्ष-विपक्ष ने अपनी-अपनी दलील दी है. इस बीच प्रशासनिक अधिकारियों की मानें तो नए जिले बनने से आम जनता को राहत मिलेगी, लेकिन सरकार के सामने वित्तीय प्रबंधन बड़ी चुनौती है. जिला मुख्यालय पर हर साल 1000 करोड़ के करीब का खर्च आता है. इस प्रबंधन को सरकार कैसे पूरा करेगी, यह एक बड़ी चुनौती है.

आम जनता को मिलेगी राहत: पूर्व आईएएस राजेंद्र भाणावत ने कहा कि मुख्यमंत्री की ओर से शुक्रवार को विधानसभा में की गई घोषणा के अनुसार अब राजस्थान में 50 जिले हो जाएंगे. अभी 33 जिले थे, अब 19 की घोषणा की गई है. पहले 1-1 जिले बनने में कई साल लगते थे. उसके लिए लंबी मीटिंग होती थी. कमेटी बनती थी और उसके बाद जिले की घोषणा होती थी. लेकिन इस बार जिस तरह से अचानक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 19 जिलों की घोषणा करके सबको चौंका दिया है. इसे सब चुनावी घोषणा के रूप में देख रहे हैं. इसे मास्टर स्ट्रोक के रूप में बता रहे हैं. लेकिन उसको समझने की जरूरत है कि इसके जो लाभ हैं, वो आम जनता को देने वाले हैं.

पढ़ें: new districts in Rajasthan: RAS एसोसिएशन आया नए जिलों व संभाग की घोषणा के समर्थन में, कहा- मील का पत्थर बनेगा ये कदम

उन्होंने कहा कि राजस्थान भौगोलिक क्षेत्र के लिहाज से बड़ा क्षेत्र है. जिलों की दूरी ज्यादा है. जिससे प्रशासनिक स्तर पर उसके नियंत्रण में दिक्कत आती है और लोगों को राहत पहुंचाना कठिन होता है. नए जिले बनने से छोटी-छोटी प्रशासनिक इकाई बनीत है और अधिकारी वहां पर उपलब्ध हो, तो जनता की दृष्टि से बड़ा उपयोग होता है. इस दृष्टि से इसको सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन यही घोषणा सरकार बनने के एक दो साल में हो जाती, तो ज्यादा लाभ सरकार को भी मिलता और अब तक प्रक्रिया धरातल पर उत्तर आती.

पढ़ें: राजस्थान में नए जिले और संभाग की घोषणा से ये नेता हुए मजबूत, निर्दलीयों को भी मिली सौगात

इंफ्रास्ट्रक्चर की व्यवस्था: राजेंद्र भाणावत ने कहा कि नए जिलों को धरातल पर उतारने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर एक बड़ी चुनौती होगी. जिले में कलेक्टर, एसपी, जिला न्यायाधीश कार्यालय बनेंगे. जिला बनने के साथ ही जिला मुख्यालय के लिए बड़ा भवन चाहिए होता है. जिलों में 21 विभागों के अधिकारी नियमित काम करते हैं. उनकी सब व्यवस्था भी सरकार को करनी होगी. प्रशासनिक स्तर पर देखना होगा, क्योंकि एक बार का खर्च नहीं है. प्रतिवर्ष होने वाला खर्च होगा. इसकी व्यवस्था होगी, यह भी सोचने वाली बात है.

पढ़ें: Rathore targets CM Gehlot: राठौड़ ने सीएम को घेरा, कहा-प्रदेश की अर्थव्यवस्था बीमार, आईसीयू की ओर जा रही

वित्तीय प्रबंधन बड़ी चुनौती: पूर्व आईएएस दामोदर शर्मा ने कहा कि अब इसमें बड़ी चुनौती वित्तीय प्रबंधन की है. राजस्थान में भौगोलिक स्तर पर बड़ा परिवर्तन किया गया है. संभाग 7 से बढ़ाकर 10 जबकि जिलों की संख्या 33 से बढ़ाकर 50 कर दी गई है. इसमें कई दृष्टिकोण से देखें, तो विचार करने की आवश्यकता है. सबसे बड़ा मुद्दा है फाइनेंस का. वित्तीय दृष्टि से प्रत्येक जिले में पर हर साल 1000 करोड़ के बजट का खर्च आता है. अब 17000 करोड़ रुपए हर साल बढ़ेगा.

उन्होंने कहा कि अगर पब्लिक के हिसाब से देखा जाए तो उसमें लाभ होगा. जिला मुख्यालय पर लोग जाते हैं, कम दूरी तय करेंगे. अब लोगों की अपने प्रशासनिक स्तर पर पकड़ नजदीक होगी. लेकिन वित्तीय दृष्टि से जरूर भार पड़ेगा. इसका असर दो से तीन में साल में नजर आ जाएगा. उन्होंने कहा राजनीतिक दृष्टि से पक्ष-विपक्ष अपने-अपने तरीके से इसमें राजनीतिक लाभ देख रहे हैं, लेकिन पब्लिक को राहत देने वाला कदम है.

नए जिलों को लेकर क्या होगी सरकार के सामने चुनौती

जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले मास्टर स्ट्रोक खेलते हुए प्रदेश में 19 नए जिले और 3 संभाग की घोषणा की है. नए संभाग और जिलों की घोषणा के बाद पक्ष-विपक्ष ने अपनी-अपनी दलील दी है. इस बीच प्रशासनिक अधिकारियों की मानें तो नए जिले बनने से आम जनता को राहत मिलेगी, लेकिन सरकार के सामने वित्तीय प्रबंधन बड़ी चुनौती है. जिला मुख्यालय पर हर साल 1000 करोड़ के करीब का खर्च आता है. इस प्रबंधन को सरकार कैसे पूरा करेगी, यह एक बड़ी चुनौती है.

आम जनता को मिलेगी राहत: पूर्व आईएएस राजेंद्र भाणावत ने कहा कि मुख्यमंत्री की ओर से शुक्रवार को विधानसभा में की गई घोषणा के अनुसार अब राजस्थान में 50 जिले हो जाएंगे. अभी 33 जिले थे, अब 19 की घोषणा की गई है. पहले 1-1 जिले बनने में कई साल लगते थे. उसके लिए लंबी मीटिंग होती थी. कमेटी बनती थी और उसके बाद जिले की घोषणा होती थी. लेकिन इस बार जिस तरह से अचानक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 19 जिलों की घोषणा करके सबको चौंका दिया है. इसे सब चुनावी घोषणा के रूप में देख रहे हैं. इसे मास्टर स्ट्रोक के रूप में बता रहे हैं. लेकिन उसको समझने की जरूरत है कि इसके जो लाभ हैं, वो आम जनता को देने वाले हैं.

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उन्होंने कहा कि राजस्थान भौगोलिक क्षेत्र के लिहाज से बड़ा क्षेत्र है. जिलों की दूरी ज्यादा है. जिससे प्रशासनिक स्तर पर उसके नियंत्रण में दिक्कत आती है और लोगों को राहत पहुंचाना कठिन होता है. नए जिले बनने से छोटी-छोटी प्रशासनिक इकाई बनीत है और अधिकारी वहां पर उपलब्ध हो, तो जनता की दृष्टि से बड़ा उपयोग होता है. इस दृष्टि से इसको सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन यही घोषणा सरकार बनने के एक दो साल में हो जाती, तो ज्यादा लाभ सरकार को भी मिलता और अब तक प्रक्रिया धरातल पर उत्तर आती.

पढ़ें: राजस्थान में नए जिले और संभाग की घोषणा से ये नेता हुए मजबूत, निर्दलीयों को भी मिली सौगात

इंफ्रास्ट्रक्चर की व्यवस्था: राजेंद्र भाणावत ने कहा कि नए जिलों को धरातल पर उतारने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर एक बड़ी चुनौती होगी. जिले में कलेक्टर, एसपी, जिला न्यायाधीश कार्यालय बनेंगे. जिला बनने के साथ ही जिला मुख्यालय के लिए बड़ा भवन चाहिए होता है. जिलों में 21 विभागों के अधिकारी नियमित काम करते हैं. उनकी सब व्यवस्था भी सरकार को करनी होगी. प्रशासनिक स्तर पर देखना होगा, क्योंकि एक बार का खर्च नहीं है. प्रतिवर्ष होने वाला खर्च होगा. इसकी व्यवस्था होगी, यह भी सोचने वाली बात है.

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वित्तीय प्रबंधन बड़ी चुनौती: पूर्व आईएएस दामोदर शर्मा ने कहा कि अब इसमें बड़ी चुनौती वित्तीय प्रबंधन की है. राजस्थान में भौगोलिक स्तर पर बड़ा परिवर्तन किया गया है. संभाग 7 से बढ़ाकर 10 जबकि जिलों की संख्या 33 से बढ़ाकर 50 कर दी गई है. इसमें कई दृष्टिकोण से देखें, तो विचार करने की आवश्यकता है. सबसे बड़ा मुद्दा है फाइनेंस का. वित्तीय दृष्टि से प्रत्येक जिले में पर हर साल 1000 करोड़ के बजट का खर्च आता है. अब 17000 करोड़ रुपए हर साल बढ़ेगा.

उन्होंने कहा कि अगर पब्लिक के हिसाब से देखा जाए तो उसमें लाभ होगा. जिला मुख्यालय पर लोग जाते हैं, कम दूरी तय करेंगे. अब लोगों की अपने प्रशासनिक स्तर पर पकड़ नजदीक होगी. लेकिन वित्तीय दृष्टि से जरूर भार पड़ेगा. इसका असर दो से तीन में साल में नजर आ जाएगा. उन्होंने कहा राजनीतिक दृष्टि से पक्ष-विपक्ष अपने-अपने तरीके से इसमें राजनीतिक लाभ देख रहे हैं, लेकिन पब्लिक को राहत देने वाला कदम है.

Last Updated : Mar 18, 2023, 9:56 PM IST
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