जयपुर. आज 25 जून को आजाद भारत के इतिहास में आपातकाल दिवस के रूप जाना जाता है. 25 जून 1975 की रात 12 बजे रेडियो पर एक अनाउंसमेंट होता है, जिसमें कहा जाता है देश में आपातकाल लागु हो गया है. तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने भारतीय संविधान की अनुच्छेद 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा की थी. कहा जाता है कि फखरुद्दीन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर देश में आपातकाल लगाया था. 21 महीने तक रहे इस आपातकाल के दौरान एक लाख से अधिक लोगों को जेल बंद किया गया. बीजेपी इस दिन को आजाद भारत के इतिहास में कभी न मिटने वाला काला अध्याय बता कर हर वर्ष विरोध दिवस मनाती है. इस वर्ष भी केंद्र सरकार के 9 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में चल रहे कार्यक्रम के दौरान देश भर में आपातकाल को लेकर डॉक्यूमेंट्री दिखाई जाएगी. कैसा रहा आपातकाल का वो दौर इसको लेकर बीजेपी वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी से ईटीवी भारत ने खास बात की. तिवाड़ी आपात काल के समय जेल में बंद थे.
घनश्याम तिवाड़ी कहते हैं कि उसी समय बिहार में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में आंदोलन चल रहा था और भारत एक आंदोलनों के दौर से गुजर रहा था. 25 जून को 1975 को रामलीला मैदान में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में सभी विपक्षी दल एकजुट हो गए और उन्होंने रामलीला मैदान में बड़ी रैली की. उस रैली में जयप्रकाश नारायण ने आह्वान किया कि सरकार असंवैधानिक है, इसलिए इस असंवैधानिक सरकार का आदेश को नहीं माना जाए. इस बात को मुद्दा बनाकर 25 जून की रात को 12:00 बजे इंदिरा गांधी ने बिना मंत्रिमंडल की स्वीकृति लिए राष्ट्रपति से हस्ताक्षर कराकर देश में आपातकाल लागू कर दिया. सभी विपक्षीय नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया. प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी और संसद को सर्वोच्च करते हुए सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायिक अधिकार समाप्त कर दिए गए. ये वो दिन था जब 15 अगस्त 1947 को मिली आजादी को 25 जून 1975 को जेल में बंद कर दिया गया था.
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आपातकाल का मतलब न चालान, न वकील और न कोर्ट : घनश्याम तिवाड़ी बताते हैं कि आपातकाल जो लगाया गया उसमें दो कानून लागू किए डीआईआर और मीसा. डीआईआर का मतलब डिफेंस आफ इंडिया रूल्स उसमें लोगों को गिरफ्तार कर लिया और अधिकांश नेताओं को मेंटेनेंस आफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट यानि मीसा के अंतर्गत बंद कर लिया. इसका मतलब न दलील, न चालान, न वकील, न कोर्ट. तिवाड़ी बताते हैं कि आपातकाल लगाने का प्रावधान भारत के संविधान में लिखा है कि कभी विदेश का आक्रमण हो जाए और भारत में कभी आंतरिक गृह युद्ध हो जाये या कोई विद्रोही हो जाए तो उसको दबाने के लिए एक प्रावधान था. उस प्रावधान का दुरुपयोग करके तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसका उपयोग किया. लेकिन उसके बाद जब जनता पार्टी की सरकार बनी तो 44 वें संविधान संशोधन में यह संशोधन कर दिया कि देश में कभी आपातकाल नहीं लगेगा. आपातकाल किन परिस्थितियों में किस क्षेत्र में लगाया जा सकता है उसकी परिभाषा बनाई और उसके नियम बना दिए. इस कारण उसके बाद में आपातकाल नहीं लगा.
आपातकाल की वो यातना विधानसभाने दर्ज : सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि जब देश मे आपातकाल लागू हुआ तो 26 तारीख को मुझे सुबह गिरफ्तार किया गया, मैंने जेल की यातना सही. इसके बाद मैं भूमिगत हो गया, भूमिगत रहकर आंदोलन चलाया, फिर झुंझुनू में कोर्ट परिसर से मुझे पकड़कर बुरी तरह से मारा गया और अधमरा करके जेल में डाल दिया गया. मुझ पर मीसा का वारंट जारी किया गया. तिवाड़ी बताते हैं कि वो ही एक ऐसे व्यक्ति हैं जिसके बारे में राजस्थान की विधानसभा की प्रोसिडिंग में आपातकाल में दी गई यातना दर्ज किया गया. तिवाड़ी कहते हैं कि उसके बाद भी उनका जनसंघ को लेकर काम लगातार जारी रहा.
बीजेपी मनाती इस दिन को काला दिवस: आपातकाल को लेकर हमेशा से ही एग्रेसिव रही बीजेपी इस बार भी प्रदेशभर में कार्यक्रम आयोजित कर रही है. बीजेपी की ओर से जिला स्तर पर प्रबु़द्धजन सम्मेलन आयोजित किेए जा रहे हैं, जिसमें आपातकाल पर बनी डॉक्यूमेंट्री प्रदर्शित दिखाई जा रही है. घनश्याम तिवाड़ी कहते हैं कि 47 साल से लगातार उन लोगों का सम्मान करते हैं जो इस आपातकाल से पीड़ित है, इसके साथ ही युवा पीढ़ी को आपातकाल के बारे में जानकारी रहे इसके लिए लगातार कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. भविष्य में कोई इस प्रकार की हिमाकत न करे. लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान करने के लिए, लोकतंत्र की रक्षा के लिए, लोकतंत्र रक्षक आए और धर्म चक्र प्रवर्तनाय जो लोकसभा स्पीकर कुर्सी पर लिखा है. उसी की रक्षा के लिए बीजेपी इस दिन को मानाती है.