जयपुर. मिलेट्स सेक्टर में पर्यटन, स्टार्टअप और उद्यमियों के लिए बहुत स्कोप है. कुछ इसी मकसद को लेकर जयपुर में गुरुवार को राजस्थान मिलेट्स कॉन्क्लेव आयोजित किया गया. इस दौरान किसानों के लिए टेक्नोलॉजी लिंकेज प्रोग्राम पर सेशन हुए. कार्यक्रम के दौरान मोटे अनाज को पर्यटन के नजरिये से देखने पर बात हुई.
कार्यक्रम के अलग-अलग सेशन के बीच यह बात सामने आई कि मौजूदा दौर में अनुभवात्मक पर्यटन सैलानियों की दिलचस्पी का केंद्र बन रहा है. ऐसे में गांवों तक जाने वाले सैलानियों को मिलेट्स के साथ जोड़कर मोटे अनाज की लोकप्रियता को और आगे ले जाया जा सकता है. प्रदेश के लिहाज से अलग-अलग क्षेत्रों में मोटे अनाज की विशेषता के हिसाब से कलिनरी डेस्टिनेशन के रूप में प्रचारित करने पर बात हुई. इसके अलावा लोकप्रिय पर्यटन स्थलों पर स्ट्रीट फूड में बाजरे को शामिल करने पर भी जोर दिया गया.
स्टार्टअप में मिलेट्स की संभावना: मिलेट्स कॉन्क्लेव के दौरान प्रमुख शासन सचिव सहकारिता श्रेया गुहा ने कहा कि पर्यटन उद्योग और स्टार्टअप के क्षेत्र में मिलेट्स का लाभ उठाने के अच्छे अवसर हैं. कॉन्क्लेव में विचार रखा गया कि 6 वर्ष की आयु के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को ध्यान में रखते हुए न्यूट्रिशन वैल्यू के लिहाज से स्टार्टअप्स और ऑर्गेनिक व्यंजनों से तैयार उत्पादों को विकसित करने की अपार संभावना है.
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प्रमुख शासन सचिव ने कहा कि मिलेट्स हमेशा से राजस्थान के पारंपरिक आहार का एक हिस्सा रहा है और प्रदेश माटे अनाज में बाजरे का सबसे बड़ा उत्पादक है. इसके अलावा हमारे देश में दुनिया के कुल मोटे अनाज का 20 फीसदी हिस्सा उत्पादन होता है. जबकि भारत बाजरे का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है. उन्होंने बताया कि मोटे अनाज को कम पानी की जरुरत होती है, ऐसे में किसानों के लिहाज से भी इसका उत्पादन बेहतर ही कहा जाएगा. कार्यक्रम में फिक्की टास्क फोर्स ऑन मिलेट्स एंड डायरेक्टर सीड्स के चेयरमैन जितेंद्र जोशी ने कहा कि भारत का मिलेट उत्पादन में सबसे बड़े योगदानकर्ता के रूप में योगदान दुनिया जानती है. इसलिये मिलेट कॉन्क्लेव में राजस्थान की मिलेट वैल्यू चेन को आगे बढ़ाने पर बात हो रही है.
सरकार दे रही है योगदानः मोटे अनाज के उत्पादन और इसके उत्पादों को प्रोत्साहन देने के मकसद से प्रदेश में मिलेट मिशन प्रोग्राम जारी है. इसके तहत 100 प्राइमरी प्रोसेसिंग यूनिट्स की स्थापना के लिए 40 करोड़ रुपए के अनुदान का प्रावधान किया गया है. जोधपुर में 5 करोड़ रुपए के निवेश से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर मिलेट्स भी स्थापित किया जा रहा है. कार्यक्रम में इस बात पर जोर दिया गया कि मिलेट्स को राज्य के मेनस्ट्रीम टूरिज्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनना चाहिए.
मिलेट्स की सेल्फ लाइफ को बढ़ाने के लिए तकनीक और इसके जायके पर भी काम होना चाहिए. ताकि फास्ट फूड पर मोटे अनाज के खाद्य उत्पादों को लोकप्रियता मिल सके. मिलेट्स कॉन्क्लेव के दौरान मोटे अनाज की क्षमता का पता लगाने पर भी एक सेशन हुआ. इस दौरान मिले सुझावों में बताया गया कि बच्चों को मिलेट्स के स्वाद से परिचित कराने के लिए स्कूलों से शुरुआत करने की जरूरत है. वहीं यह प्रस्ताव भी आया कि होटल और रेस्तरां के मेन्यू में मिलेट्स शामिल कराने के लिए इससे जीएसटी हटा देना चाहिए.