ETV Bharat / state

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में राजस्थान अहम पड़ाव, यात्रा तक बयानबाजी पर कंट्रोल की कवायद

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा तीन दिसंबर को राजस्थान (Rahul Gandhi Bharat jodo yatra) पहुंचेगी. यात्रा करीब 15 दिन प्रदेश में रहेगी जिसकी तैयारी को लेकर इंतजाम किए जा रहे हैं. वहीं नेताओं के बीच हो रही बयानबाजी को दिसंबर तक कंट्रोल करने के लिए नसीहत भी दी जा रही है.

Rahul Gandhi Bharat jodo yatra
Rahul Gandhi Bharat jodo yatra
author img

By

Published : Nov 9, 2022, 9:22 PM IST

जयपुर. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर (Rahul Gandhi Bharat jodo yatra) तैयारियां तेज हो गई हैं. जाहिर है भारत जोड़ो यात्रा में राजस्थान राहुल गांधी के लिए अहम पड़ाव वाला राज्य होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि कन्याकुमारी से कश्मीर तक के सफर में सिर्फ राजस्थान में ही फिलहाल कांग्रेस का राज है. लिहाजा राहुल यहां से पूरे देश में अलग अंदाज में पैगाम पहुंचाना चाहेंगे. यही वजह है कि यात्रा की तैयारियों से पहले राजस्थान आए यात्रा प्रभारी विभाकर शास्त्री ने इशारे-इशारे में अनुशासनहीनता करने वालों पर नजर रखे जाने की बात भी कह दी.

राहुल गांधी अपने सफ़र में 2 हफ्ते से भी ज्यादा का वक्त राजस्थान में (preparation of Bharat jodo yatra) गुजारने वाले हैं. इससे पहले कांग्रेस के सामने नेताओं के बीच हो रही बयानबाजी भी एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है. मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर यात्रा के लिये राजस्थान के प्रभारी विभाकर शास्त्री ने इस सिलसिले में प्रस्तावित कार्यक्रम भी साझा किया था जिसके मुताबिक भारत जोड़ो यात्रा 3 दिसंबर को मध्य प्रदेश से राजस्थान में प्रवेश करेगी. यह यात्रा रात 9 बजे झालावाड़ पहुंचेगी.

Rahul Gandhi Bharat jodo yatra
भारत जोड़ो यात्रा

पढ़ें. CM गहलोत ने की भारत जोड़ो यात्रा की तारीफ, PM के मानगढ़ कार्यक्रम पर दिया ये बड़ा बयान

कांग्रेस पार्टी ने जो कार्यक्रम जारी किया है उसके मुताबिक राहुल गांधी की यात्रा झालावाड़ से कोटा, बारां, सवाई माधोपुर, दौसा, अलवर जिले से होते हुए दिल्ली की ओर जाएगी. संभावना यह भी है कि गुर्जर समाज में सचिन पायलट प्रकरण को लेकर दिख रही नाराजगी के तहत आखिरी मौके पर रूट में बदलाव कर पूर्वी राजस्थान से अलग रूट से यात्रा का कारवां दिल्ली की तरफ रुख कर सकता है.

15 दिन राजस्थान में रहेगी यात्रा
राहुल गांधी को भारत जोड़ो यात्रा के पहले चरण में आगे कश्मीर तक जाना है. राजस्थान में राहुल की यात्रा 18 दिसंबर तक यानी पूरे 15 दिन रहेगी. ऐसे में यात्रा का रूट और वक्त दोनों ही काफी अहम होंगे. जिस तरह प्रदेश कांग्रेस में मुख्यमंत्री और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष की तकरार दिख रही है. उसी तरह सत्ता के सेमीफाइनल के रूप में सरदारशहर का उपचुनाव भी सभी के सामने होगा. इस बीच रूट में बदलाव की बातें भी हो रही है जिसके पीछे माना जा रहा है कि अजमेर में कर्नल बैंसला के अस्थि विसर्जन कार्यक्रम के दौरान गुर्जर समाज की तरफ से पायलट प्रकरण को लेकर जिस तरह से असंतोष जाहिर किया गया था समाज में उसका असर गहरा देखने को मिला है.

पढ़ें. जयपुर में भारत जोड़ो यात्रा : डोटासरा, वैभव गहलोत और प्रताप बोले- देश राहुल गांधी के साथ, वैमनस्यता से छुटकारा जरूरी

राहुल के रूट में गुर्जर बाहुल्य जिले
राजस्थान में संभावित यात्रा के कार्यक्रम के मुताबिक राहुल गांधी का कारवां जिन जिलों से गुजरेगा उनमें से ज्यादातर गुर्जर बाहुल्य है. इनमें गुर्जर आरक्षण आंदोलन से प्रभावित लालसोट, सिकंदरा, बांदीकुई जैसे उपखंड भी आते हैं. हालांकि राजस्थान कांग्रेस शासित प्रदेश है और यात्रा के शांतिपूर्ण तरीके से गुजरने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की है, लेकिन इन दिनों सीएम और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच जो मनमुटाव चल रहा है उसे देखते हुए कई आशंकाएं भी व्यक्त की जा रही हैं. पिछले दिनों ही पुष्कर में गुर्जर समाज के एक कार्यक्रम में सीएम गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत और कई मंत्रियों को बोलने भी नहीं दिया गया था.

पढ़ें. भारत जोड़ो यात्रा का रूट चार्ट तैयार करने दौसा पहुंचे चार मंत्री, राहुल गांधी के पीएम बनने का किया दावा

सीएम से नाराज गुर्जर समाज
हंगामे के कारण वैभव गहलोत के साथ ही पुष्कर गईं उद्योग मंत्री शकुंतला रावत (गुर्जर), आरटीडीसी के चेयरमैन धर्मेन्द्र राठौड़ भाषण दिए बगैर ही लौट गए थे. खेल मंत्री अशोक चांदना के तो मंच पर विवाद भी हो गया. जाहिर है कि फिलहाल गुर्जर समाज कांग्रेस के साथ होकर भी विरोध में है. इसके पहले अगर साल 2018 के विधानसभा चुनाव पर गौर करें तो भाजपा का एक भी गुर्जर उम्मीदवार चुनाव नहीं जीता, वहीं कांग्रेस से 7 गुर्जर विधायक बने.

इसके पहले 2013 में भाजपा ने 10 गुर्जरों को टिकट दिए थे. इनमें से 9 जीते थे. वहीं कांग्रेस ने 11 गुर्जर प्रत्याशियों को टिकट दिए जिनमें से सिर्फ चार ही जीते. मतलब साफ है कि 2018 में कांग्रेस की ओर बड़ी संख्या में गुर्जर बाहुल्य इलाकों का वोट बैंक शिफ्ट हुआ था जिसका नतीजा रहा कि पूर्वी राजस्थान में कांग्रेस ने लीड ली. गुर्जर बाहुल्य आबादी वाले जिले करौली, सवाई माधोपुर, जयपुर, टोंक, भरतपुर, दौसा, कोटा, धौलपुर, भीलवाड़ा, बूंदी, झुंझनू और अजमेर में कांग्रेस के लिये राह कमोबेश आसान ही रही. ऐसे में अब तक कांग्रेस यात्रा का रूट फाइनल नहीं कर पाई है. इस सिलसिले में प्रदेश के नेताओं के साथ मंथन के बाद आखिरी मौके पर तस्वीर साफ हो सकती है.

जयपुर. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर (Rahul Gandhi Bharat jodo yatra) तैयारियां तेज हो गई हैं. जाहिर है भारत जोड़ो यात्रा में राजस्थान राहुल गांधी के लिए अहम पड़ाव वाला राज्य होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि कन्याकुमारी से कश्मीर तक के सफर में सिर्फ राजस्थान में ही फिलहाल कांग्रेस का राज है. लिहाजा राहुल यहां से पूरे देश में अलग अंदाज में पैगाम पहुंचाना चाहेंगे. यही वजह है कि यात्रा की तैयारियों से पहले राजस्थान आए यात्रा प्रभारी विभाकर शास्त्री ने इशारे-इशारे में अनुशासनहीनता करने वालों पर नजर रखे जाने की बात भी कह दी.

राहुल गांधी अपने सफ़र में 2 हफ्ते से भी ज्यादा का वक्त राजस्थान में (preparation of Bharat jodo yatra) गुजारने वाले हैं. इससे पहले कांग्रेस के सामने नेताओं के बीच हो रही बयानबाजी भी एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है. मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर यात्रा के लिये राजस्थान के प्रभारी विभाकर शास्त्री ने इस सिलसिले में प्रस्तावित कार्यक्रम भी साझा किया था जिसके मुताबिक भारत जोड़ो यात्रा 3 दिसंबर को मध्य प्रदेश से राजस्थान में प्रवेश करेगी. यह यात्रा रात 9 बजे झालावाड़ पहुंचेगी.

Rahul Gandhi Bharat jodo yatra
भारत जोड़ो यात्रा

पढ़ें. CM गहलोत ने की भारत जोड़ो यात्रा की तारीफ, PM के मानगढ़ कार्यक्रम पर दिया ये बड़ा बयान

कांग्रेस पार्टी ने जो कार्यक्रम जारी किया है उसके मुताबिक राहुल गांधी की यात्रा झालावाड़ से कोटा, बारां, सवाई माधोपुर, दौसा, अलवर जिले से होते हुए दिल्ली की ओर जाएगी. संभावना यह भी है कि गुर्जर समाज में सचिन पायलट प्रकरण को लेकर दिख रही नाराजगी के तहत आखिरी मौके पर रूट में बदलाव कर पूर्वी राजस्थान से अलग रूट से यात्रा का कारवां दिल्ली की तरफ रुख कर सकता है.

15 दिन राजस्थान में रहेगी यात्रा
राहुल गांधी को भारत जोड़ो यात्रा के पहले चरण में आगे कश्मीर तक जाना है. राजस्थान में राहुल की यात्रा 18 दिसंबर तक यानी पूरे 15 दिन रहेगी. ऐसे में यात्रा का रूट और वक्त दोनों ही काफी अहम होंगे. जिस तरह प्रदेश कांग्रेस में मुख्यमंत्री और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष की तकरार दिख रही है. उसी तरह सत्ता के सेमीफाइनल के रूप में सरदारशहर का उपचुनाव भी सभी के सामने होगा. इस बीच रूट में बदलाव की बातें भी हो रही है जिसके पीछे माना जा रहा है कि अजमेर में कर्नल बैंसला के अस्थि विसर्जन कार्यक्रम के दौरान गुर्जर समाज की तरफ से पायलट प्रकरण को लेकर जिस तरह से असंतोष जाहिर किया गया था समाज में उसका असर गहरा देखने को मिला है.

पढ़ें. जयपुर में भारत जोड़ो यात्रा : डोटासरा, वैभव गहलोत और प्रताप बोले- देश राहुल गांधी के साथ, वैमनस्यता से छुटकारा जरूरी

राहुल के रूट में गुर्जर बाहुल्य जिले
राजस्थान में संभावित यात्रा के कार्यक्रम के मुताबिक राहुल गांधी का कारवां जिन जिलों से गुजरेगा उनमें से ज्यादातर गुर्जर बाहुल्य है. इनमें गुर्जर आरक्षण आंदोलन से प्रभावित लालसोट, सिकंदरा, बांदीकुई जैसे उपखंड भी आते हैं. हालांकि राजस्थान कांग्रेस शासित प्रदेश है और यात्रा के शांतिपूर्ण तरीके से गुजरने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की है, लेकिन इन दिनों सीएम और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच जो मनमुटाव चल रहा है उसे देखते हुए कई आशंकाएं भी व्यक्त की जा रही हैं. पिछले दिनों ही पुष्कर में गुर्जर समाज के एक कार्यक्रम में सीएम गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत और कई मंत्रियों को बोलने भी नहीं दिया गया था.

पढ़ें. भारत जोड़ो यात्रा का रूट चार्ट तैयार करने दौसा पहुंचे चार मंत्री, राहुल गांधी के पीएम बनने का किया दावा

सीएम से नाराज गुर्जर समाज
हंगामे के कारण वैभव गहलोत के साथ ही पुष्कर गईं उद्योग मंत्री शकुंतला रावत (गुर्जर), आरटीडीसी के चेयरमैन धर्मेन्द्र राठौड़ भाषण दिए बगैर ही लौट गए थे. खेल मंत्री अशोक चांदना के तो मंच पर विवाद भी हो गया. जाहिर है कि फिलहाल गुर्जर समाज कांग्रेस के साथ होकर भी विरोध में है. इसके पहले अगर साल 2018 के विधानसभा चुनाव पर गौर करें तो भाजपा का एक भी गुर्जर उम्मीदवार चुनाव नहीं जीता, वहीं कांग्रेस से 7 गुर्जर विधायक बने.

इसके पहले 2013 में भाजपा ने 10 गुर्जरों को टिकट दिए थे. इनमें से 9 जीते थे. वहीं कांग्रेस ने 11 गुर्जर प्रत्याशियों को टिकट दिए जिनमें से सिर्फ चार ही जीते. मतलब साफ है कि 2018 में कांग्रेस की ओर बड़ी संख्या में गुर्जर बाहुल्य इलाकों का वोट बैंक शिफ्ट हुआ था जिसका नतीजा रहा कि पूर्वी राजस्थान में कांग्रेस ने लीड ली. गुर्जर बाहुल्य आबादी वाले जिले करौली, सवाई माधोपुर, जयपुर, टोंक, भरतपुर, दौसा, कोटा, धौलपुर, भीलवाड़ा, बूंदी, झुंझनू और अजमेर में कांग्रेस के लिये राह कमोबेश आसान ही रही. ऐसे में अब तक कांग्रेस यात्रा का रूट फाइनल नहीं कर पाई है. इस सिलसिले में प्रदेश के नेताओं के साथ मंथन के बाद आखिरी मौके पर तस्वीर साफ हो सकती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.