जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकार की ओर से पारिवारिक न्यायालय के क्षेत्राधिकार को कम कर एडीजे कोर्ट को देने पर (changing jurisdiction of family court) राज्य सरकार और हाइकोर्ट प्रशासन को नोटिस (Rajasthan Highcourt Notice) जारी किया है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस वीके भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश पारिवारिक न्यायालय बार एसोसिएशन की जनहित याचिका पर दिए.
याचिका में कहा गया कि पारिवारिक न्यायालय अधिनियम 1984 में लागू हुआ था जिसके अनुसार हर जिले में एक पारिवारिक न्यायालय की स्थापना करनी होगी. जयपुर में वर्तमान में पांच पारिवारिक न्यायालय हैं. राज्य सरकार ने 24 अगस्त 2022 को एक अधिसूचना जारी कर गांधीनगर स्थित पारिवारिक न्यायालय से मानसरोवर मालवीय नगर जगतपुरा गोपालपुरा बायपास टोंक रोड का क्षेत्राधिकार एडीजे कोर्ट सांगानेर को दिया है, जो कानून के विरुद्ध है.
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पारिवारिक न्यायालय में परिवार के मामले ही सुने जा सकते हैं ताकि मुकदमों का निस्तारण जल्दी हो. पारिवारिक न्यायालय में काउंसलर भी नियुक्त किए जाएं ताकि वह दोनों पक्षों को समझाइश करके परिवार को बचा सकें. सांगानेर एडीजे कोर्ट में पक्षकारों के बैठने के लिए कोई स्थान नहीं है तथा दोनों न्यायालयों में पहले से ही बहुत अधिक मुकदमे लंबित हैं. वहां पर काउंसलिंग रूम भी नहीं है. इससे पहले भी 2015 में भी ऐसी ही अधिसूचना जारी की गई थी.
तब बार एसोसिएशन की आपत्तियों को स्वीकार करते हुए 2016 में अधिसूचना वापस ले ली थी. सरकार ने पारिवारिक न्यायालय परिसर के नजदीक चार हजार गज जमीन आवंटित की है. जिसके नक्शे हाईकोर्ट की बिल्डिंग कमेटी के समक्ष प्रस्तुत किए जा चुके हैं और अतिशीघ्र ही परिसर में बहुमंजिला पारिवारिक न्यायालय भवन बन जाएगा. ऐसे में कोर्ट का क्षेत्राधिकार कम करने के फैसले को रद्द किया जाए.