जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रमुख शिक्षा सचिव और प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को सात अक्टूबर को अदालत में रिकॉर्ड सहित हाजिर होने के आदेश दिए हैं. अदालत ने दोनों अधिकारियों से पूछा है कि जिन स्कूलों में विशेष विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं, उन स्कूलों में विशेष शिक्षक नियुक्त करने के क्या प्रावधान है?. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस प्रवीर भटनागर की खंडपीठ ने यह आदेश विशेष योग्यजन कल्याण और पुनर्वास समिति की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि केंद्र सरकार के प्रावधानों के तहत विशेष योग्यजन विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए स्कूल में विशेष शिक्षक नियुक्त होना चाहिए. राज्य सरकार ने विशेष योग्यजन विद्यार्थियों के लिए अलग से स्कूल स्थापित किए हैं, लेकिन वह काफी कम हैं. ऐसे में राज्य सरकार को निर्देश दिए जाएं कि ऐसे विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए हर स्कूल में विशेष शिक्षक लगाए जाएं या हर इलाके में कम से कम एक विशेष स्कूल की स्थापना की जाए.
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वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जिन सामान्य स्कूलों में कम से कम पांच विशेष योग्यजन विद्यार्थी हैं, वहां विशेष शिक्षक नियुक्त किए जाते हैं. इसके अलावा एक अन्य विशेष विद्यार्थी के परिजन की ओर से अधिवक्ता प्रहलाद शर्मा ने प्रार्थना पत्र दायर कर कहा कि सांगानेर तहसील में ऐसी अलग से कोई स्कूल नहीं है और न ही इस क्षेत्र की सरकारी स्कूलों में विशेष शिक्षक नियुक्त हैं. राज्य सरकार की नीति के चलते यदि किसी स्कूल में पांच से कम विशेष विद्यार्थी हैं तो वहां विशेष शिक्षक नहीं है. ऐसे में इन स्कूलों में ऐसे विद्यार्थियों का पढ़ने का अधिकार का हनन हो रहा है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने दोनों अधिकारियों को रिकॉर्ड सहित हाजिर होकर इस संबंध में जानकारी देने को कहा है.