जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि अनुकंपा नियुक्ति के लिए किए गए आवेदन के लंबित रहने के दौरान आवेदनकर्ता पुत्री के शादी करने पर उसे नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा (compassionate appointment to Married daughter) सकता. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह याचिकाकर्ता को तीन माह में सभी परिलाभों के साथ अनुकंपा नियुक्ति दे. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश काक्षमा चतुर्वेदी की याचिका पर दिए.
अदालत ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन करते समय याचिकाकर्ता अविवाहित थी और उसने आवेदन करने के करीब एक साल बाद विवाह किया था. इसके अलावा हाईकोर्ट तय कर चुका है कि विवाहित बेटी की अनुकंपा नियुक्ति की हकदार है. याचिका में अधिवक्ता सुनील समदडिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के द्वितीय श्रेणी शिक्षक पिता की नवंबर 2008 में मौत हो गई थी. इस पर याचिकाकर्ता ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था.
वहीं आवेदन लंबित रहने के दौरान दिसंबर 2009 में उसने विवाह कर लिया. इसके करीब चार साल में भी अनुकंपा नियुक्ति नहीं देने पर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियुक्ति दिलाने की गुहार की. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता के विवाहित होने के कारण उसे अनुकंपा नियुक्ति नहीं दे सकते. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को तीन माह में समस्त परिलाभों सहित नियुक्ति देने के आदेश दिए हैं.