जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को अंतरिम आदेश देते हुए कहा है कि प्रकरण के निस्तारण तक होमगार्ड कल्याण कोष में जमा राशि का उपयोग होमगार्ड के लिए ही किया जाए. इसके अलावा यह सुनिश्चित किया जाए कि एक भी पैसा अन्य गतिविधियों में खर्च नहीं हो. जस्टिस महेन्द्र गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश होमगार्ड समन्वय समिति की याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता डॉ. अभिनव शर्मा ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार की ओर से प्रदेश के दैनिक वेतन भोगी हजारों होमगार्ड के वेतन से प्रतिवर्ष राशि लेकर होमगार्ड कल्याण कोष बनाया गया है. इसमें होमगार्ड और उसके परिवार के कल्याण के लिए दैनिक वेतन से दस फीसदी राशि का संग्रहण किया जाता है, लेकिन इस फंड की कोई ऑडिट नहीं की जाती. इस कोष में करोड़ों रुपए की राशि जमा हो चुकी है. वहीं होमगार्ड से जुड़े आलाधिकारी भी नाममात्र का अंशदान कर इस फंड के सदस्य बन जाते हैं. फंड में जमा धनराशि का उपयोग होमगार्ड कल्याण के बजाए विभाग में फर्नीचर खरीद, कार पार्किंग के शेड निर्माण और गणतंत्र दिवस के कार्यक्रमों आदि पर खर्च किया जा रहा है.
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अधिवक्ता अभिनव शर्मा ने अदालत को बताया कि इस राशि को होमगार्ड के प्रोविडेंट फंड में हस्तांतरित करने के लिए बाध्य होने के बावजूद भी सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. वहीं भविष्य निधि विभाग भी मान चुका है कि इसके लिए पिछले एक दशक से राज्य सरकार से पत्राचार किया जा रहा है. याचिका में कहा गया कि पीएफ में राशि जमा नहीं कराने पर दंड का प्रावधान है, लेकिन सरकार की ओर से यह राशि जमा नहीं कराई जा रही है. इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने कहा है कि याचिका के लंबित रहने के दौरान इस कोष में जमा राशि का अन्य उपयोग नहीं किया जाए.