जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने लापता व्यक्ति की बरामदगी के मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि किसी प्रकरण की निष्पक्ष और शीघ्र जांच की मांग करना व्यक्ति का मौलिक अधिकार है. फिर चाहे वह पीड़ित के साथ आरोपी ही क्यों न हो. इसके साथ ही अदालत ने संबंधित पुलिस अधीक्षक को कहा है कि वह जांच अधिकारी को मामले की जांच निष्पक्ष और शीघ्रता से करने और जल्द से जल्द जांच का परिणाम पेश करने के संबंध में निर्देश दें. वहीं अदालत ने याचिकाकर्ता को कहा कि वह इस संबंध में पुलिस अधीक्षक को अभ्यावेदन पेश करे. जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश बालकृष्ण जसवानी की याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता हितेष बागड़ी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता का बेटा मनोज जसवानी 12 अक्टूबर 2021 को रोजाना की तरह दुकान जाने के लिए घर से निकला था. लेकिन न तो वह दुकान पहुंचा और न ही वापस लौटकर घर आया. परिजनों ने उसकी कई जगह तलाश की, लेकिन उसका कोई पता नहीं चला. ऐसे में याचिकाकर्ता ने 13 अक्टूबर को भट्टा बस्ती थाने में गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज कराई. याचिका में कहा गया कि गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज कराए करीब एक साल तीन माह से अधिक का समय हो गया है, लेकिन पुलिस की ओर से कोई प्रभावी जांच नहीं की जा रही हैं.
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लापता व्यक्ति के वृद्ध माता-पिता और पत्नी के साथ ही तीन छोटी बेटियां हैं. जिनके जीवन यापन की जिम्मेदारी लापता पर ही थी. याचिकाकर्ता के बेटे के लापता होने के कारण अब घर में कोई कमाने वाला नहीं है. ऐसे में परिवार को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में पुलिस को निर्देश दिए जाएं कि वह मामले में निष्पक्ष और प्रभावी जांच कर लापता की बरामदगी करें. जिस पर सुनवाई करते हुए पुलिस ने संबंधित पुलिस अधीक्षक को दिशा-निर्देश जारी किए हैं.