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Rajasthan High Court order: हाइकोर्ट ने डॉ. देवस्वरूप की वाइस चांसलर के पद हुई नियुक्ति को किया रद्द - ईटीवी भारत राजस्थान न्यूज

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते (Rajasthan High Court quashes the appointment) हुए वीसी के तौर पर डॉ. देवस्वरूप को दी गई नियुक्ति को रद्द कर दिया है.

Rajasthan High Court quashes the appointment,  Rajasthan High Court order
राजस्थान हाइकोर्ट ने दिए आदेश.
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Published : Feb 24, 2023, 9:09 PM IST

Updated : Feb 25, 2023, 12:15 AM IST

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने डॉ. भीमराव आम्बेडर विधि विश्वविद्यालय में वीसी के तौर पर डॉ. देवस्वरूप को दी गई नियुक्ति को रद्द कर दिया है. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश प्रोफेसर केबी अग्रवाल की जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए दिए. हालांकि देवस्वरूप 26 दिसंबर को त्यागपत्र दे चुके हैं.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि विधि विश्वविद्यालय के कुलपति को विधि शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव रहने वाला होना चाहिए. यह एकल विषय का विश्वविद्यालय है, ऐसे में अन्य एकल विषय के विश्वविद्यालयों जैसे मेडिकल और कृषि विवि की जैसे विधि विवि के कुलपति को कानून शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव रखने वाला ही होना चाहिए. अदालत ने कहा कि वे विवि के अधिनियम की धारा 11(17)की वैधता के पहलु पर नहीं जा रहे हैं, लेकिन धारा 11(2) में निहित प्रावधानों को देखते हुए नियुक्ति रद्द कर रहे हैं.

पढ़ेंः Congress MLAs resignation case: कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा प्रकरण में सुनवाई छह सप्ताह टली

याचिका में अधिवक्ता सुनील समदड़िया ने कहा कि देव स्वरूप को 27 फरवरी 2020 को भीमराव आम्बेडर विधि विश्वविद्यालय का वीसी नियुक्त किया गया है. जबकि उनका शैक्षणिक बैकग्राउंड कानून का नहीं रहा है और ना ही उन्हें कानूनी शिक्षा देने का अनुभव है. इसके अलावा याचिका में विवि के अधिनियम की धारा 11(2) और धारा 11(17) के प्रावधानों को चुनौती देते हुए कहा गया कि धारा 11(2) के तहत किसी भी एकेडमिक बैकग्राउंड वाले व्यक्ति को विवि का वीसी नियुक्त करना गलत है. याचिका में कहा गया कि देश की सभी नेशनल लॉ युनिवर्सिटीज में वीसी लॉ प्रोफेसर या एक्सपर्ट ही बन सकता है. यहां तक कि इनमें कुलपति वहां के राज्यपाल न होकर संबंधित हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश होते हैं.

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने डॉ. भीमराव आम्बेडर विधि विश्वविद्यालय में वीसी के तौर पर डॉ. देवस्वरूप को दी गई नियुक्ति को रद्द कर दिया है. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश प्रोफेसर केबी अग्रवाल की जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए दिए. हालांकि देवस्वरूप 26 दिसंबर को त्यागपत्र दे चुके हैं.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि विधि विश्वविद्यालय के कुलपति को विधि शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव रहने वाला होना चाहिए. यह एकल विषय का विश्वविद्यालय है, ऐसे में अन्य एकल विषय के विश्वविद्यालयों जैसे मेडिकल और कृषि विवि की जैसे विधि विवि के कुलपति को कानून शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव रखने वाला ही होना चाहिए. अदालत ने कहा कि वे विवि के अधिनियम की धारा 11(17)की वैधता के पहलु पर नहीं जा रहे हैं, लेकिन धारा 11(2) में निहित प्रावधानों को देखते हुए नियुक्ति रद्द कर रहे हैं.

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याचिका में अधिवक्ता सुनील समदड़िया ने कहा कि देव स्वरूप को 27 फरवरी 2020 को भीमराव आम्बेडर विधि विश्वविद्यालय का वीसी नियुक्त किया गया है. जबकि उनका शैक्षणिक बैकग्राउंड कानून का नहीं रहा है और ना ही उन्हें कानूनी शिक्षा देने का अनुभव है. इसके अलावा याचिका में विवि के अधिनियम की धारा 11(2) और धारा 11(17) के प्रावधानों को चुनौती देते हुए कहा गया कि धारा 11(2) के तहत किसी भी एकेडमिक बैकग्राउंड वाले व्यक्ति को विवि का वीसी नियुक्त करना गलत है. याचिका में कहा गया कि देश की सभी नेशनल लॉ युनिवर्सिटीज में वीसी लॉ प्रोफेसर या एक्सपर्ट ही बन सकता है. यहां तक कि इनमें कुलपति वहां के राज्यपाल न होकर संबंधित हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश होते हैं.

Last Updated : Feb 25, 2023, 12:15 AM IST
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