जयपुर. राज्य सरकार की ओर से प्रदेश में जातिगत सर्वे कराने को लेकर लिए गए निर्णय के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका पेश की गई है. पूर्व न्यायिक अधिकारी शिवचरण गुप्ता की ओर से दायर इस जनहित याचिका में प्रमुख सामाजिक न्याय सचिव और प्रमुख आयोजना और सांख्यिकी सचिव को पक्षकार बनाया गया है. जनहित याचिका पर हाईकोर्ट की खंडपीठ आगामी दिनों में सुनवाई करेगी.
जनहित याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने गत दिनों निर्णय लेकर प्रदेश में जातिगत सर्वे कराने का निर्णय लिया है. राज्य सरकार सर्वे की आड़ में जातिगत जनगणना कराना चाहती है, जो केन्द्र सरकार का विषय है. इसके अलावा जातिगत सर्वे संविधान की मूल आत्मा के भी खिलाफ है. यह संविधान में बताए गए समानता के अधिकार के विरुद्ध भी है. जातिगत सर्वे के बाद जब इसके परिणाम जारी किए जाएंगे तो इससे समाज के वर्गों के बीच वैमनस्यता भी बढ़ेगी. याचिका में आरोप लगाया गया कि वर्तमान सरकार आगामी विधानसभा चुनाव में जाति विशेष से चुनावी फायदा लेने के लिए जातिगत सर्वे करा रही है, इसलिए चुनावी सर्वे के आदेश पर रोक लगाई जाए.
ये है मामला : बता दें कि कैबिनेट ने गत दिनों इस संबंध में निर्णय लेकर प्रदेश में जातिगत सर्वेक्षण कराने का फैसला लिया था. इसके बाद सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी किया था. इसके तहत आयोजना विभाग को नोडल एजेन्सी के तौर पर जिम्मेदारी दी गई है. आयोजना विभाग सर्वे के लिए प्रश्नावली तैयार करेगा और उसके आधार पर विभिन्न सरकारी विभागों के कर्मचारियों के जरिए जातिगत सर्वे का काम पूरा किया जाएगा. सर्वे में मिली सूचनाओं को डीओआईटी की ओर से ऑनलाइन फीड किया जाएगा. इसके लिए अलग से विशेष सॉफ्टवेयर और मोबाइल एप भी बनाया जाएगा.