जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के बावजूद भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की ओर से जमीन से जुडे़ मामले की प्रारंभिक जांच पूरी नहीं करने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने 30 अगस्त को अतिरिक्त मुख्य गृह सचिव को हाजिर होने के आदेश दिए हैं. अदालत ने एसीएस से यह स्पष्टीकरण देने को कहा है कि करीब डेढ़ साल बीतने के बाद भी कोर्ट के आदेश की अब तक पालना क्यों नहीं की गई. जस्टिस महेंद्र गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश रामबाबू की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यदि इस दौरान आदेश की पालना कर ली जाती है, तो एसीएस को कोर्ट में पेश होने की जरुरत नहीं है. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से आदेश की पालना के लिए एक सप्ताह का समय मांगा गया. इस पर अदालत ने कहा कि अदालत ने करीब डेढ़ साल पहले आदेश दिए थे, लेकिन अब तक मामले में एसीबी ने प्रारंभिक जांच पूरी नहीं की है. ऐसे में एसीएस गृह से इस संबंध में स्पष्टीकरण लेना उचित रहेगा.
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अवमानना याचिका में अधिवक्ता रमाकांत गौतम ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता और अन्य खातेदारों की शहर के केशवपुरा में शामलाती जमीन है. जिसका अभी तक बंटवारा नहीं हुआ है. बिना बंटवारा हुए खातेदार संयुक्त रूप से पूरी जमीन पर ही अपना स्वामित्व रखते हैं. इसके बावजूद एक खातेदार ने जेडीए के अधिकारियों से मिलीभगत कर मुख्य रोड की जमीन को अपने हिस्से की बताकर उसकी 90बी करवा ली और उस पर प्लॉट काट दिए.
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इस कार्रवाई के दौरान जेडीए की ओर से याचिकाकर्ता सहित अन्य खातेदारों से आपत्ति भी नहीं मांगी गई. याचिकाकर्ता ने जेडीए अधिकारियों की मिलीभगत को लेकर मामले की जांच कराने के लिए एसीबी में परिवाद पेश किया था, लेकिन एसीबी ने उस पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की. इस पर याचिकाकर्ता की ओर से पूर्व में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर एसीबी को परिवाद पर प्रारंभिक जांच पूरी करने के निर्देश देने की गुहार की थी.
जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने 13 सितंबर, 2021 को एसीबी को मामले की प्रारंभिक जांच पूरी करने को कहा था. याचिका में कहा गया कि अदालती आदेश के बावजूद भी एसीबी ने अब तक जांच पूरी नहीं की है. इसलिए दोषी अधिकारियों को दंडित किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने जांच पूरी नहीं होने पर एसीएस गृह को पेश होने के आदेश दिए हैं.