जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पृथ्वीराज नगर में सोसायटी पट्टों पर बिजली के कनेक्शन जारी नहीं करने के मामले में जेवीवीएनएल के प्रबंध निदेशक और सतर्कता प्रमुख को अन्य सक्षम अधिकारियों के साथ 23 मई को रिकॉर्ड सहित हाजिर होने के आदेश दिए हैं. अदालत ने दोनों अधिकारियों से पूछा है कि पूर्व में दिए आदेश की पालना क्यों नहीं की गई है?. इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि गत 31 मार्च को दिए आदेश की पालना में प्रबंध निदेशक शपथ पत्र पेश कर बताएं कि पृथ्वीराज नगर योजना में ऐसे कितने बिजली कनेक्शन जारी किए जा चुके हैं, जिनके पास जेडीए का पट्टा या लीज डीड नहीं है.
वहीं अदालत ने यह भी पूछा है कि जेवीवीएनएल कच्ची बस्तियों में किस नियम और पॉलिसी के तहत अस्थाई बिजली कनेक्शन स्वीकृत करता है. इसके साथ ही अदालत ने महेन्द्र शांडिल्य और पीएन भंडारी को मामले में न्यायमित्र नियुक्त किया है. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश अनंत कासलीवाल व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए. सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि अदालत ने पूर्व में आदेश जारी कर 14 फरवरी, 2022 को हुई मीटिंग का ब्यौरा मांगा था, लेकिन अब तक यह ब्यौरा पेश नहीं किया गया. एक बार फिर निर्देश दिए जा रहे हैं कि इस बैठक का ब्यौरा अदालत में पेश किया जाए, वरना इसके प्रति अपना प्रतिकूल रुख अपनाएगा. वहीं बार अध्यक्ष महेन्द्र शांडिल्य ने अदालत को बताया कि जेवीवीएनएल की ओर से अपने वकील को हटाने के संबंध में उन्हें जांच करने को कहा गया था, लेकिन विभाग से सहयोग और दस्तावेज नहीं मिलने के कारण रिपोर्ट पेश नहीं की जा सकी.
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इस पर अदालत ने कहा कि पक्षकार उनका सहयोग करें और उन्हें संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराएं. वहीं याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रहलाद शर्मा ने कहा कि सोसायटी पट्टों पर बिजली कनेक्शन नहीं देने के चलते आमजन को बिजली नहीं मिल पा रही है और उन्हें परेशानी हो रही है. राजस्थान विद्युत अधिनियम की धारा 43 के तहत याचिकाकर्ताओं को बिजली कनेक्शन दिया जाए. बता दें कि पिछले दिनों सुनवाई के दौरान जेवीवीएनएल की ओर से कहा गया कि वे तो कच्ची बस्ती वालों को भी बिजली कनेक्शन दे देते हैं, क्योंकि बिजली मूलभूत सुविधा है. इस पर राज्य के एएजी ने कहा था कि राज्य सरकार का यह इरादा नहीं है कि वह सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले और अतिक्रमियों को बिजली कनेक्शन मुहैया कराए.