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Rajasthan High Court: अतिक्रमण नहीं हटाने से जुडे़ मामले में निगम आयुक्त और आवासन आयुक्त को पेश होने के आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने अतिक्रमण नही हटाने से जुड़े मामले में निगम आयुक्त और आवासन मंडल के आयुक्त को 8 सितंबर को व्यक्तिश पेश होने के आदेश दिए हैं.

Rajasthan High Court,  Rajasthan High Court orders
आवासन आयुक्त को पेश होने के आदेश.
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Published : Aug 16, 2023, 8:43 PM IST

Updated : Aug 16, 2023, 11:26 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रताप नगर के सेक्टर पांच के पास स्थित भूमि से अतिक्रमण नहीं हटाने और कब्जाधारियों को पट्टा देने का निर्णय करने से जुडे़ मामले की सुनवाई की. कोर्ट ने निगम आयुक्त महेन्द्र सोनी और आवासन मंडल के आयुक्त पवन अरोड़ा सहित जेडीए के तत्कालीन जिम्मेदार अधिकारी को 8 सितंबर को व्यक्तिश: पेश होने के आदेश दिए हैं.

अदालत ने अधिकारियों को कहा है कि वह प्रकरण से जुड़ा समस्त रिकॉर्ड भी अदालत में पेश करें. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश विकास समिति सेक्टर 5 प्रताप नगर की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

पढ़ेंः काटली नदी से अतिक्रमण नहीं हटाए तो हाजिर हों इसके जिम्मेदार अधिकारी: Rajasthan High Court

याचिका में अधिवक्ता विकास काबरा ने अदालत को बताया कि बंबाला गांव में स्थित सरकारी भूमि को कई प्रभावशाली लोगों ने कब्जा कर अतिक्रमण कर लिया है. इसकी शिकायत करने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. वहीं मामले में याचिका दायर करने पर हाईकोर्ट ने 25 अप्रैल 2022 को नगर निगम को आदेश दिए थे कि वह अतिक्रमण के संबंध में मिली शिकायतों का परीक्षण करें और अतिक्रमण पाए जाने पर चार माह में अतिक्रमियों पर नियमानुसार पर कार्रवाई करे. इसकी पालना नहीं करने पर याचिकाकर्ता की ओर से अवमानना याचिका पेश की गई.

पढ़ेंः Rajasthan High Court: एक्शन प्लान पेश करो, वरना हाजिर हो अधिकारी

वहीं 14 जुलाई 2022 को जेडीए आयुक्त रवि जैन, आवासन आयुक्त पवन अरोड़ा सहित अन्य अधिकारियों ने बैठक की. जिसमें तय किया गया कि मौके पर करीब 145 अतिक्रमी हैं, जो करीब 25 साल से मौके पर निर्माण कर रह रहे हैं. इसके अलावा वहां रोड और सीवरेज की सुविधा के साथ ही बिजली-पानी के कनेक्शन भी दिए जा चुके हैं. इसलिए हाईकोर्ट के निर्णय की पालना में इन अतिक्रमियों को हटाना बेहद कठिन है. बैठक में यह भी निर्णय लिया गया की अदालत में प्रार्थना पत्र पेश कर इन अतिक्रमियों को प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत नियमित करने की छूट मांगी जाएगी. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि विभाग इन कब्जों को अतिक्रमण मान रहा है और इन पर कार्रवाई के लिए हाईकोर्ट के आदेश भी हो चुके हैं. लेकिन अधिकारी अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करने के बजाए इन्हें नियमित करने का मानस बना चुके हैं. यह सीधे तौर पर अदालती आदेश की अवमानना है. ऐसे में दोषी अधिकारियों को अदालती आदेश की अवमानना के लिए दंडित किया जाए और मौके से अतिक्रमण हटाया जाए. इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने अधिकारियों को व्यक्तिश: पेश होने के आदेश दिए हैं.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रताप नगर के सेक्टर पांच के पास स्थित भूमि से अतिक्रमण नहीं हटाने और कब्जाधारियों को पट्टा देने का निर्णय करने से जुडे़ मामले की सुनवाई की. कोर्ट ने निगम आयुक्त महेन्द्र सोनी और आवासन मंडल के आयुक्त पवन अरोड़ा सहित जेडीए के तत्कालीन जिम्मेदार अधिकारी को 8 सितंबर को व्यक्तिश: पेश होने के आदेश दिए हैं.

अदालत ने अधिकारियों को कहा है कि वह प्रकरण से जुड़ा समस्त रिकॉर्ड भी अदालत में पेश करें. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश विकास समिति सेक्टर 5 प्रताप नगर की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

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याचिका में अधिवक्ता विकास काबरा ने अदालत को बताया कि बंबाला गांव में स्थित सरकारी भूमि को कई प्रभावशाली लोगों ने कब्जा कर अतिक्रमण कर लिया है. इसकी शिकायत करने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. वहीं मामले में याचिका दायर करने पर हाईकोर्ट ने 25 अप्रैल 2022 को नगर निगम को आदेश दिए थे कि वह अतिक्रमण के संबंध में मिली शिकायतों का परीक्षण करें और अतिक्रमण पाए जाने पर चार माह में अतिक्रमियों पर नियमानुसार पर कार्रवाई करे. इसकी पालना नहीं करने पर याचिकाकर्ता की ओर से अवमानना याचिका पेश की गई.

पढ़ेंः Rajasthan High Court: एक्शन प्लान पेश करो, वरना हाजिर हो अधिकारी

वहीं 14 जुलाई 2022 को जेडीए आयुक्त रवि जैन, आवासन आयुक्त पवन अरोड़ा सहित अन्य अधिकारियों ने बैठक की. जिसमें तय किया गया कि मौके पर करीब 145 अतिक्रमी हैं, जो करीब 25 साल से मौके पर निर्माण कर रह रहे हैं. इसके अलावा वहां रोड और सीवरेज की सुविधा के साथ ही बिजली-पानी के कनेक्शन भी दिए जा चुके हैं. इसलिए हाईकोर्ट के निर्णय की पालना में इन अतिक्रमियों को हटाना बेहद कठिन है. बैठक में यह भी निर्णय लिया गया की अदालत में प्रार्थना पत्र पेश कर इन अतिक्रमियों को प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत नियमित करने की छूट मांगी जाएगी. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि विभाग इन कब्जों को अतिक्रमण मान रहा है और इन पर कार्रवाई के लिए हाईकोर्ट के आदेश भी हो चुके हैं. लेकिन अधिकारी अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करने के बजाए इन्हें नियमित करने का मानस बना चुके हैं. यह सीधे तौर पर अदालती आदेश की अवमानना है. ऐसे में दोषी अधिकारियों को अदालती आदेश की अवमानना के लिए दंडित किया जाए और मौके से अतिक्रमण हटाया जाए. इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने अधिकारियों को व्यक्तिश: पेश होने के आदेश दिए हैं.

Last Updated : Aug 16, 2023, 11:26 PM IST
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