जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बिना कारण पुन: डीपीसी कर व्याख्याता की वरीयता में बदलाव करने के मामले में शिक्षा विभाग को कहा है कि वह वासुदेव के मामले में दिए फैसले के आधार पर व्याख्याता की वरीयता सूची में बदलाव करे. अदालत ने याचिकाकर्ता को कहा है कि वह इस संबंध में विभाग के समक्ष अपना अभ्यावेदन पेश करे. हाईकोर्ट की एकलपीठ ने यह आदेश लक्ष्मीनारायण सोनी की याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को वर्ष 2015-16 में रिव्यू डीपीसी कर वरिष्ठ अध्यापक से व्याख्याता पद पर पदोन्नति दी गई. जिसकी पालना में याचिकाकर्ता ने अंग्रेजी विषय के व्याख्याता पद का कार्यभार भी संभाल लिया. वहीं, उसे व्याख्याता पद के वेतन भत्ते भी दिया जाने लगा. याचिका में कहा गया कि राजस्थान शिक्षा सेवा नियम 1970 के नियम 24 के तहत गठित विभागीय पदोन्नति समिति ने पुन: नियमित डीपीसी कर याचिकाकर्ता की पूर्व की वरीयता सूची में परिवर्तन कर उसका चयन वर्ष 2017-18 में कर दिया.
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याचिकाकर्ता ने विभाग में प्रार्थना पत्र पेश कर वरीयता सूची में संशोधन की गुहार की, लेकिन उसे अनदेखा कर दिया गया. जिसके चलते याचिकाकर्ता को प्रिंसिपल पद की पदोन्नति से वंचित होना पड़ा. याचिका में कहा गया कि पूर्व की रिव्यू डीपीसी नियमानुसार कर याचिकाकर्ता को पदोन्नत किया गया था. वहीं, बाद में उसे सुनवाई का मौका दिए बिना और बिना कारण ही पुन: डीपीसी कर उसकी वरीयता में बदलाव करना गलत है. नियमानुसार एक बार पदोन्नति की कार्रवाई होने के बाद कर्मचारी के चयन वर्ष में बदलाव नहीं किया जा सकता. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन को तय करते हुए वरीयता में बदलाव करने को कहा है.