जयपुर. खाद्य विभाग ने राशन दुकान आवंटन के लिए जारी खुद के परिपत्र की अवहेलना कर दिव्यांग को दुकान आवंटन से इनकार कर दिया. दिव्यांग ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और 2 साल के संघर्ष के बाद उसे न्याय मिला. हाईकोर्ट ने विभाग को निर्देश दिया (Rajasthan High Court order to Food Department) है कि वह दिव्यांग को दो महीने में दुकान का प्राधिकार पत्र जारी करे. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश गुलाब सिंह गुर्जर की याचिका पर दिया.
याचिकाकर्ता 74 फीसदी दिव्यांग: अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता 74 फीसदी दिव्यांग है और वह विभाग के 17 मार्च, 2016 के परिपत्र के तहत दुकान आवंटन का हकदार है. वहीं, याचिका में अधिवक्ता धर्मेन्द्र शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने दौसा के सिकराय तहसील के पांचौली गांव में राशन की दुकान आवंटन के लिए विभाग में आवेदन किया था. इसके बाद विभाग ने प्रथम वरीयता में स्थानीय ग्राम सेवा सहकारी समिति का चयन कर लिया. उसके बाद सहकारी समिति ने काम नहीं करने को लेकर विभाग में शपथ पत्र पेश कर दिया.
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याचिका में क्या कहा गया जानिए: याचिका में कहा गया कि विभाग के 17 मार्च 2016 के परिपत्र के तहत प्रथम वरीयता में ग्राम सेवा सहकारी समिति और द्वितीय वरीयता में बेरोजगार, दिव्यांग और महिला आवेदक होते हैं. इसके बावजूद विभाग ने 26 फरवरी 2018 को आदेश जारी कर द्वितीय वरीयता का प्रावधान नहीं होने का हवाला देकर याचिकाकर्ता को आवंटन से इनकार कर दिया. याचिका में आगे कहा गया है कि याचिकाकर्ता 74 फीसदी दिव्यांग है और विभाग के परिपत्र के तहत द्वितीय वरीयता रखता है. इसके बावजूद विभाग ने अपने ही परिपत्र की अवहेलना कर याचिकाकर्ता को आवंटन कर इनकार किया हैं. ऐसे में विभाग के 26 फरवरी, 2018 के आदेश को निरस्त कर याचिकाकर्ता को दुकान का प्राधिकार पत्र दिलाया जाए.
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खाद्य विभाग ने कोर्ट में ये रखी दलील: इस मामले में विभाग की ओर से कहा गया कि प्रथम वरीयता के आवेदक की ओर से काम करने से इनकार करने पर नियमानुसार याचिकाकर्ता का आवेदन निरस्त किया गया है. साथ ही याचिका के लंबित रहने की वजह से अभी तक दुकान का आवंटन किसी अन्य को भी नहीं किया गया है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता को दो महीने में दुकान आवंटन के आदेश दिए.