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Rajasthan High Court : राज्य सरकार पर 50 हजार का हर्जाना, दोषी अधिकारियों से वसूलने की छूट - Rajasthan Hindi news

अदालती आदेश की चार साल बाद भी पालना नहीं करने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार पर 50 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. साथ ही आदेश की पालना के लिए 27 सितंबर तक का समय दिया है.

Rajasthan High Court
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 22, 2023, 8:10 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश की चार साल बाद भी पालना नहीं करने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार पर 50 हजार रुपए का हर्जाना लगाते हुए आदेश की पालना के लिए 27 सितंबर तक का समय दिया है. अदालत ने कहा है कि हर्जाना राशि की वसूली जिम्मेदार दोषी अधिकारियों से की जा सकती है. वहीं, अदालत ने अतिरिक्त मुख्य गृह सचिव और डीजीपी को हाजिर होकर शपथ पत्र पेश कर यह बताने को कहा है कि अब तक आदेश की पालना नहीं करने का क्या कारण है?

अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यदि आगामी सुनवाई तक आदेश की पालना कर ली जाती है तो दोनों अधिकारियों को पेश होने की जरूरत नहीं है. जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश गुड्डी देवी की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से आदेश की पालना के लिए एक सप्ताह का समय मांगा गया, जिसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि अदालत ने करीब चार साल पहले याचिकाकर्ता को परिलाभ देने के आदेश दिए थे, लेकिन अब तक आदेश की पालना नहीं की गई. ऐसे में दोषी अफसरों को अवमानना के लिए दंडित किया जाए.

पढ़ें. Rajasthan High Court : प्रमुख शिक्षा सचिव हाजिर होकर बताएं, क्यों नहीं हुई आदेश की पालना ?

4 साल पहले परिलाभ अदा करने के आदेश : इस पर अदालत ने राज्य सरकार को 50 हजार रुपए के हर्जाने की शर्त पर 27 सितंबर तक का समय देते हुए पालना नहीं होने पर एसीएस गृह व डीजीपी को हाजिर होने को कहा है. याचिका में कहा गया कि कांस्टेबल भर्ती-2018 में चयन नहीं होने पर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 18 अक्टूबर 2019 को याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने के आदेश देते हुए परिलाभ अदा करने को कहा था. इसके बावजूद भी उसे परिलाभ अदा नहीं किए गए. इससे व्यथित होकर अदालत में अवमानना याचिका पेश की गई.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश की चार साल बाद भी पालना नहीं करने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार पर 50 हजार रुपए का हर्जाना लगाते हुए आदेश की पालना के लिए 27 सितंबर तक का समय दिया है. अदालत ने कहा है कि हर्जाना राशि की वसूली जिम्मेदार दोषी अधिकारियों से की जा सकती है. वहीं, अदालत ने अतिरिक्त मुख्य गृह सचिव और डीजीपी को हाजिर होकर शपथ पत्र पेश कर यह बताने को कहा है कि अब तक आदेश की पालना नहीं करने का क्या कारण है?

अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यदि आगामी सुनवाई तक आदेश की पालना कर ली जाती है तो दोनों अधिकारियों को पेश होने की जरूरत नहीं है. जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश गुड्डी देवी की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से आदेश की पालना के लिए एक सप्ताह का समय मांगा गया, जिसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि अदालत ने करीब चार साल पहले याचिकाकर्ता को परिलाभ देने के आदेश दिए थे, लेकिन अब तक आदेश की पालना नहीं की गई. ऐसे में दोषी अफसरों को अवमानना के लिए दंडित किया जाए.

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4 साल पहले परिलाभ अदा करने के आदेश : इस पर अदालत ने राज्य सरकार को 50 हजार रुपए के हर्जाने की शर्त पर 27 सितंबर तक का समय देते हुए पालना नहीं होने पर एसीएस गृह व डीजीपी को हाजिर होने को कहा है. याचिका में कहा गया कि कांस्टेबल भर्ती-2018 में चयन नहीं होने पर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 18 अक्टूबर 2019 को याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने के आदेश देते हुए परिलाभ अदा करने को कहा था. इसके बावजूद भी उसे परिलाभ अदा नहीं किए गए. इससे व्यथित होकर अदालत में अवमानना याचिका पेश की गई.

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