जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने वन विभाग में श्रमिक के बकाया भुगतान से जुड़े मामले में अदालती आदेश की 6 साल में भी पालना नहीं होने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार पर 10 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. अदालत ने डीएफओ, बूंदी को गुरुवार को पेश होकर आदेश की पालना नहीं करने के संबंध में अपना स्पष्टीकरण देने को कहा है. अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यदि आदेश की पालना हो जाती है तो अधिकारी को हाजिर होने की जरुरत नहीं है. जस्टिस महेंद्र गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश प्रभू बाई की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
डीएफओ को हाजिर होने के आदेश : सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आरपी सिंह ने आदेश की पालना के लिए एक सप्ताह का समय मांगा. इसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार ने छह साल में आदेश की पालना नहीं की है और अब फिर से पालना के लिए समय मांगा जा रहा है. इस पर अदालत ने राज्य सरकार पर 10 हजार रुपए का हर्जाना लगाते हुए राज्य सरकार को आदेश की पालना के लिए समय देते हुए पालना नहीं होने पर 30 अगस्त को डीएफओ, बूंदी को हाजिर होकर अपना स्पष्टीकरण देने को कहा है.
याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता श्रमिक के तौर पर वन विभाग में कार्यरत थी. उसे अक्टूबर, 1993 को मौखिक आदेश से हटा दिया गया था. इस आदेश को उसने लेबर कोर्ट में चुनौती दी थी. लेबर कोर्ट ने जुलाई, 2000 में याचिकाकर्ता के पक्ष में अवार्ड जारी करते हुए उसे बकाया वेतन और परिलाभ देने के आदेश दिए. लेबर कोर्ट के इस आदेश को वन विभाग की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गई. इस याचिका को हाईकोर्ट ने 24 अक्टूबर, 2017 को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता के पक्ष में तीन माह में बकाया भुगतान करने के आदेश दिए. आदेश की पालना नहीं होने पर याचिकाकर्ता की ओर से हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई.