जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट में लंबित मुकदमों का अंबार लगा हुआ है. हालांकि इन लंबित मुकदमों की संख्या बढ़ाने में राज्य सरकार का भी योगदान है. सरकार लालफीताशाही के चलते अदालती आदेशों का पालन नहीं कर पा रही है. नतीजन प्रभावित पक्षकार को आदेश की पालना कराने के लिए अवमानना याचिका दायर करने पड़ रही है. इसके चलते कोर्ट की अवमानना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.
हाईकोर्ट की जयपुर पीठ में 4600 से अधिक अवमानना याचिकाएं लंबित हैं. इनमें से अधिकांश अवमानना याचिकाएं राज्य सरकार के खिलाफ है. पक्षकारों को इन याचिकाओं को दायर करने की जरूरत इसलिए पड़ी कि हाईकोर्ट की ओर से आदेश दिए जाने के बाद भी राज्य सरकार ने इसको ग्राउंड पर लागू नहीं कराया. बताया जा रहा है कि इन मामलों में सबसे अधिक मामले सेवा संबंधी प्रकरणों के हैं.
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आदेश के पांच साल बाद भी पालना नहीं : हाईकोर्ट के आदेशों का प्रदेश सरकार द्वारा लंबे समय से लागू नहीं कराया जा रहा है. हाल ही में शिक्षक भर्ती 1998 से जुड़े एक मामले में हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना का मामला सामने आया है. इसमें हाईकोर्ट ने साल 2018 में राज्य सरकार को दिशा-निर्देश जारी किए थे, लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद भी प्रदेश सरकार ने आदेश की पालन नहीं कराया.
क्या कहते हैं वकील : अधिवक्ता विकास सोमानी कहते हैं कि हाईकोर्ट में राज्य सरकार सबसे बड़ी मुकदमे बाज है. अधिकांश मामले राज्य सरकार के खिलाफ है. यदि राज्य सरकार की कार्यप्रणाली ठीक हो तो उसके खिलाफ मुकदमें भी कम दायर होंगे. राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव प्रहलाद शर्मा कहते हैं कि अधिकांश अवमानना याचिका सेवा संबंधी मामलों से जुड़ी है. राज्य सरकार की उपेक्षा के कारण ही अभ्यर्थी हाई कोर्ट में याचिका दायर करता है. अदालत की ओर से आदेश देने के बाद भी सरकार उसकी पालन नहीं करवा रही है. ऐसे में उसे (अभ्यर्थी) अवमानना याचिका दायर करनी पड़ती है.