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Rajasthan High Court: अदालती आदेश के बावजूद दिव्या मित्तल का केस क्यों नहीं हुआ सूचीबद्ध?

दिव्या मित्तल केस को अदालती आदेश के बाद भी (Rajasthan High Court expressed displeasure) सूचीबद्ध नहीं करने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है.

divya mittal bribery case,  Divya Mittal asked for a bribe of 2 crores
राजस्थान हाईकोर्ट.
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Published : Mar 23, 2023, 7:32 PM IST

Updated : Mar 24, 2023, 12:54 AM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के बावजूद नशीली दवाओं से जुड़े मामले में दो करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने के मामले में निलंबित एडीशन एसपी दिव्या मित्तल की जमानत याचिका तय समय पर सूचीबद्ध नहीं करने पर नाराजगी जताई है. साथ ही अदालत ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार न्यायिक को निर्देश दिए हैं कि वह प्रकरण की जांच कर संबंधित अधिकारियों की सूची तैयार करे.

अदालत ने रजिस्ट्रार से यह भी बताने को कहा है कि ऐसे कितने मामले में हैं, जिनमें अदालती आदेश के बावजूद भी केस तय समय पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया. वहीं अदालत ने दिव्या मित्तल की जमानत याचिका को अन्य एकलपीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने को कहा है. जस्टिस नरेन्द्र सिंह ने यह आदेश दिव्या मित्तल की जमानत याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए दिए.

दरअसल गत 16 फरवरी को याचिकाकर्ता दिव्या की ओर से उनके वकील ने मामले की सुनवाई एक सप्ताह टालने की गुहार की थी. जिस पर अदालत ने मामले की सुनवाई एक सप्ताह बाद तय की. इसके बावजूद इस अवधि में केस सूचीबद्ध नहीं हुआ. एसीबी ने 15 मार्च को निचली अदालत में दिव्या के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया, इसके बाद हाईकोर्ट में मामला 22 मार्च को सूचीबद्ध किया गया. यह तथ्य अदालत की जानकारी में आने पर एकलपीठ ने प्रकरण पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए रजिस्ट्रार न्यायिक को दिशा-निर्देश जारी किए हैं.

पढ़ेंः Divya Mittal Voice Test Case: आरोपी पक्ष ने लगाई प्रारंभिक आपत्तियां, अब 8 को होगी सुनवाई

जमानत याचिका में कहा गया कि प्रकरण में एसीबी की कार्रवाई झूठ का पुलिंदा है. प्रकरण में एसीबी ने न तो याचिकाकर्ता को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है. साथ ही उससे रिश्वत राशि की रिकवरी नहीं हुई है. जमानत याचिका में यह भी बताया है कि उसके पास आय से अधिक की राशि बरामद नहीं हुई है. साथ ही एसीबी ने वॉयस रिकॉर्डिंग को लेकर विधि अनुसार तय प्रक्रिया का पालना नहीं किया है. प्रकरण में एसीबी के पास याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है. जमानत याचिका में कहा गया है कि एसीबी ने गिरफ्तारी से पहले सीआरपीसी की धारा 41 के तहत नोटिस भी नहीं दिया था. ऐसे में जमानत पर रिहा किया जाए.

वहीं, अतिरिक्त महाधिवक्ता विभूति भूषण शर्मा ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 7 के तहत ट्रैप की जरूरत नहीं है, अगर केवल रिश्वत की डिमांड की जाती है तो भी एसीबी आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है. एसीबी के पास पर्याप्त साक्ष्य हैं, जिससे यह साबित है कि दिव्या मित्तल ने दवा कंपनी के मालिक से दो करोड़ रुपए की रिश्वत की मांग की है. बता दें कि एसीबी ने दवा फैक्ट्री के मालिक से दो करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने के मामले में तत्कालीन एडिशनल एसपी दिव्या मित्तल को 16 जनवरी को गिरफ्तार किया था. दिव्या पर आरोप है कि उसने हरिद्वार में संचालित दवा फैक्ट्री के संचालक को गलत रूप से नशीली दवा प्रकरण में लिप्त बताकर उसका नाम हटाने के बदले दलाल के मार्फत दो करोड़ की रिश्वत मांगी थी.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के बावजूद नशीली दवाओं से जुड़े मामले में दो करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने के मामले में निलंबित एडीशन एसपी दिव्या मित्तल की जमानत याचिका तय समय पर सूचीबद्ध नहीं करने पर नाराजगी जताई है. साथ ही अदालत ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार न्यायिक को निर्देश दिए हैं कि वह प्रकरण की जांच कर संबंधित अधिकारियों की सूची तैयार करे.

अदालत ने रजिस्ट्रार से यह भी बताने को कहा है कि ऐसे कितने मामले में हैं, जिनमें अदालती आदेश के बावजूद भी केस तय समय पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया. वहीं अदालत ने दिव्या मित्तल की जमानत याचिका को अन्य एकलपीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने को कहा है. जस्टिस नरेन्द्र सिंह ने यह आदेश दिव्या मित्तल की जमानत याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए दिए.

दरअसल गत 16 फरवरी को याचिकाकर्ता दिव्या की ओर से उनके वकील ने मामले की सुनवाई एक सप्ताह टालने की गुहार की थी. जिस पर अदालत ने मामले की सुनवाई एक सप्ताह बाद तय की. इसके बावजूद इस अवधि में केस सूचीबद्ध नहीं हुआ. एसीबी ने 15 मार्च को निचली अदालत में दिव्या के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया, इसके बाद हाईकोर्ट में मामला 22 मार्च को सूचीबद्ध किया गया. यह तथ्य अदालत की जानकारी में आने पर एकलपीठ ने प्रकरण पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए रजिस्ट्रार न्यायिक को दिशा-निर्देश जारी किए हैं.

पढ़ेंः Divya Mittal Voice Test Case: आरोपी पक्ष ने लगाई प्रारंभिक आपत्तियां, अब 8 को होगी सुनवाई

जमानत याचिका में कहा गया कि प्रकरण में एसीबी की कार्रवाई झूठ का पुलिंदा है. प्रकरण में एसीबी ने न तो याचिकाकर्ता को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है. साथ ही उससे रिश्वत राशि की रिकवरी नहीं हुई है. जमानत याचिका में यह भी बताया है कि उसके पास आय से अधिक की राशि बरामद नहीं हुई है. साथ ही एसीबी ने वॉयस रिकॉर्डिंग को लेकर विधि अनुसार तय प्रक्रिया का पालना नहीं किया है. प्रकरण में एसीबी के पास याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है. जमानत याचिका में कहा गया है कि एसीबी ने गिरफ्तारी से पहले सीआरपीसी की धारा 41 के तहत नोटिस भी नहीं दिया था. ऐसे में जमानत पर रिहा किया जाए.

वहीं, अतिरिक्त महाधिवक्ता विभूति भूषण शर्मा ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 7 के तहत ट्रैप की जरूरत नहीं है, अगर केवल रिश्वत की डिमांड की जाती है तो भी एसीबी आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है. एसीबी के पास पर्याप्त साक्ष्य हैं, जिससे यह साबित है कि दिव्या मित्तल ने दवा कंपनी के मालिक से दो करोड़ रुपए की रिश्वत की मांग की है. बता दें कि एसीबी ने दवा फैक्ट्री के मालिक से दो करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने के मामले में तत्कालीन एडिशनल एसपी दिव्या मित्तल को 16 जनवरी को गिरफ्तार किया था. दिव्या पर आरोप है कि उसने हरिद्वार में संचालित दवा फैक्ट्री के संचालक को गलत रूप से नशीली दवा प्रकरण में लिप्त बताकर उसका नाम हटाने के बदले दलाल के मार्फत दो करोड़ की रिश्वत मांगी थी.

Last Updated : Mar 24, 2023, 12:54 AM IST
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