जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने चयनित वेतनमान से जुडे मामले में छह साल पहले दिए आदेश की पालना नहीं होने पर नाराजगी जताई है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह बडे आश्चर्य की बात है कि हाईकोर्ट ने 25 मई, 2017 में आदेश जारी कर चार माह में पालना के लिए कहा था, लेकिन छह साल बीतने के बाद भी अब तक आदेश की पालना नहीं हुई है. ऐसे में यदि अब भी आदेश की पालना नहीं हो तो 5 अप्रैल को स्वास्थ्य सचिव व्यक्तिगत रूप से हाजिर होकर बताए कि छह साल बीतने के बाद भी अब तक आदेश की पालना क्यों नहीं की गई.
जस्टिस महेन्द्र गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश बीएन शर्मा की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अवमानना याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता चिकित्सा विभाग में बहुउद्देशीय कार्यकर्ता के पद से सेवानिवृत्त हुआ था. उसे चयनित वेतनमान का लाभ नियुक्ति तिथि से नहीं दिया गया और चयनित वेतनमान निचले पे-स्केल से दिया गया.
इसे चुनौती देने पर हाईकोर्ट ने 25 मई 2017 को विभाग को आदेश दिए थे कि वह चार माह में याचिकाकर्ता को प्रथम नियुक्ति तिथि से गणना कर चयनित वेतनमान देने के आदेश दिए. इसके बावजूद भी अब तक आदेश की पालना नहीं की गई. वहीं, विभाग की ओर से आदेश की पालना के लिए एक सप्ताह का समय मांगा गया. इस पर अदालत ने विभाग को 5 अप्रैल तक का समय देते हुए कहा है कि पालना नहीं होने पर विभाग के सचिव हाजिर होकर अपना स्पष्टीकरण पेश करें.