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Rajasthan High Court : राज्य सरकार पर 25 हजार का हर्जाना, एसीएस पीएचईडी को हाजिर होने के आदेश - ईटीवी भारत राजस्थान न्यूज

राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश की चार साल में (High Court expressed displeasure ) पालना नहीं करने पर नाराजगी जताई है. साथ ही राज्य सरकार पर 25 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है.

Rajasthan High Court,  High Court expressed displeasure
राज्य सरकार पर 25 हजार का हर्जाना.
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Published : Aug 4, 2023, 8:32 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कर्मचारी के चयनित वेतनमान को लेकर अदालती आदेश की चार साल में भी पालना नहीं करने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार पर 25 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. वहीं अदालत ने पीएचईडी के अतिरिक्त मुख्य सचिव को 17 अगस्त को पेश होने के आदेश दिए हैं. अदालत ने एसीएस को शपथ पत्र पेश कर बताने को कहा है कि इतनी लंबी अवधि बीतने के बाद भी अब तक आदेश की पालना क्यों नहीं की गई है?.

अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यदि इस दौरान आदेश की पालना कर ली जाती है तो एसीएस को पेश होने की जरुरत नहीं है. जस्टिस महेंद्र गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश कैलाश चन्द शर्मा की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से आदेश की पालना के लिए दो सप्ताह का समय मांगा गया. इस पर अदालत ने कहा कि यह बड़े दुख और आश्चर्य की बात है कि अदालत ने वर्ष 2019 में आदेश जारी कर कर्मचारी को तीन माह में चयनित वेतनमान का लाभ देने को कहा था, लेकिन चार साल बीतने के बाद भी अब तक इस आदेश की पालना नहीं की गई. इसके साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई 17 अगस्त को तय करते हुए राज्य सरकार पर हर्जाना लगाया है और तब तक पालना नहीं होने पर एसीएस को पेश होने को कहा है.

पढ़ेंः Rajasthan High Court : राज्य सरकार पर 10 हजार का हर्जाना, कोर्ट बोली- आदेश की पालना करो वरना DFO हाजिर होकर दें जवाब

अवमानना याचिका में अधिवक्ता मनोज पारीक ने अदालत को बताया कि पीएचईडी विभाग के अलवर कार्यालय में पंप ड्राइवर के पद पर कार्यरत याचिकाकर्ता को विभाग की ओर से 18 और 27 साल की सेवा पूरी करने के बाद भी चयनित वेतनमान की गलत गणना कर चार हजार से छह हजार की ग्रेड-पे दी गई. जबकि 27 साल की सेवा के बाद उसे पांच हजार से आठ हजार की ग्रेड-पे मिलनी चाहिए थी. ऐसे में उसकी ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिस पर हाईकोर्ट ने 27 अगस्त, 2019 को आदेश जारी करते हुए विभाग को तीन माह में चयनित वेतनमान देने के आदेश दिए थे. इसके बावजूद भी अब तक विभाग की ओर से आदेश की पालना नहीं की गई.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कर्मचारी के चयनित वेतनमान को लेकर अदालती आदेश की चार साल में भी पालना नहीं करने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार पर 25 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. वहीं अदालत ने पीएचईडी के अतिरिक्त मुख्य सचिव को 17 अगस्त को पेश होने के आदेश दिए हैं. अदालत ने एसीएस को शपथ पत्र पेश कर बताने को कहा है कि इतनी लंबी अवधि बीतने के बाद भी अब तक आदेश की पालना क्यों नहीं की गई है?.

अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यदि इस दौरान आदेश की पालना कर ली जाती है तो एसीएस को पेश होने की जरुरत नहीं है. जस्टिस महेंद्र गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश कैलाश चन्द शर्मा की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से आदेश की पालना के लिए दो सप्ताह का समय मांगा गया. इस पर अदालत ने कहा कि यह बड़े दुख और आश्चर्य की बात है कि अदालत ने वर्ष 2019 में आदेश जारी कर कर्मचारी को तीन माह में चयनित वेतनमान का लाभ देने को कहा था, लेकिन चार साल बीतने के बाद भी अब तक इस आदेश की पालना नहीं की गई. इसके साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई 17 अगस्त को तय करते हुए राज्य सरकार पर हर्जाना लगाया है और तब तक पालना नहीं होने पर एसीएस को पेश होने को कहा है.

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अवमानना याचिका में अधिवक्ता मनोज पारीक ने अदालत को बताया कि पीएचईडी विभाग के अलवर कार्यालय में पंप ड्राइवर के पद पर कार्यरत याचिकाकर्ता को विभाग की ओर से 18 और 27 साल की सेवा पूरी करने के बाद भी चयनित वेतनमान की गलत गणना कर चार हजार से छह हजार की ग्रेड-पे दी गई. जबकि 27 साल की सेवा के बाद उसे पांच हजार से आठ हजार की ग्रेड-पे मिलनी चाहिए थी. ऐसे में उसकी ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिस पर हाईकोर्ट ने 27 अगस्त, 2019 को आदेश जारी करते हुए विभाग को तीन माह में चयनित वेतनमान देने के आदेश दिए थे. इसके बावजूद भी अब तक विभाग की ओर से आदेश की पालना नहीं की गई.

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