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Rajasthan High Court: सीआरपीएफ कर्मचारियों के प्रशिक्षण भत्ते की रिकवरी पर रोक, मांगा जवाब - ईटीवी भारत राजस्थान न्यूज

राजस्थान हाईकोर्ट ने सीआरपीएफ कर्मचारियों के प्रशिक्षण भत्ते की रिकवरी पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं. साथ ही गृह मंत्रालय के सचिव समेत अन्य अधिकारियों से जवाब मांगा है.

Rajasthan High Court,  High Court bans recovery
सीआरपीएफ कर्मचारियों के प्रशिक्षण भत्ते की रिकवरी पर रोक.
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 25, 2023, 7:39 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सीआरपीएफ कर्मचारियों का प्रशिक्षण भत्ता रोकने और बाद में उसकी रिकवरी करने के मामले में गृह मंत्रालय के सचिव, सीआरपीएफ के डीजी और डीओपीटी सचिव सहित संबंधित अकादमी के कमांडेंट से जवाब तलब किया है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ताओं से की जा रही वसूली पर रोक लगा दी है. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश खुशीराम मीणा व अन्य की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि केन्द्र के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने 5 सितंबर 2008 को आदेश जारी कर प्रावधान किया कि केन्द्र सरकार के कर्मचारी को यदि किसी अकादमी में पद स्थापित किया जाता है तो उसे बेसिक पे का तीस फीसदी तक प्रशिक्षण भत्ता दिया जाएगा. इसके चलते सीआरपीएफ में कार्यरत अधिकारी व कर्मचारियों को अकादमी में पदस्थापन के दौरान प्रशिक्षण भत्ता मिलेगा. याचिका में बताया गया कि याचिकाकर्ताओं को सीआरपीएफ अकादमी में पदस्थापित किया गया और पदस्थापन के दौरान उनकी बेसिक पे का 24 फीसदी प्रशिक्षण भत्ता देना स्वीकृत किया गया. वहीं बाद में बिना किसी कारण और नोटिस दिए इस प्रशिक्षण भत्ते को देना बंद कर दिया.

पढ़ेंः Rajasthan High Court: परिवार नियोजन का लक्ष्य पूरा नहीं करने पर रोक नहीं सकते सेवा परिलाभ

इसके बाद याचिकाकर्ताओं का ट्रेनिंग अकादमी से स्थानान्तरण हो गया. ऐसे में उनको पूर्व में दिए गए प्रशिक्षण भत्ते की वसूली के आदेश जारी कर दिए गए. याचिका में वसूली आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया कि याचिकाकर्ताओं ने अकादमी में पदस्थापन के दौरान प्रशिक्षण व अध्यापन कार्य में सहयोग किया था. इसके अलावा कार्मिक विभाग के आदेशानुसार राजपत्रित अधिकारी को प्रशिक्षण भत्ता देने का प्रावधान किया गया है. इसके बावजूद भी अकादमी में पदस्थापन के दौरान उनका विधि विरुद्ध तरीके से प्रशिक्षण भत्ता बंद कर दिया गया और बाद में उनका तबादला होने पर भत्ते के रूप में दी गई राशि की रिकवरी के आदेश जारी कर दिए गए. इस दौरान याचिकाकर्ताओं का पक्ष भी नहीं सुना गया. ऐसे में उनका बकाया प्रशिक्षण भत्ता दिलाया जाए और वसूली आदेश को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने वसूली आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सीआरपीएफ कर्मचारियों का प्रशिक्षण भत्ता रोकने और बाद में उसकी रिकवरी करने के मामले में गृह मंत्रालय के सचिव, सीआरपीएफ के डीजी और डीओपीटी सचिव सहित संबंधित अकादमी के कमांडेंट से जवाब तलब किया है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ताओं से की जा रही वसूली पर रोक लगा दी है. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश खुशीराम मीणा व अन्य की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि केन्द्र के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने 5 सितंबर 2008 को आदेश जारी कर प्रावधान किया कि केन्द्र सरकार के कर्मचारी को यदि किसी अकादमी में पद स्थापित किया जाता है तो उसे बेसिक पे का तीस फीसदी तक प्रशिक्षण भत्ता दिया जाएगा. इसके चलते सीआरपीएफ में कार्यरत अधिकारी व कर्मचारियों को अकादमी में पदस्थापन के दौरान प्रशिक्षण भत्ता मिलेगा. याचिका में बताया गया कि याचिकाकर्ताओं को सीआरपीएफ अकादमी में पदस्थापित किया गया और पदस्थापन के दौरान उनकी बेसिक पे का 24 फीसदी प्रशिक्षण भत्ता देना स्वीकृत किया गया. वहीं बाद में बिना किसी कारण और नोटिस दिए इस प्रशिक्षण भत्ते को देना बंद कर दिया.

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इसके बाद याचिकाकर्ताओं का ट्रेनिंग अकादमी से स्थानान्तरण हो गया. ऐसे में उनको पूर्व में दिए गए प्रशिक्षण भत्ते की वसूली के आदेश जारी कर दिए गए. याचिका में वसूली आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया कि याचिकाकर्ताओं ने अकादमी में पदस्थापन के दौरान प्रशिक्षण व अध्यापन कार्य में सहयोग किया था. इसके अलावा कार्मिक विभाग के आदेशानुसार राजपत्रित अधिकारी को प्रशिक्षण भत्ता देने का प्रावधान किया गया है. इसके बावजूद भी अकादमी में पदस्थापन के दौरान उनका विधि विरुद्ध तरीके से प्रशिक्षण भत्ता बंद कर दिया गया और बाद में उनका तबादला होने पर भत्ते के रूप में दी गई राशि की रिकवरी के आदेश जारी कर दिए गए. इस दौरान याचिकाकर्ताओं का पक्ष भी नहीं सुना गया. ऐसे में उनका बकाया प्रशिक्षण भत्ता दिलाया जाए और वसूली आदेश को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने वसूली आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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