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Rajasthan High Court : रंगे हाथों गिरफ्तार और जेल जाने के बाद भी क्यों नहीं किया चेयरमैन को निलंबित ?

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Published : Jan 31, 2023, 7:58 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने गिरफ्तार करने के बाद भी (Chairman not suspended even after going to jail ) सवाई माधोपुर नगर परिषद के चेयरमैन को निलंबित नहीं करने के मामले की सुनवाई की.

Rajasthan High Court asked,  chairman of Sawai Madhopur Municipal Council
राजस्थान हाईकोर्ट.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, डीएलबी सचिव, कार्मिक सचिव और डीएलबी निदेशक सहित अन्य से पूछा है कि रिश्वत मामले में गिरफ्तार होकर जेल जाने के बाद भी सवाई माधोपुर नगर परिषद के चेयरमैन को निलंबित क्यों नहीं किया गया. वे वापस पद पर कैसे काम कर रहे हैं?. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश स्थानीय पार्षद तूफान सिंह व अन्य की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता आरके गौतम ने अदालत को बताया कि नगर परिषद चेयरमैन विमल चंद महावर को रिश्वत मामले में रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया था. एसीबी में मामला दर्ज होने के बाद गत 21 अक्टूबर को महावर को जेल भेज दिया गया. वहीं प्रकरण में आरोप पत्र पेश होने के बाद 21 दिसंबर को उन्हें जमानत दी गई. जमानत पर बाहर आने के बाद महावर ने वापस चेयरमैन पद का कार्यभार संभाल लिया.

पढ़ेंः Rajasthan High Court: कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा मामले में विधानसभा सचिव को शपथ पत्र पेश करने का आदेश

याचिका में कहा गया कि वर्ष 2015 में इसी नगर परिषद के तत्कालीन चेयरमैन कमलेश कुमार को भी रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया था।. इसके बाद राज्य सरकार ने उन्हें तत्काल निलंबित कर दिया था. जबकि वर्तमान चेयरमैन महावर को राजनीतिक कारणों के चलते निलंबित नहीं किया गया. याचिका में कहा गया कि गत 27 दिसंबर को नगर परिषद आयुक्त ने डीएलबी निदेशक को महावर की ओर से बिना अनुमति वापस पदभार ग्रहण करने की जानकारी भी दी गई. इसके बावजूद भी आयुक्त ने कोई कार्रवाई नहीं की. इसके अलावा कार्मिक विभाग के वर्ष 2001 और वर्ष 2010 में प्रावधान है कि लोक सेवक के रंगे हाथों गिरफ्तार होने पर उसे पद से निलंबित किया जाएगा. याचिका में गुहार की गई कि महावर को तत्काल निलंबित किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, डीएलबी सचिव, कार्मिक सचिव और डीएलबी निदेशक सहित अन्य से पूछा है कि रिश्वत मामले में गिरफ्तार होकर जेल जाने के बाद भी सवाई माधोपुर नगर परिषद के चेयरमैन को निलंबित क्यों नहीं किया गया. वे वापस पद पर कैसे काम कर रहे हैं?. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश स्थानीय पार्षद तूफान सिंह व अन्य की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता आरके गौतम ने अदालत को बताया कि नगर परिषद चेयरमैन विमल चंद महावर को रिश्वत मामले में रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया था. एसीबी में मामला दर्ज होने के बाद गत 21 अक्टूबर को महावर को जेल भेज दिया गया. वहीं प्रकरण में आरोप पत्र पेश होने के बाद 21 दिसंबर को उन्हें जमानत दी गई. जमानत पर बाहर आने के बाद महावर ने वापस चेयरमैन पद का कार्यभार संभाल लिया.

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याचिका में कहा गया कि वर्ष 2015 में इसी नगर परिषद के तत्कालीन चेयरमैन कमलेश कुमार को भी रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया था।. इसके बाद राज्य सरकार ने उन्हें तत्काल निलंबित कर दिया था. जबकि वर्तमान चेयरमैन महावर को राजनीतिक कारणों के चलते निलंबित नहीं किया गया. याचिका में कहा गया कि गत 27 दिसंबर को नगर परिषद आयुक्त ने डीएलबी निदेशक को महावर की ओर से बिना अनुमति वापस पदभार ग्रहण करने की जानकारी भी दी गई. इसके बावजूद भी आयुक्त ने कोई कार्रवाई नहीं की. इसके अलावा कार्मिक विभाग के वर्ष 2001 और वर्ष 2010 में प्रावधान है कि लोक सेवक के रंगे हाथों गिरफ्तार होने पर उसे पद से निलंबित किया जाएगा. याचिका में गुहार की गई कि महावर को तत्काल निलंबित किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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