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सीएम गहलोत ने ECI को लिखा पत्र, चुनावी आचार संहिता की अवधि घटाने की मांग की

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भारत के निर्वाचन आयोग को चिट्ठी लिखकर आदर्श आचार संहिता की समीक्षा की मांग की है. सीएम ने चिट्ठी में आचार संहिता की अवधि को 78 दिन से घटा के न्यूनतम करने की मांग की है. वहीं सीएम ने चुनाव आयोग को पत्र के माध्यम से कई अन्य समस्याओं से अवगत कराया है.

सीएम गहलोत ने ECI को लिखा पत्र
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Published : Jun 21, 2019, 7:40 PM IST

जयपुर. सीएम अशोक गहलोत ने भारतीय निर्वाचन आयोग को एक पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने आयोग को कई सुझाव दिए हैं. गहलोत ने अपने पत्र के माध्यम से निर्वाचन आयोग से चुनावी आचार संहिता की अवधि कम करने, प्रदेश सरकार को आवश्यक बैठकों की छूट देने सहित कई मांग रखी है.

सीएम गहलोत ने ECI को लिखा पत्र

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को लिखे इस पत्र में अशोक गहलोत ने लिखा है कि आदर्श आचार संहिता की अवधि न्यूनतम हो और इसके विभिन्न प्रावधानों की समीक्षा की जाए. पत्र में कहा गया है कि लंबे समय तक आचार संहिता लागू रहने के कारण राज्यों को संवैधानिक दायित्वों के निर्वहन में बाधा उत्पन्न होती है. ऐसे में नीतिगत अपंगता की स्थिति बन जाती है. गहलोत सरकार ने हवाला दिया कि लोकसभा चुनाव के दौरान देश भर में 78 दिनों की आचार संहिता का प्रभाव देने से गवर्नेंस का कार्य पूरी तरह ठप रहता है. इसकी वजह से आमजन को भारी समस्या का सामना करना पड़ता है. पत्र में इस बात का भी हवाला दिया गया है कि आचार संहिता की पालना को लेकर आयोग के अंदर मतभेदों ने इस संवैधानिक संस्था की साख को आघात पहुंचा है.

सीएम गहलोत ने अपने पत्र में सुझाव दिया है कि आचार सहिंता के दौरान मुख्यमंत्री, मंत्रीगण, मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को अधिकारियों से सीधा फीडबैक लेने और कानून व्यवस्था को जनहित के कार्यों की मॉनिटरिंग की मनाई होती है. इसके चलते आवश्यक निर्णय नहीं ले जाते लोकसभा चुनाव सामान्य गर्मी में होते हैं. इस दौरान राजस्थान जिसे मरुस्थलीय प्रदेश में जल प्रबंधन को लेकर विभिन्न समस्याएं होती है. गर्मी के मौसम में बिजली जैसी अत्यावश्यक सेवा की उपलब्धता और सुधार कार्य भी प्रभावित होता है.

इसके अतिरिक्त सीएम ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में कहा है कि रोजमर्रा के कार्यों पर आचार संहिता लागू नहीं होनी चाहिए. आवश्यक बैठक की मनाही भी आचार सहिंता में होती है. इससे कानून-व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न होती है. इस पर लगी रोक हटनी चाहिए. जहां मतदान हो जाए वहां मतगणना तक आचार संहिता तार्किक नहीं होती. लिहाजा इस संबंध में विचार किया जाए. साथ पत्र में राजकीय विश्राम स्थलों पर तैरने के लिए भी अवसर दिए जाने का सुझाव दिया गया है. बता दें कि अशोक गहलोत चुनाव के दौरान भी कई बार आचार संहिता नियमों को लेकर सवाल खड़े कर चुके हैं.

जयपुर. सीएम अशोक गहलोत ने भारतीय निर्वाचन आयोग को एक पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने आयोग को कई सुझाव दिए हैं. गहलोत ने अपने पत्र के माध्यम से निर्वाचन आयोग से चुनावी आचार संहिता की अवधि कम करने, प्रदेश सरकार को आवश्यक बैठकों की छूट देने सहित कई मांग रखी है.

सीएम गहलोत ने ECI को लिखा पत्र

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को लिखे इस पत्र में अशोक गहलोत ने लिखा है कि आदर्श आचार संहिता की अवधि न्यूनतम हो और इसके विभिन्न प्रावधानों की समीक्षा की जाए. पत्र में कहा गया है कि लंबे समय तक आचार संहिता लागू रहने के कारण राज्यों को संवैधानिक दायित्वों के निर्वहन में बाधा उत्पन्न होती है. ऐसे में नीतिगत अपंगता की स्थिति बन जाती है. गहलोत सरकार ने हवाला दिया कि लोकसभा चुनाव के दौरान देश भर में 78 दिनों की आचार संहिता का प्रभाव देने से गवर्नेंस का कार्य पूरी तरह ठप रहता है. इसकी वजह से आमजन को भारी समस्या का सामना करना पड़ता है. पत्र में इस बात का भी हवाला दिया गया है कि आचार संहिता की पालना को लेकर आयोग के अंदर मतभेदों ने इस संवैधानिक संस्था की साख को आघात पहुंचा है.

सीएम गहलोत ने अपने पत्र में सुझाव दिया है कि आचार सहिंता के दौरान मुख्यमंत्री, मंत्रीगण, मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को अधिकारियों से सीधा फीडबैक लेने और कानून व्यवस्था को जनहित के कार्यों की मॉनिटरिंग की मनाई होती है. इसके चलते आवश्यक निर्णय नहीं ले जाते लोकसभा चुनाव सामान्य गर्मी में होते हैं. इस दौरान राजस्थान जिसे मरुस्थलीय प्रदेश में जल प्रबंधन को लेकर विभिन्न समस्याएं होती है. गर्मी के मौसम में बिजली जैसी अत्यावश्यक सेवा की उपलब्धता और सुधार कार्य भी प्रभावित होता है.

इसके अतिरिक्त सीएम ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में कहा है कि रोजमर्रा के कार्यों पर आचार संहिता लागू नहीं होनी चाहिए. आवश्यक बैठक की मनाही भी आचार सहिंता में होती है. इससे कानून-व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न होती है. इस पर लगी रोक हटनी चाहिए. जहां मतदान हो जाए वहां मतगणना तक आचार संहिता तार्किक नहीं होती. लिहाजा इस संबंध में विचार किया जाए. साथ पत्र में राजकीय विश्राम स्थलों पर तैरने के लिए भी अवसर दिए जाने का सुझाव दिया गया है. बता दें कि अशोक गहलोत चुनाव के दौरान भी कई बार आचार संहिता नियमों को लेकर सवाल खड़े कर चुके हैं.

Intro:
जयपुर -

सीएम गहलोत ने लिखा निर्वाचन आयोग को लिखा पत्र , आचार संहिता की समीक्षा को लेकर लिखा पत्र , कहा सहिंता अवधि को किया न्यूनतम

एंकर:- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भारत के निर्वाचन आयोग को चिट्ठी लिखकर आदर्श आचार संहिता की समीक्षा की मांग की है , सीएम गहलोत ने चिट्ठी में आचार संहिता की अवधि को 78 दिन से घटा के न्यूनतम करने की मांग की है ,





Body:vo:- मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को लिखे इस पत्र में अशोक गहलोत ने लिखा है कि आदर्श आचार संहिता की अवधि न्यूनतम हो और इसके विभिन्न प्रावधानों की समीक्षा की जाए पत्र में बताया गया है कि लंबे समय तक आचार संहिता लागू रहने के कारण राज्यों को संवैधानिक दायित्वों के निर्वहन में बाधा उत्पन्न होती है और नीतिगत अपंगता की स्थिति बन जाती है गहलोत ने हवाला दिया कि लोकसभा चुनाव के दौरान देश भर में 78 दिनों की आचरण का प्रभाव देने से गवर्नेंस का कार्य पूरी तरह ठप रहता है और इसका वजह से आमजन को भारी समस्या का सामना करना पड़ता है गहलोत ने अपने पत्र में इस बात का भी हवाला दिया कि आचार संहिता की पालना को लेकर आयोग के अंदरमत भेदो ने इस संवैधानिक संस्था के साख को आघात पहुंचा है , गहलोत ने पत्र में सुझाव दिया है कि आचार सहिंता के दौरान मुख्यमंत्री मंत्रीगण मुख्य सचिव पुलिस महानिदेशक को अधिकारियों से सीधा फीडबैक लेने और कानून व्यवस्था को जनहित के कार्यों की मॉनिटरिंग की मनाई होती है इसके चलते आवश्यक निर्णय नहीं ले जाते लोकसभा चुनाव सामान्य गर्मी में होते हैं इस दौरान राजस्थान जिसे मरुस्थलीय प्रदेश में जल प्रबंधन को लेकर विभिन्न समस्याएं होती है गर्मी के मौसम में बिजली जैसी अत्यावश्यक सेवा की उपलब्धता और सुधार कार्य भी प्रभावित होता है आचार संहिता के दौरान नहीं होनी चाहिए इसके अलावा रोजमर्रा के कार्यों पर आचार संहिता लागू नहीं होनी चाहिए , आवश्यक बैठक की मनाही भी आचार सहिंता में होती है इससे कानून-व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न होती है इस पर लगी रोक हटनी चाहिए , जहां मतदान हो जाए वह मतगणना तक आचार संहिता तार्किक नहीं होती लिहाजा इस संबंध में विचार किया जाए , राजकीय विश्राम स्थलों पर तैरने के लिए भी अवसर दिए जाने चाहिए ,


Conclusion:VO:-गौरतलब है कि अशोक गहलोत चुनाव के दौरान भी कई बार आचार संहिता नियमों को लेकर सवाल खड़े कर चुके हैं ।
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