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ब्यूरोक्रेसी की कमीः IAS अधिकारियों पर बढ़ता एडिशनल चार्ज का बोझ....30 विभागों में है ये स्थिति - additional Charge to Rajasthan Bureaucrats

राजस्थान पहले ही ब्यूरोक्रेसी की कमी से जूझ रहा है (Rajasthan Bureaucratic Crisis ). इस बीच आधा दर्जन आईएएस ने दिल्ली की राह पर जाने की तैयारी में है . एक के बाद एक आईएएस अफसरों के दिल्ली जाने के फैसले से प्रदेश में अनुभवी ब्यूरोक्रेसी का संकट ही खड़ा नहीं हुआ बल्कि 30 से ज्यादा विभाग ऐसे हैं जो अतिरिक्त चार्ज के सहारे चल रहे हैं . देखिये रिपोर्ट

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Published : Oct 24, 2022, 3:16 PM IST

Updated : Oct 24, 2022, 6:00 PM IST

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कई बार आलाधिकारियों की बैठक लेते हुए निर्देश दे चुके हैं कि सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने में कोई कोताही नहीं बरतें (Rajasthan Bureaucratic Crisis ). लेकिन सरकार के इस सुशासन और वित्तीय प्रबंधन को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि ब्यूरोक्रेसी की कमी के बीच किस तरह से योजनाओं को धरातल पर उतारा जाएगा.

एक के बाद एक अनुभवी और सीनियर ब्यूरोक्रेट्स दिल्ली प्रतिनियुक्ति पर चले जा रहे हैं. जिसके चलते यहां बचे अधिकारियों पर अतिरिक्त चार्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है. मौजूदा वक्त में 30 से ज्यादा विभाग ऐसे हैं जो अतिरिक्त चार्ज के सहारे चल रहे हैं. प्रदेश में 313 कैडर वाली ब्यूरोक्रेसी में अफसरों की कमी इतना ज्यादा हो चुकी है कि राज्य के 30 से ज्यादा विभागों के कामकाज की जिम्मेदारी अतिरिक्त प्रभार के रूप में अन्य विभागों के आईएएस को दी हुई है.

पूर्व IAS अधिकारी ने बताई असल वजह

मूल विभाग के साथ एक या दो अन्य विभागों की जिम्मेदारी संभालने से काम का बोझ बढ़ रहा है (Additional Charge to Rajasthan Bureaucrats ). मौजूदा समय में राज्य में 313 के मुकाबले सिर्फ 251 आईएएस अधिकारी ही राजस्थान सरकार में काम कर रहे हैं. इनमें से भी 10 आईएएस अधिकारी अभी अंडर ट्रेनिंग हैं . ख़ास बात है कि 251 में से भी 45 अफसर केंद्र में डेपुटेशन पर हैं या ट्रेनिंग के लिए विदेश गए हुए हैं . आधा दर्जन अधिकारी जाने की तैयारी में हैं . शेष 206 आईएएस में से 30 को अन्य विभागों की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है.

सीएस समेत इन अधिकारियों पर अतिरिक्त चार्ज:

  • मुख्य सचिव के पास है RSMML चेयरमैन पद का अतिरिक्त चार्ज.
  • सामाजिक न्याय विभाग के सचिव डॉ समित शर्मा अपने इस अहम पद के साथ विशेष योग्यजन के राज्य आयुक्त और बाल अधिकारिता विभाग के सचिव पद का संभाल रहे हैं.
  • राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव आनंद कुमार राजस्व के अलावा सैनिक कल्याण और देवस्थान विभाग के प्रमुख सचिव तथा इंदिरा गांधी नहर बोर्ड के चेयरमैन की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. साथ ही एग्रीकल्चर कमांड एरिया डवलपमेंट, वाटर यूटिलिटी और इंदिरा गांधी नहर विभाग के प्रमुख सचिव की भी अतिरिक्त जिम्मेदारी है .
  • सीएमडी डॉ. मनीषा अरोड़ा तीन विभागों का अतिरिक्त चार्ज संभाल रहे हैं.
  • वित्त विभाग के प्रमुख सचिव अखिल के पास दो विभागों का अतिरिक्त चार्ज है. उन्हें सूचना एवं जनसंपर्क तथा आईटी एंड कम्युनिकेशन जैसे विभाग भी सौंपे हुए हैं.
  • भानु प्रकाश अटरू श्रम विभाग के सचिव हैं और गृह विभाग के सचिव की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी उनके पास है.
  • वित्त सचिव एक्सपेंडिचर नरेश ठकराल के पास भी दो विभागों का अतिरिक्त चार्ज है.
  • अजमेर के संभागीय आयुक्त भंवरलाल मेहरा को टैक्स बोर्ड चेयरमैन पद का संभालना पड़ रहा है अतिरिक्त.
  • सीएम के सचिव गौरव गोयल अतिरिक्त चार्ज के रूप में निभा रहे हैं स्टेट सर्विस डिलीवरी वार रूम के सीईओ पद की जिम्मेदारी.
  • नरेश ठकराल हैं वित्त व्यय में सचिव लेकिन इसके साथ कौशल, रोजगार, उद्यमिता सचिव और खेलकूद युवा मामलात सचिव जैसे अहम पद की जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं.
  • उदयपुर के संभागीय आयुक्त राजेंद्र भट्ट उदयपुर में ही देवस्थान आयुक्त पद का संभाल रहे हैं अतिरिक्त.

ये भी पढ़ें-राजस्थान में छुट्टी पर मंत्री-विधायक, ब्यूरोक्रेसी के हवाले जनता, जानें क्यों है इस करोड़पति मंत्री को बस से गुरेज

अतिरिक्त प्रभाव से काम होता है प्रभावितः पूर्व आईएएस राजेंद्र भानावत कहते हैं कि अब विभागों को छोटे छोटे हिस्सों में बांट दिया है . इस लिए ज्यादा विभाग हो गए हैं और विभाग के लिहाज से अधिकारियों की कमी भी आ गई है. इस बीच कुछ सीनियर अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली चले जाते हैं . अफसरों की कमी के चलते अतिरिक्त प्रभार के रूप में अन्य विभागों के आईएएस को जिम्मेदारी दी जाती है .

उन्होंने कहा कि जिस अधिकारी के पास बड़ा मूल डिपार्टमेंट है तो उसका असर दोनों विभागों के कामकाज पर पड़ता है. उन्होंने कहा कि अफसरों की कमी के बीच अगर अतिरिक्त चार्ज दिया भी जाए तो ये देखना चाहिए कि जिस अधिकारी के पास मूल विभाग है उससे जुड़ा हुआ विभाग ही अतिरिक्त चार्ज के रूप में दिया जाना चाहिए. भानावत ने कहा कि अतिरिक्त चार्ज का जिम्मा संभाल रहे अफसर उस विभाग का अच्छे से काम नहीं देख सकते क्योंकि उन्हें ये पता नहीं होता की ये विभाग कब तक उनके पास रहेगा . इसके साथ ही मूल विभाग नहीं होने से बड़े स्तर के प्रशासनिक निर्णय भी नहीं लिए जाते है .

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कई बार आलाधिकारियों की बैठक लेते हुए निर्देश दे चुके हैं कि सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने में कोई कोताही नहीं बरतें (Rajasthan Bureaucratic Crisis ). लेकिन सरकार के इस सुशासन और वित्तीय प्रबंधन को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि ब्यूरोक्रेसी की कमी के बीच किस तरह से योजनाओं को धरातल पर उतारा जाएगा.

एक के बाद एक अनुभवी और सीनियर ब्यूरोक्रेट्स दिल्ली प्रतिनियुक्ति पर चले जा रहे हैं. जिसके चलते यहां बचे अधिकारियों पर अतिरिक्त चार्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है. मौजूदा वक्त में 30 से ज्यादा विभाग ऐसे हैं जो अतिरिक्त चार्ज के सहारे चल रहे हैं. प्रदेश में 313 कैडर वाली ब्यूरोक्रेसी में अफसरों की कमी इतना ज्यादा हो चुकी है कि राज्य के 30 से ज्यादा विभागों के कामकाज की जिम्मेदारी अतिरिक्त प्रभार के रूप में अन्य विभागों के आईएएस को दी हुई है.

पूर्व IAS अधिकारी ने बताई असल वजह

मूल विभाग के साथ एक या दो अन्य विभागों की जिम्मेदारी संभालने से काम का बोझ बढ़ रहा है (Additional Charge to Rajasthan Bureaucrats ). मौजूदा समय में राज्य में 313 के मुकाबले सिर्फ 251 आईएएस अधिकारी ही राजस्थान सरकार में काम कर रहे हैं. इनमें से भी 10 आईएएस अधिकारी अभी अंडर ट्रेनिंग हैं . ख़ास बात है कि 251 में से भी 45 अफसर केंद्र में डेपुटेशन पर हैं या ट्रेनिंग के लिए विदेश गए हुए हैं . आधा दर्जन अधिकारी जाने की तैयारी में हैं . शेष 206 आईएएस में से 30 को अन्य विभागों की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है.

सीएस समेत इन अधिकारियों पर अतिरिक्त चार्ज:

  • मुख्य सचिव के पास है RSMML चेयरमैन पद का अतिरिक्त चार्ज.
  • सामाजिक न्याय विभाग के सचिव डॉ समित शर्मा अपने इस अहम पद के साथ विशेष योग्यजन के राज्य आयुक्त और बाल अधिकारिता विभाग के सचिव पद का संभाल रहे हैं.
  • राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव आनंद कुमार राजस्व के अलावा सैनिक कल्याण और देवस्थान विभाग के प्रमुख सचिव तथा इंदिरा गांधी नहर बोर्ड के चेयरमैन की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. साथ ही एग्रीकल्चर कमांड एरिया डवलपमेंट, वाटर यूटिलिटी और इंदिरा गांधी नहर विभाग के प्रमुख सचिव की भी अतिरिक्त जिम्मेदारी है .
  • सीएमडी डॉ. मनीषा अरोड़ा तीन विभागों का अतिरिक्त चार्ज संभाल रहे हैं.
  • वित्त विभाग के प्रमुख सचिव अखिल के पास दो विभागों का अतिरिक्त चार्ज है. उन्हें सूचना एवं जनसंपर्क तथा आईटी एंड कम्युनिकेशन जैसे विभाग भी सौंपे हुए हैं.
  • भानु प्रकाश अटरू श्रम विभाग के सचिव हैं और गृह विभाग के सचिव की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी उनके पास है.
  • वित्त सचिव एक्सपेंडिचर नरेश ठकराल के पास भी दो विभागों का अतिरिक्त चार्ज है.
  • अजमेर के संभागीय आयुक्त भंवरलाल मेहरा को टैक्स बोर्ड चेयरमैन पद का संभालना पड़ रहा है अतिरिक्त.
  • सीएम के सचिव गौरव गोयल अतिरिक्त चार्ज के रूप में निभा रहे हैं स्टेट सर्विस डिलीवरी वार रूम के सीईओ पद की जिम्मेदारी.
  • नरेश ठकराल हैं वित्त व्यय में सचिव लेकिन इसके साथ कौशल, रोजगार, उद्यमिता सचिव और खेलकूद युवा मामलात सचिव जैसे अहम पद की जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं.
  • उदयपुर के संभागीय आयुक्त राजेंद्र भट्ट उदयपुर में ही देवस्थान आयुक्त पद का संभाल रहे हैं अतिरिक्त.

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अतिरिक्त प्रभाव से काम होता है प्रभावितः पूर्व आईएएस राजेंद्र भानावत कहते हैं कि अब विभागों को छोटे छोटे हिस्सों में बांट दिया है . इस लिए ज्यादा विभाग हो गए हैं और विभाग के लिहाज से अधिकारियों की कमी भी आ गई है. इस बीच कुछ सीनियर अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली चले जाते हैं . अफसरों की कमी के चलते अतिरिक्त प्रभार के रूप में अन्य विभागों के आईएएस को जिम्मेदारी दी जाती है .

उन्होंने कहा कि जिस अधिकारी के पास बड़ा मूल डिपार्टमेंट है तो उसका असर दोनों विभागों के कामकाज पर पड़ता है. उन्होंने कहा कि अफसरों की कमी के बीच अगर अतिरिक्त चार्ज दिया भी जाए तो ये देखना चाहिए कि जिस अधिकारी के पास मूल विभाग है उससे जुड़ा हुआ विभाग ही अतिरिक्त चार्ज के रूप में दिया जाना चाहिए. भानावत ने कहा कि अतिरिक्त चार्ज का जिम्मा संभाल रहे अफसर उस विभाग का अच्छे से काम नहीं देख सकते क्योंकि उन्हें ये पता नहीं होता की ये विभाग कब तक उनके पास रहेगा . इसके साथ ही मूल विभाग नहीं होने से बड़े स्तर के प्रशासनिक निर्णय भी नहीं लिए जाते है .

Last Updated : Oct 24, 2022, 6:00 PM IST
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