ETV Bharat / state

Rajasthan Budget 2023 : चुनावी साल का बजट होगा लोकलुभावन!, एक्सपर्ट से समझिए कहां मिलेगी राहत

चुनावी साल में सीएम अशोक गहलोत अपने तीसरे कार्यकाल का अंतिम बजट 2023-24 सदन में रखेंगे. 10 फरवरी को पेश होने वाले इस बजट को लेकर सीएम गहलोत ने पहले ही संकेत दे दिए हैं कि ये बजट 'बचत, राहत और बढ़त' देने वाला होगा. क्या ऐसा एक्सपर्ट्स मानते हैं?

Rajasthan Budget 2023
कैसा होगा बजट? Experts ने बताया क्या करे सरकार
author img

By

Published : Feb 8, 2023, 5:20 PM IST

Updated : Feb 10, 2023, 6:50 AM IST

बचत, राहत और बढ़त की उम्मीद

जयपुर. सीएम के तीसरे कार्यकाल के अंतिम बजट से उम्मीदें बड़ी हैं. चुनावी साल है तो एक्सपर्ट भी मान रहे हैं कि गहलोत के जादुई पिटारे से इस बार आम आदमी से जुड़ी राहत की सौगातें निकलेगी. पेट्रोल - डीजल में वैट , स्टाम्प ड्यूटी , बिजली , पानी और शिक्षा - स्वास्थ्य में बड़ी छूट की घोषणा हो सकती है. इसके पीछे ये लोग कई तर्क भी गढ़ते हैं. इशारा उन होर्डिंग्स की ओर करते हैं जो पूरे शहर में पटे पड़े हैं.

होर्डिंग में संकेत- जयपुर सहित प्रमुख शहरों में लगे 'बचत, राहत और बढ़त' के होर्डिंग बताने के लिए काफी हैं कि इस बार 10 फरवरी सीएम गहलोत अपने पिटारे से क्या कुछ निकालने वाले हैं. चुनावी साल में पेश हो रहे सरकार के इस आखिरी बजट से सभी की उम्मीदें वाबस्ता हैं. वित्तीय मामलों के Expert भी मान रहे हैं कि सरकार इस बार जनकल्याणकारी बजट पेश कर आम तबके को राहत देने की कोशिश करेगी.

एक्सपर्ट से समझिए कहां मिलेगी राहत

इनमें मिल सकती है छूट- सीए विकास राजवंशी कहते हैं कि वैसे तो जीएसटी लागू होने के बाद राज्य सरकारों के हाथ में टैक्सेस को लेकर अब कोई ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं. लेकिन अभी भी पेट्रोल डीजल वैट, रोड टैक्स, लिकर, माइनिंग सहित कुछ ऐसे क्षेत्र है जहां पर सरकार के पास अपने अधिकार हैं. उम्मीद की जा रही है कि इस बार जो बजट पेश होगा उसमें सरकार पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले वैट में कमी कर सकती है क्योंकि राजस्थान ऐसा राज्य है जहां पर देश के सभी राज्यों से ज्यादा वैट लिया जा रहा है. विपक्ष भी इस मुद्दे को अकसर उछालता है. इसके अलावा स्टांप ड्यूटी में भी सरकार कुछ राहत दे सकती है, जिससे ठप पड़े रियल स्टेट में जान फूंकी जा सके.

पॉलिसी में सुधार की दरकार- विकास कहते हैं कि वैसे तो सरकार ने रिप्स (राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना) सौर्य ऊर्जा और इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल नीति बना रखी है लेकिन इसमें भी नियम ऐसे हैं कि उसका लाभ आम आदमी नही ले सकता. राजस्थान इन्वेस्टमेंट प्रमोशन स्कीम में सुधार की जरूरत है. जानकार मानते हैं कि इसमें डीएलसी की छूट समान होनी चाहिए. इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल चार्जिंग पॉलिसी में ड्यूटी 6 रुपए यूनिट की बात कही गई लेकिन फिक्स चार्ज इतना ज्यादा है कि लोग इसका लाभ नही उठा पा रहे हैं. इसी तरह से सौर्य ऊर्जा को लेकर 2019 में पॉलिसी बनाई गई थी , जिसमें तय था कि शुरुआती 7 साल तक इलेक्ट्रीसिटी ड्यूटी नही लगेगी लेकिन वो छूट नही मिल रही है. इनमें सुधार की जरूरत है.

ये भी पढ़ें- Rajasthan Budget 2023: बजट से पहले हरीश चौधरी की इस मांग ने बढ़ाई गहलोत सरकार की मुश्किलें, जानिए क्या है मांग

गिग वर्कर्स के लिए पॉलिसी हो- बजट मामलों के जानकार अभिनव राजवंशी अस्थायी कर्मचारियों यानी गिग वर्कर्स के हित की बात उठाते हैं. कहते हैं-अशोक गहलोत सोशल सिक्योरिटी की बात हमेशा करते हैं. इस बार उम्मीद की जा रही और सिविल सोसायटी की मांग भी रही है कि गिग वर्कर्स के लिए कोई पॉलिसी लाई जाए. फूड डिलीवरी एप, कैब सर्विसेज जैसी एप बेस्ड कंपनियों में काम करने वाले कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा की दृष्टि से कानूनी प्रावधान बनाकर बजट दिया जा सकता है. अभिनव कहते हैं कि ऐसी कंपनियों में लाखों लोग काम कर रहे हैं , लेकिन उनके लिए कोई पॉलिसी नही है. इनकी जॉब सिक्योरिटी नही है, हेल्थ कवर नहीं है ओर न ही लेबर एक्ट लागू है. जरूरत इस बात की है कि इन्हें लेकर पॉलिसी बने ताकि कामगारों की नौकरी सुरक्षित रहे और वह शोषण से बच सकें.

पढ़ें- Rajasthan Budget 2023: फिर बढ़ेगी कर्ज की राशि, 1952 के मुकाबले 2023 के इस आंकड़े को जान चौंक जाएंगे आप

महिला प्रोत्साहन के लिए हो काम- पेशे से सीए, रितिका महिला प्रोत्साहन की बात करती हैं. कहती हैं- कोरोना काल के बाद जितना नेगेटिव इंपैक्ट आया है , उतना ही पॉजिटिव इंपैक्ट निकल कर सामने आया है. महिलाएं अपने स्किल के जरिए बिजनेस खड़ा कर रही हैं. उम्मीद करती हैं कि सरकार ऐसी योजनाओं के साथ सामने आए जिसमें महिलाओं को और ज्यादा प्रोत्साहित किया जा सके. रितिका सब्सिडी पर लोन सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात करती हैं. बिजनेस वुमन के लिए सिंगल विंडो डेस्क को भी अहम मानती हैं. मानती हैं कि इससे सरकार की योजनाओं के बारे में अधिक से अधिक जानकारी जुटा सकेंगी. एक सुझाव और देती हैं कहती हैं उसमें फीमेल स्टाफ हो तो बढ़िया हो.

रितिका बताती हैं कि प्राइवेट सेक्टर में बोर्ड ऑफिस में एक महिला की अनिवार्यता है, लेकिन इस नियम की पालना नहीं होती है. अपील करती हैं कि सरकार कोई प्रावधान लेकर आए ताकि महिलाएं और ज्यादा आगे आ सकें साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर भी कुछ कारगर कदम उठाने की मांग सरकार से करती हैं.

बचत, राहत और बढ़त की उम्मीद

जयपुर. सीएम के तीसरे कार्यकाल के अंतिम बजट से उम्मीदें बड़ी हैं. चुनावी साल है तो एक्सपर्ट भी मान रहे हैं कि गहलोत के जादुई पिटारे से इस बार आम आदमी से जुड़ी राहत की सौगातें निकलेगी. पेट्रोल - डीजल में वैट , स्टाम्प ड्यूटी , बिजली , पानी और शिक्षा - स्वास्थ्य में बड़ी छूट की घोषणा हो सकती है. इसके पीछे ये लोग कई तर्क भी गढ़ते हैं. इशारा उन होर्डिंग्स की ओर करते हैं जो पूरे शहर में पटे पड़े हैं.

होर्डिंग में संकेत- जयपुर सहित प्रमुख शहरों में लगे 'बचत, राहत और बढ़त' के होर्डिंग बताने के लिए काफी हैं कि इस बार 10 फरवरी सीएम गहलोत अपने पिटारे से क्या कुछ निकालने वाले हैं. चुनावी साल में पेश हो रहे सरकार के इस आखिरी बजट से सभी की उम्मीदें वाबस्ता हैं. वित्तीय मामलों के Expert भी मान रहे हैं कि सरकार इस बार जनकल्याणकारी बजट पेश कर आम तबके को राहत देने की कोशिश करेगी.

एक्सपर्ट से समझिए कहां मिलेगी राहत

इनमें मिल सकती है छूट- सीए विकास राजवंशी कहते हैं कि वैसे तो जीएसटी लागू होने के बाद राज्य सरकारों के हाथ में टैक्सेस को लेकर अब कोई ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं. लेकिन अभी भी पेट्रोल डीजल वैट, रोड टैक्स, लिकर, माइनिंग सहित कुछ ऐसे क्षेत्र है जहां पर सरकार के पास अपने अधिकार हैं. उम्मीद की जा रही है कि इस बार जो बजट पेश होगा उसमें सरकार पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले वैट में कमी कर सकती है क्योंकि राजस्थान ऐसा राज्य है जहां पर देश के सभी राज्यों से ज्यादा वैट लिया जा रहा है. विपक्ष भी इस मुद्दे को अकसर उछालता है. इसके अलावा स्टांप ड्यूटी में भी सरकार कुछ राहत दे सकती है, जिससे ठप पड़े रियल स्टेट में जान फूंकी जा सके.

पॉलिसी में सुधार की दरकार- विकास कहते हैं कि वैसे तो सरकार ने रिप्स (राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना) सौर्य ऊर्जा और इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल नीति बना रखी है लेकिन इसमें भी नियम ऐसे हैं कि उसका लाभ आम आदमी नही ले सकता. राजस्थान इन्वेस्टमेंट प्रमोशन स्कीम में सुधार की जरूरत है. जानकार मानते हैं कि इसमें डीएलसी की छूट समान होनी चाहिए. इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल चार्जिंग पॉलिसी में ड्यूटी 6 रुपए यूनिट की बात कही गई लेकिन फिक्स चार्ज इतना ज्यादा है कि लोग इसका लाभ नही उठा पा रहे हैं. इसी तरह से सौर्य ऊर्जा को लेकर 2019 में पॉलिसी बनाई गई थी , जिसमें तय था कि शुरुआती 7 साल तक इलेक्ट्रीसिटी ड्यूटी नही लगेगी लेकिन वो छूट नही मिल रही है. इनमें सुधार की जरूरत है.

ये भी पढ़ें- Rajasthan Budget 2023: बजट से पहले हरीश चौधरी की इस मांग ने बढ़ाई गहलोत सरकार की मुश्किलें, जानिए क्या है मांग

गिग वर्कर्स के लिए पॉलिसी हो- बजट मामलों के जानकार अभिनव राजवंशी अस्थायी कर्मचारियों यानी गिग वर्कर्स के हित की बात उठाते हैं. कहते हैं-अशोक गहलोत सोशल सिक्योरिटी की बात हमेशा करते हैं. इस बार उम्मीद की जा रही और सिविल सोसायटी की मांग भी रही है कि गिग वर्कर्स के लिए कोई पॉलिसी लाई जाए. फूड डिलीवरी एप, कैब सर्विसेज जैसी एप बेस्ड कंपनियों में काम करने वाले कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा की दृष्टि से कानूनी प्रावधान बनाकर बजट दिया जा सकता है. अभिनव कहते हैं कि ऐसी कंपनियों में लाखों लोग काम कर रहे हैं , लेकिन उनके लिए कोई पॉलिसी नही है. इनकी जॉब सिक्योरिटी नही है, हेल्थ कवर नहीं है ओर न ही लेबर एक्ट लागू है. जरूरत इस बात की है कि इन्हें लेकर पॉलिसी बने ताकि कामगारों की नौकरी सुरक्षित रहे और वह शोषण से बच सकें.

पढ़ें- Rajasthan Budget 2023: फिर बढ़ेगी कर्ज की राशि, 1952 के मुकाबले 2023 के इस आंकड़े को जान चौंक जाएंगे आप

महिला प्रोत्साहन के लिए हो काम- पेशे से सीए, रितिका महिला प्रोत्साहन की बात करती हैं. कहती हैं- कोरोना काल के बाद जितना नेगेटिव इंपैक्ट आया है , उतना ही पॉजिटिव इंपैक्ट निकल कर सामने आया है. महिलाएं अपने स्किल के जरिए बिजनेस खड़ा कर रही हैं. उम्मीद करती हैं कि सरकार ऐसी योजनाओं के साथ सामने आए जिसमें महिलाओं को और ज्यादा प्रोत्साहित किया जा सके. रितिका सब्सिडी पर लोन सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात करती हैं. बिजनेस वुमन के लिए सिंगल विंडो डेस्क को भी अहम मानती हैं. मानती हैं कि इससे सरकार की योजनाओं के बारे में अधिक से अधिक जानकारी जुटा सकेंगी. एक सुझाव और देती हैं कहती हैं उसमें फीमेल स्टाफ हो तो बढ़िया हो.

रितिका बताती हैं कि प्राइवेट सेक्टर में बोर्ड ऑफिस में एक महिला की अनिवार्यता है, लेकिन इस नियम की पालना नहीं होती है. अपील करती हैं कि सरकार कोई प्रावधान लेकर आए ताकि महिलाएं और ज्यादा आगे आ सकें साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर भी कुछ कारगर कदम उठाने की मांग सरकार से करती हैं.

Last Updated : Feb 10, 2023, 6:50 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.