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विधानसभा सत्र में सरकार की थोथी घोषणाओं की खोलेंगे पोल : राजेंद्र राठौड़

राजस्थान की गहलोत सरकार जुलाई के दूसरे सप्ताह में विधानसभा सत्र बुला सकती है. इस सत्र में विपक्ष पोलखोल अभियान के जरिए सरकार को घेरने की पूरी में है. नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में सरकार को कई मुद्दों पर घेरने की बात कही...

Leader of Opposition Rajendra Rathore
नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़
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Published : Jun 26, 2023, 7:39 PM IST

नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने क्या कहा, सुनिए...

जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार अपने शासन का अंतिम विधानसभा सत्र जुलाई के दूसरे सप्ताह यानी 13 या 14 जुलाई से बुलाने को तैयारी में है. माना जा रहा है कि ये सत्र चार से पांच दिन का ही होगा, लेकिन इन कम दिनों में भी विपक्ष मजबूती के साथ सरकार को घेरने की रणनीति बना रहा है. नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि घोषणा पत्र के वादें हों या फिर बजट घोषणा सरकार इनको पूरा करने में नाकाम रही है. विपक्ष सदन से सड़क तक इस सरकार की पोल खोलने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.

सदन से सरकार भागती रही है : नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि निश्चित तौर पर इस सरकार का यह आखिरी सत्र आएगा. दुर्भाग्य इस बात का है कि इस सरकार ने विधानसभा सत्र का सत्रावसान नहीं किया. अगर सत्रावसान होता तो 21 दिन का नोटिस देना पड़ता और सरकार सिर्फ औपचारिकता पूरी कर रही है. सदन से सरकार हमेशा भागती रही है. सत्र प्रारंभ होगा तो मुद्दों के आधार पर सरकार को घेरेंगे. सरकार ने जो थोथी घोषणा की है, उनको जनता के सामने लाने के लिए सदन के पटल पर पोल खोल अभियान चलाएंगे. सरकार आंतरिक कलह के बीच अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में नाकाम रही है.

पढ़ें. Rajasthan Assembly Election: एमएलए वेद सोलंकी बोले-मिलकर लड़ेंगे चुनाव, कांग्रेस की सरकार बनाएंगे

धरातल पर नहीं उतरी घोषणाएं : उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले कई घोषणा की थी, उन घोषणाओं को अब तक पूरा नहीं किया गया. किसानों की संपूर्ण कर्ज माफी, बेरोजगारों को भत्ता देने की घोषणा की थी, लेकिन सरकार के साढ़े चार पूरे होने के बाद भी वह घोषणा अभी भी अधूरी पड़ी है. किसान कर्ज के चलते आत्महत्या कर रहे हैं. हजारों किसानों की जमीनें नीलाम होने की कगार पर हैं. सरकार की कथनी और करनी में अंतर को जनता ने भुगता है. सरकार ने बजट में घोषणा पर घोषणा की, जबकि कोई बजट का प्रावधान ही नहीं किया. इसके चलते वो धरातल पर नहीं उतर पा रही हैं. सरकार की योजनाओं का पोल खोलने का काम बीजेपी करेगी. कानून-व्यवस्था और भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा है, उसको लेकर विपक्ष अपनी भूमिका पूर्ण तरीके से निभाएगा.

नोटों के बंडल और सोना कहां से आया ? : राठौड़ ने कहा कि इस बार सदन में सचिवालय से चंद कदमों की दूरी पर नोटों के बंडल और सोने के बिस्किट मिले हैं. इस मुद्दे को लेकर भी सदन के पटल पर लाकर सरकार से जवाब मांगा जाएगा. सरकार ने अब इस बात का खुलासा नहीं किया है कि आखिर सरकारी महकमे में ये पैसे और सोना कहां से आया ? उन्होंने कहा कि महंगाई राहत के नाम पर लोगों को गुमराह किया जा रहा है. अगर सरकार की मंशा ठीक होती तो आम जनता को बिना लाइन में खड़े कर लाभ और राहत दिए जा सकते थे. आने वाले दिनों में जा सड़क पर पोल खोल अभियान के जरिए सरकार को बेनकाब किया जाएगा.

पढ़ें. Rajasthan New Districts : नेता प्रतिपक्ष राठौड़ बोले- सत्ता वापसी का पैंतरा बन गया सीएम गहलोत के गले की फांस

गले की फांस बना, सत्ता वापसी का पैंतरा : नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने दावा किया कि रामलुभाया कमेटी की रिपोर्ट आए बिना प्रदेश में 19 जिलों और 3 संभाग के गठन की घोषणा की गई. इससे प्रदेश में हिंसा का माहौल बन गया है. सीएम गहलोत ने सत्ता में वापसी का जो पैंतरा आजमाया, आज वो उनके लिए मुसीबत बन गया है. कांग्रेस सरकार चुनाव के चलते जनभावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है. यह घोषणा महज राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति करने का ढोंग है.

जुलाई के दूसरे सप्ताह में हो सकता है विधानसभा सत्र : माना जा रहा है कि गहलोत सरकार अपने शासन का आखिरी सत्र जुलाई के दूसरे सप्ताह में यानी 13 से 14 जुलाई को बुला सकती है. इस बार का सत्र 4 से 5 दिन का ही होगा. इस छोटे विधानसभा सत्र के जरिए सरकार आधा दर्जन के करीब बिल पास कराने की कोशिश करेगी. हालांकि, विधानसभा सत्र आहूत करने को लेकर आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है.

नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने क्या कहा, सुनिए...

जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार अपने शासन का अंतिम विधानसभा सत्र जुलाई के दूसरे सप्ताह यानी 13 या 14 जुलाई से बुलाने को तैयारी में है. माना जा रहा है कि ये सत्र चार से पांच दिन का ही होगा, लेकिन इन कम दिनों में भी विपक्ष मजबूती के साथ सरकार को घेरने की रणनीति बना रहा है. नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि घोषणा पत्र के वादें हों या फिर बजट घोषणा सरकार इनको पूरा करने में नाकाम रही है. विपक्ष सदन से सड़क तक इस सरकार की पोल खोलने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.

सदन से सरकार भागती रही है : नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि निश्चित तौर पर इस सरकार का यह आखिरी सत्र आएगा. दुर्भाग्य इस बात का है कि इस सरकार ने विधानसभा सत्र का सत्रावसान नहीं किया. अगर सत्रावसान होता तो 21 दिन का नोटिस देना पड़ता और सरकार सिर्फ औपचारिकता पूरी कर रही है. सदन से सरकार हमेशा भागती रही है. सत्र प्रारंभ होगा तो मुद्दों के आधार पर सरकार को घेरेंगे. सरकार ने जो थोथी घोषणा की है, उनको जनता के सामने लाने के लिए सदन के पटल पर पोल खोल अभियान चलाएंगे. सरकार आंतरिक कलह के बीच अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में नाकाम रही है.

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धरातल पर नहीं उतरी घोषणाएं : उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले कई घोषणा की थी, उन घोषणाओं को अब तक पूरा नहीं किया गया. किसानों की संपूर्ण कर्ज माफी, बेरोजगारों को भत्ता देने की घोषणा की थी, लेकिन सरकार के साढ़े चार पूरे होने के बाद भी वह घोषणा अभी भी अधूरी पड़ी है. किसान कर्ज के चलते आत्महत्या कर रहे हैं. हजारों किसानों की जमीनें नीलाम होने की कगार पर हैं. सरकार की कथनी और करनी में अंतर को जनता ने भुगता है. सरकार ने बजट में घोषणा पर घोषणा की, जबकि कोई बजट का प्रावधान ही नहीं किया. इसके चलते वो धरातल पर नहीं उतर पा रही हैं. सरकार की योजनाओं का पोल खोलने का काम बीजेपी करेगी. कानून-व्यवस्था और भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा है, उसको लेकर विपक्ष अपनी भूमिका पूर्ण तरीके से निभाएगा.

नोटों के बंडल और सोना कहां से आया ? : राठौड़ ने कहा कि इस बार सदन में सचिवालय से चंद कदमों की दूरी पर नोटों के बंडल और सोने के बिस्किट मिले हैं. इस मुद्दे को लेकर भी सदन के पटल पर लाकर सरकार से जवाब मांगा जाएगा. सरकार ने अब इस बात का खुलासा नहीं किया है कि आखिर सरकारी महकमे में ये पैसे और सोना कहां से आया ? उन्होंने कहा कि महंगाई राहत के नाम पर लोगों को गुमराह किया जा रहा है. अगर सरकार की मंशा ठीक होती तो आम जनता को बिना लाइन में खड़े कर लाभ और राहत दिए जा सकते थे. आने वाले दिनों में जा सड़क पर पोल खोल अभियान के जरिए सरकार को बेनकाब किया जाएगा.

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जुलाई के दूसरे सप्ताह में हो सकता है विधानसभा सत्र : माना जा रहा है कि गहलोत सरकार अपने शासन का आखिरी सत्र जुलाई के दूसरे सप्ताह में यानी 13 से 14 जुलाई को बुला सकती है. इस बार का सत्र 4 से 5 दिन का ही होगा. इस छोटे विधानसभा सत्र के जरिए सरकार आधा दर्जन के करीब बिल पास कराने की कोशिश करेगी. हालांकि, विधानसभा सत्र आहूत करने को लेकर आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है.

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