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26 फरवरी को महाशिवरात्रि, संकट दूर करने के लिए भगवान भोलेनाथ की करें पूजा - MAHASHIVARATRI

सनातन धर्म में फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है.

महाशिवरात्रि पर महासंयोग
महाशिवरात्रि पर महासंयोग (फोटो ईटीवी भारत बीकानेर)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 19, 2025, 8:49 AM IST

बीकानेर. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस कारण इस दिन को महाशिवरात्रि कहा जाता है और सनातन धर्म में इसे बहुत पवित्र पर्व माना जाता है. महाशिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा-अर्चना का एक विधान है और पूजा करते समय इनका ध्यान रखना चाहिए. महाशिवरात्रि की पूजा में शिव की पूजा करने का प्रतिफल जल्दी मिलता है. 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर चतुर्दशी तिथि शुरू होगी और इस तिथि का समापन 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर होगा. महाशिवरात्रि में रात्रि के पूजन का विधान है इसलिए 26 फरवरी को महाशिवरात्रि होगी.

शिव की आराधना से कट जाते हैं सारे संकट : बीकानेर के पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते है भगवान शिव की पूजा-आराधना करने के लिए महाशिवरात्रि का व्रत और पूजन श्रेष्ठ बतलाया गया है. इस दिन शिव की पूजा करने से शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सभी संकटों से मुक्ति मिलती है. भगवान शिव की पूजा आराधना करने के लिए कई विधान बताए गए हैं.

पढ़ें: 31 साल बाद बुधादित्य और त्रिग्रही योग के संयोग में मनाई जाएगी महाशिवरात्रि, छोटी काशी के मंदिरों में की जा रही विशेष तैयारी

चार प्रहर की पूजा का महत्व : भगवान शिव की महाशिवरात्रि को पूजा की विधि होती है. महाशिवरात्रि को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए चार प्रहर में पूजा की जाती है. पूजा के प्रत्येक प्रहर में दूध, दही, मधु, चीनी से भगवान शिव का अलग-अलग अभिषेक किया जाना चाहिए. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और शिव परिवार का रात्रि पर्यंत अभिषेक करना चाहिए. रात्रि के समय जागरण करके व्रत रखना चाहिए. इस दिन ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए. चार प्रहर की पूजा में प्रत्येक प्रसाद में खीर, मालपुआ, गुलाब जामुन, रेवड़ी, ऋतु फल चढ़ाकर शिव परिवार को प्रसन्न करना चाहिए. इस दिन भगवान विशेष श्रृंगार किया जाता है.

बिल्व पत्र से अर्चन का खास महत्व : महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की चारों पूजा में भगवान की षोडशोपचार पूजा करके महाआरती की जाती है. शिव पुराण के मुताबिक भगवान शिव का 1008 बिल्वपत्र, कमल, गुलाब और शमी पत्र से विशेष अर्चन करना चाहिए. शिव पुराण के मुताबिक भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते समय और बाद में शिव स्त्रोत, शिव महिमन स्त्रोत, शिव पंचाक्षर स्त्रोत, लिंगाष्टक स्त्रोत, रुद्राष्टक स्त्रोत, शिव तांडव स्त्रोत, द्वादश ज्योतिर्लिंग स्त्रोत का पाठ कर रात्रि जागरण करने, शिवरात्रि व्रत कथा का श्रवण करना चाहिए. इसका अत्यधिक पुण्य बताया गया है.

सारे दिन होती पूजा-अर्चना अभिषेक : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन शिव मंदिरों में जाकर दिनभर श्रद्धालु अभिषेक पूजा-अर्चन और जल अर्पण कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि महाशिवरात्रि के दिन दिनभर भगवान शिव की पूजा-अर्चना और जलाभिषेक और अन्य पंचगव्य अभिषेक भी किए जा सकते हैं.

चार प्रहर की पूजा का महत्व: महाशिवरात्रि को रात्रि में चार प्रहर की पूजा का विशेष महत्व है. चार प्रहर प्रदोष, निशिथ, त्रियामा और उषा कहलाते हैं.

रात्रि 4 प्रहर पूजा मुहूर्त :-
प्रथम प्रहर पूजा समय: 06:19 बजे 09:26 बजे तक
द्वितीय प्रहर पूजा समय: 09:26 बजे से 12:34 बजे तक
तृतीय प्रहर पूजा समय: देर रात 12:34 बजे से तड़के 03:41 बजे तक
चतुर्थ प्रहर पूजा समय: 27 फरवरी, तड़के 03:41 बजे से सुबह 06:48 बजे तक

चारों पहर की पूजा का तरीका : पहले प्रहर में दूध से अभिषेक, दूसरे प्रहर में दही से अभिषेक, तीसरे प्रहर में घी से अभिषेक और चौथे प्रहर में शहद से अभिषेक करने का विधान है.

बीकानेर. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस कारण इस दिन को महाशिवरात्रि कहा जाता है और सनातन धर्म में इसे बहुत पवित्र पर्व माना जाता है. महाशिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा-अर्चना का एक विधान है और पूजा करते समय इनका ध्यान रखना चाहिए. महाशिवरात्रि की पूजा में शिव की पूजा करने का प्रतिफल जल्दी मिलता है. 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर चतुर्दशी तिथि शुरू होगी और इस तिथि का समापन 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर होगा. महाशिवरात्रि में रात्रि के पूजन का विधान है इसलिए 26 फरवरी को महाशिवरात्रि होगी.

शिव की आराधना से कट जाते हैं सारे संकट : बीकानेर के पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते है भगवान शिव की पूजा-आराधना करने के लिए महाशिवरात्रि का व्रत और पूजन श्रेष्ठ बतलाया गया है. इस दिन शिव की पूजा करने से शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सभी संकटों से मुक्ति मिलती है. भगवान शिव की पूजा आराधना करने के लिए कई विधान बताए गए हैं.

पढ़ें: 31 साल बाद बुधादित्य और त्रिग्रही योग के संयोग में मनाई जाएगी महाशिवरात्रि, छोटी काशी के मंदिरों में की जा रही विशेष तैयारी

चार प्रहर की पूजा का महत्व : भगवान शिव की महाशिवरात्रि को पूजा की विधि होती है. महाशिवरात्रि को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए चार प्रहर में पूजा की जाती है. पूजा के प्रत्येक प्रहर में दूध, दही, मधु, चीनी से भगवान शिव का अलग-अलग अभिषेक किया जाना चाहिए. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और शिव परिवार का रात्रि पर्यंत अभिषेक करना चाहिए. रात्रि के समय जागरण करके व्रत रखना चाहिए. इस दिन ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए. चार प्रहर की पूजा में प्रत्येक प्रसाद में खीर, मालपुआ, गुलाब जामुन, रेवड़ी, ऋतु फल चढ़ाकर शिव परिवार को प्रसन्न करना चाहिए. इस दिन भगवान विशेष श्रृंगार किया जाता है.

बिल्व पत्र से अर्चन का खास महत्व : महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की चारों पूजा में भगवान की षोडशोपचार पूजा करके महाआरती की जाती है. शिव पुराण के मुताबिक भगवान शिव का 1008 बिल्वपत्र, कमल, गुलाब और शमी पत्र से विशेष अर्चन करना चाहिए. शिव पुराण के मुताबिक भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते समय और बाद में शिव स्त्रोत, शिव महिमन स्त्रोत, शिव पंचाक्षर स्त्रोत, लिंगाष्टक स्त्रोत, रुद्राष्टक स्त्रोत, शिव तांडव स्त्रोत, द्वादश ज्योतिर्लिंग स्त्रोत का पाठ कर रात्रि जागरण करने, शिवरात्रि व्रत कथा का श्रवण करना चाहिए. इसका अत्यधिक पुण्य बताया गया है.

सारे दिन होती पूजा-अर्चना अभिषेक : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन शिव मंदिरों में जाकर दिनभर श्रद्धालु अभिषेक पूजा-अर्चन और जल अर्पण कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि महाशिवरात्रि के दिन दिनभर भगवान शिव की पूजा-अर्चना और जलाभिषेक और अन्य पंचगव्य अभिषेक भी किए जा सकते हैं.

चार प्रहर की पूजा का महत्व: महाशिवरात्रि को रात्रि में चार प्रहर की पूजा का विशेष महत्व है. चार प्रहर प्रदोष, निशिथ, त्रियामा और उषा कहलाते हैं.

रात्रि 4 प्रहर पूजा मुहूर्त :-
प्रथम प्रहर पूजा समय: 06:19 बजे 09:26 बजे तक
द्वितीय प्रहर पूजा समय: 09:26 बजे से 12:34 बजे तक
तृतीय प्रहर पूजा समय: देर रात 12:34 बजे से तड़के 03:41 बजे तक
चतुर्थ प्रहर पूजा समय: 27 फरवरी, तड़के 03:41 बजे से सुबह 06:48 बजे तक

चारों पहर की पूजा का तरीका : पहले प्रहर में दूध से अभिषेक, दूसरे प्रहर में दही से अभिषेक, तीसरे प्रहर में घी से अभिषेक और चौथे प्रहर में शहद से अभिषेक करने का विधान है.

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