बीकानेर. रेल यात्रा के दौरान वॉशरूम में पानी नहीं होने के चलते यात्रियों को कई बार दिक्कत का सामना करना पड़ता है और चलती ट्रेन में इसको लेकर कोई सुनवाई नहीं होती है. जिसके चलती यात्री परेशान होते हैं. लेकिन अब रेल यात्रियों की परेशानियों को देखते हुए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ए तकनीक के जरिए रेलवे इस समस्या से निजात पाने की तैयारी कर चुका है. बीकानेर रेल मंडल में यात्रियों को श्रेष्ठ सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अब AI तकनीकी सेंसर का उपयोग किया जा रहा है. इसके तहत अब ट्रेन के कोच में पानी कम या खत्म होने पर सेंसर के माध्यम से तुरंत पता चलेगा, जिससे तुरंत समस्या का समाधान किया जा सकेगा.
प्रायोगिक तौर पर एक ट्रेन में शुरुआत : बीकानेर मंडल पर इस AI सेंसर तकनीकी का उपयोग नांदेड़- श्रीगंगानगर ट्रेन में किया जा रहा है. इस AI तकनीकी का नाम हाइड्रोस्टेटिक वाटर लेवल सेंसर है. इस AI सेंसर तकनीकी में पानी टंकी में कम होने पर बाथरूम के पास लगी लाइट सेंसर के माध्यम से जलती है. यदि टंकी में पानी की उपलब्धता के अनुसार लाइट रिफ्लेक्ट होगी और उसी अनुसार पानी की मात्रा जैसे-जैसे कम होगी वैसे-वैसे इसका पता चला जाएगा. वरिष्ठ वाणिज्य मंडल प्रबंधक भूपेश यादव ने बताया कि इस सेंसर से पता चलता है कि हमारी ट्रेन की टंकी में कितना प्रतिशत पानी है, कम पानी होने की स्थिति में इसमें उचित स्टेशन पर पानी भर दिया जाता है. यह सेंसर पानी के प्रेशर के माध्यम से लाइटों (बत्ती) को सिग्नल भेजता है, जिससे संबंधित लाइट की बत्ती जल जाती है और टैंक में पानी की वर्तमान स्थिति का पता चलता है. वर्तमान में ट्रेनों के कोच में डिब्बे के ऊपर और नीचे पानी के टैंक स्थापित किए गए हैं, नीचे स्थित पानी के टैंक में पानी ऊपर उठाने के लिए मोटर का उपयोग किया जाता है तथा ऊपर स्थापित वाटर टैंक में किसी प्रकार की मोटर का उपयोग नहीं किया जाता है.
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रेलवे और यात्री दोनों को लाभ : इस सेंसर के उपयोग से ट्रेन के जिन कोचों में पानी कम है उन कोच का पता चलने से उनमें पानी भरा जाता है जिससे समय की बचत होती है. इससे यात्री निश्चित समय पर अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं. साथ ही पानी के ओवरफ्लो की संभावनाएं कम होती हैं और पानी का सदुपयोग भी होता है.