जयपुर. राजस्थान कांग्रेस में जारी सियासी उठापटक और विधायकों के इस्तीफे पर अब बीजेपी ने भी सख्त रूख अख्तियार (Rajasthan BJP leaders in action) किया है. विधायकों के इस्तीफे को 23 दिन बीत चुके हैं, बावजूद इसके स्पीकर ने अपना रूख स्पष्ट नहीं किया है. ऐसे में मंगलवार को प्रदेश बीजेपी की ओर से विधानसभा स्पीकर को ज्ञान सौंप उनकी स्थिति को स्पष्ट करने की मांग की गई. स्पीकर को सौंपे ज्ञापन में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि 90 से अधिक विधायकों के इस्तीफे के बाद अब सूबे की गहलोत सरकार अल्पमत में है. ऐसे में स्पीकर को प्रदेश में व्याप्त सियासी अस्थिरता को खत्म करते हुए त्वरित निर्णय की ओर बढ़ना चाहिए. वहीं, बीजेपी की मांग पर स्पीकर जोशी ने कहा कि वो जल्द ही नियमों का अध्ययन कर ऐसा निर्णय लेंगे, जिसे भविष्य में सियासी नजीर के तौर पर देखा जाएगा.
जानें क्या है बीजेपी की रणनीति: कांग्रेस में चल रही अंदरूनी उठापटक और इस्तीफे की राजनीति पर अब बीजेपी ने अपनी रणनीति बदल (Political Strategy of Rajasthan Bjp) ली है. अब तक बीजेपी इस मुद्दे से दूरी बनाए थी, लेकिन अब पार्टी ने इस पूरे मुद्दे को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है. हालांकि, बीजेपी के नेता कहते रहे हैं कि अगर वो इस मामले में कुछ भी बोलेंगे तो कांग्रेस की ओर से कहा जाएगा कि हम हम सरकार गिराने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन अब विधायकों के इस्तीफे को 23 दिन हो चुके हैं. ऐसे में स्पीकर को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.
इसी कड़ी में मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में करीब एक दर्जन से अधिक विधायक विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी से मुलाकात किए और उन्हें ज्ञापन सौंपा. जिसमें बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, जोगेश्वर गर्ग, रामलाल शर्मा, अशोक लाहोटी सहित करीब एक दर्जन से अधिक विधायक शामिल थे.
अल्पमत में है गहलोत सरकार- नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि विधानसभा स्पीकर से मिलकर कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे पर शीघ्र फैसला लेने की मांग की है. उन्होंने कहा कि जिन विधायकों और मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है उनकी क्या स्थिति है, क्या वो अभी भी मंत्री है या नहीं. स्पीकर सीपी जोशी को जल्द इस पर फैसला लेकर वस्तु स्थिति को जनता के सामने रखना चाहिए, जिससे कि जनता भी समझ सके कि 90 से ज्यादा जिन्होंने इस्तीफा दे दिया उनकी विधानसभा में क्या स्थिति है. कटारिया ने कहा कि 90 से ज्यादा कांग्रेस के विधायक इस्तीफा दे चुके हैं. गहलोत सरकार अल्पमत में है. अगर कोई विधायक स्वेच्छा से त्यागपत्र पत्र दे कर इस्तीफा स्वीकार करने की इच्छा जाहिर करता है तो नियमों के अनुसार इच्छा मात्र से ही उसका त्यागपत्र स्वीकार हो जाता है. अगर कोई विधायक किसी कारणों के चलते इस्तीफा देता है तो उसकी जांच हो सकती है, लेकिन यहां वो स्थिति नहीं है. अगर एक लाइन का प्रस्ताव होता है कि मैं अपनी इच्छा से सदन से इस्तीफा देता हूं तो उसे स्वीकार करना चाहिए.
इस्तीफे के बाद सुविधाएं क्यों- बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि 2018 में कांग्रेस की भी विग्रह की स्थिति राजभवन से शुरू हुई थी. आज उसकी परिणति पार्टी के विधायकों पर राजद्रोह के मुकदमे दर्ज हो रहे हैं. कांग्रेस के 90 से ज्यादा विधायकों ने अपनी इच्छा से इस्तीफा दिया है, जिसमें कई मंत्री भी शामिल हैं. जब उन्होंने अपनी स्वेच्छा से विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को इस्तीफा सौंप रखा है, लेकिन 23 दिन का समय बीत जाने के बाद भी सीपी जोशी ने कोई फैसला नहीं लिया है. पूनिया ने कहा कि विधायक और मंत्रियों ने जब इस्तीफे दे रखे हैं तो फिर वो किस हैसियत से सरकारी सुख-सुविधाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी के फैसले का इंतजार कर रहे हैं और उसके बाद ही फ्लोर टेस्ट की मांग करेंगे.
ऐसा निर्णय होगा जो नजीर बनेगा- उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे को 25 दिन से ज्यादा का समय बीत चुका है और अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है. कांग्रेस विधायकों और मंत्रियों ने अपने इस्तीफे सीपी जोशी को सौंप रखे हैं. नियमों और प्रक्रियाओं के तहत इसे स्वीकार करने चाहिए. राठौड़ ने कहा कि जिन विधायकों ने इस्तीफा दिया है वो सिर्फ और सिर्फ नौटंकी कर रहे हैं. ये सब एक प्लान का हिस्सा है आलाकमान पर दबाव बनाने का. विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया है कि वो नियम प्रक्रियाओं और कानून के तहत इस मामले को देख रहे हैं और जल्द ही ऐसा फैसला लेंगे जो संसदीय इतिहास में नजीर साबित होगा.