जयपुर. विधानसभा का आखिरी दिन बुधवार को काफी हंगामेदार रहा. विपक्ष ने ’मदन नहीं, तो सदन नहीं’ के मुद्दे के साथ जमकर सदन में हंगामा किया. सदन में हुए हंगामे के बीच प्रदेश की गहलोत सरकार ने आधे घंटे में पांच बिल पारित करवा लिए. इसमें राजस्थान राज्य कृषक ऋण राहत आयोग विधेयक 2023 और राजस्थान विद्युत शुल्क विधेयक 2023 शामिल हैं. इन बिलों को लेकर नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और उपनेता प्रतिपक्ष डॉ सतीश पूनिया ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई. उन्होंने कहा कि सरकार की नियत ठीक होती, तो ये बिल आज से दो या तीन साल पहले भी लाये जा सकते थे. चुनावी साल में जनता को गुमराह करने के लिए सरकार ये विधेयक लेकर आई है.
30 मिनट में पांच बिल पारित हुएः विधानसभा का आज आखिरी दिन था. 1.58 बजे पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया. माना जा सकता है कि 15वीं विधानसभा की कार्यवाही का आज आखिरी दिन था. बीजेपी विधायक मदन दिलावर की बर्खास्तगी और लाल डायरी के मुद्दे को लेकर विपक्ष ने सत्ता पक्ष को सदन में जमकर घेरा.
प्रश्नकाल से लेकर सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने तक हंगामा बरपा रहा, लेकिन इस हंगामे के बावजूद भी सत्ता पक्ष पांच बिल पारित करवाने में कामयाब रहा. सरकार की ओर से सदन के आखिरी दिन मात्र आधे घंटे में बिना किसी ज्यादा चर्चा के पांच बिल पास हुए, जिसमें राजस्थान राज्य कृषक ऋण राहत आयोग विधेयक 2023, महात्मा गांधी दिव्यांग विश्वविद्यालय जोधपुर विधेयक, राजस्थान विद्युत शुल्क विधेयक 2023, नाथद्वारा मंदिर संशोधन विधेयक और राजस्थान अभिधृति संशोधन विधेयक शामिल है.
कृषक ऋण राहत आयोग और विद्युत शुल्क विधेयक पर सवालः विधानसभा के मौजूदा सत्र की कार्यवाही के आखिरी दिन पास हुए पांच बिलों में से दो बिलों पर विपक्ष ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई. नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि सदन की कार्यवाही शांति से चले. इसको लेकर हमने प्रयास किया, जबकि ये प्रयास सत्तारूढ़ दल को करना चाहिए था. विपक्ष की आपत्ति के बावजूद सत्ता पक्ष बिना चर्चा के पांच बिल पारित कराए. इनमें से राजस्थान विद्युत शुल्क और राजस्थान राज्य कृषक ऋण राहत आयोग विधेयक पर हमारी आपत्ति थी.
राजस्थान विद्युत शुल्क विधेयक का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद सरकार को कानूनी तौर पर 1 रुपए प्रति यूनिट इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी और 50 पैसे प्रति यूनिट सेस के नाम पर वसूलने का अधिकार मिल जायेगा. राजस्थान के 1 करोड़ 40 लाख उपभोक्ताओं के साथ कुठाराधात है. इसी तरह से राजस्थान राज्य कृषक ऋण राहत आयोग विधेयक पारित करवाया गया. इस आयोग के गठन से किसान ऋण माफी के नाम पर सिर्फ राय दे सकते हैं. जब किसानों को सीधा लाभ ये विधेयक नहीं सकेंगे, तो इनको ला कर चुनावी साल में जनता को गुमराह क्यों किया जा रहा है?
नियत में खोटः उपनेता प्रतिपक्ष डॉ सतीश पूनिया ने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले कर्ज माफी की बात की थी. उस कर्ज माफी की आस में प्रदेश के किसान प्रभावित हुए. जिसके चलते 19422 किसानों की जमीन कुर्क हो गई. पूनिया ने कहा कि सरकार को अगर किसानों का भला करना होता, तो यही बिल दो-तीन साल पहले ला सकती थी. अब सरकार के जाने का वक्त आया, तो विधेयक लाया गया, इससे कितना भला होगा, क्या आउटपुट आएगा, ये सबको समझ आ रहा है. सरकार की नीयत साफ नहीं है. इसमें भ्रष्टाचार की बू आती है और मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश दिखाई दे रही है.
क्या है राज्य कृषक ऋण राहत आयोग विधेयकः किसान ऋण राहत आयोग के गठन के बाद बैंक या कोई भी वित्तीय संस्थान किसी भी कारण से फसल बर्बाद होने की स्थिति में ऋण वसूली के लिए दबाव नहीं बना सकेंगे. किसान फसल खराब होने की स्थिति में कर्ज माफी की मांग को लेकर इस आयोग में आवेदन कर सकेंगे. आयोग किसानों का कर्ज माफ करने या फिर उनकी मदद करने करने का फैसला ले सकती है. राज्य कृषक ऋण राहत आयोग में अध्यक्ष सहित 5 सदस्य होंगे. हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश इसके अध्यक्ष होंगे.