जयपुर. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा. कांग्रेस ने 6 फरवरी को पूरे राजस्थान में अडानी समूह में एलआईसी के निवेश के विरोध में धरना प्रदर्शन किया. अब अडानी ग्रुप को गहलोत सरकार की ओर से दिए गए लाभ पर बीजेपी ने कांग्रेस पर निशाना साधा. उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने गहलोत सरकार में अडानी ग्रुप को दिए गए टेंडर और जमीन पर सवाल उठाए. राठौड़ ने कहा, जिस ग्रुप के खिलाफ कल तक कांग्रेस धरना प्रदर्शन कर रही थी, उसी ग्रुप को गहलोत सरकार ने 4 सालों में जमकर रेवड़ियां बांटी.
अडानी ग्रुप को जमीन: राजेंद्र राठौड़ ने विधानसभा में कहा, अडानी ग्रुप को 2019-20 में 9000 बीघा जमीन फतेहपुर में दी गई. साल 2020-21 में 25000 बीघा जमीन जैसलमेर में आवंटित की गई. साल 2022 में 400 बीघा जमीन जैसलमेर में दिया गया. साल 2022 में 38000 बीघा जमीन मनोहरपुर में दी गई. साल 2022 में 13000 बीघा फतेहपुर में दी और अब 75000 बीघा जमीन देने के लिए कैबिनेट में प्रस्ताव आया है. राठौड़ ने कहा, इस सरकार ने अडानी ग्रुप को खूब लाभ दिया है. इतना ही नहीं जिस ग्रुप को लेकर कांग्रेस कल तक विरोध प्रदर्शन कर रही थी उस ग्रुप को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों में भी बदलाव किया गया. कोयला के लिए सिंगल टेंडर जारी किए गए.
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राठौड़ का गहलोत सरकार पर आरोप: बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि इस सरकार के हाथी की तरह दो दांत हैं. खाने के दांत अलग हैं और दिखाने अलग. उन्होंने कहा कि अडानी ग्रुप को जिस तरह से नियमों के विरुद्ध 1042 करोड़ का टेंडर दिया गया. यह सब दिखाता है कि ये बोलते कुछ और हैं करते कुछ और हैं. राठौड़ ने कहा कि इस सरकार की मजबूरी हो सकती है, क्योंकि पैसा एआईसीसी (आल इंडिया कांग्रेस कमेटी) में जाना होता है.
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सीएम गहलोत पर राठौड़ का तंज: विधानसभा में बोलते हुए उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर तंज कसा. उन्होंने कहा कि इस बजट में कुछ हुआ नहीं हुआ, लेकिन एक इतिहास बन गया. सीएम गहलोत ने 3 घंटे 16 मिनट में 270 पैरा और 170 पेज को 18 बार पानी पी पीकर पढ़ा. ये बजट अपवित्र हो गया. ये सिर्फ ताबड़तोड़ घोषणाओं का बजट है. इसमें की गई घोषणा पूरी नहीं होगी.
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पूर्व चिकित्सा मंत्री का राजेंद्र राठौड़ को जवाब: पूर्व चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने कहा, राजेंद्र राठौड़ सदन में अडानी ग्रुप के खिलाफ बोल रहे हैं, जो वैकेंसी नेता प्रतिपक्ष की राज्यपाल बनने से खाली हुई है. उस पर वह कैसे आएंगे. इस तरह से अडानी और मोहन भागवत के खिलाफ बोलने वाले को दिल्ली का केंद्रीय नेतृत्व नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाएगा. इनका नेता प्रतिपक्ष बनने का सपना सिर्फ सपना रह जायेगा.