जयपुर. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को जयपुर में परिवर्तन संकल्प जनसभा को संबोधित किया. इस विशाल जनसभा में प्रदेश तमाम बड़े नेताओं की मौजूदगी रही. सियासी तस्वीर के मायनों के लिहाज से कुछ संदेश इस सभा में देखने को मिले. मोदी के भाषण में कमल के निशान की अहमियत पर जोर रहा. खास तौर पर राजस्थान से मोदी सरकार में मंत्री के रूप में प्रतिनिधित्व कर रहे नेता, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और अन्य की मौजूदगी को लेकर इस दौरान मायने तलाशने की कोशिश की गई. कार्यक्रम के दौरान महिलाओं को आगे रखा गया और मंच संचालन का जिम्मा राजसमंद सांसद दीया कुमारी को दिया गया, जिसकी चर्चा भी इस दौरान काफी रही.
भाजपा में बदलते चेहरे विधानसभा चुनाव के दरमियान भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रमुख चेहरा किसका होगा, इस बात को लेकर कई तरह के कयास लगाए जाते हैं. इस बीच पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की भूमिका को लेकर भी चर्चा की जाती है. साथ ही इस बात पर भी सियासी चर्चाएं चलती हैं कि वसुंधरा राजे के बाद राजस्थान में भाजपा की मजबूती का काम किसके कंधों पर होगा. ऐसे में कतार में दूसरी श्रेणी में खड़े गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन मेघवाल, राजेंद्र राठौड़, सतीश पूनिया, सीपी जोशी के साथ-साथ अब दीया कुमारी का नाम भी शामिल हो गया है. चुनावी साल में भाजपा से जुड़ी गतिविधियों में दीया कुमारी की भूमिका पार्टी में उनके बढ़ते कद की ओर इशारा कर रही है.
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एक चेहरे की मजबूती नहीं, सबको तवज्जो: राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की रणनीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को आगे रखकर विजय पताका फहराने की लग रही है. यही वजह है कि परिवर्तन यात्रा को प्रदेश के चार अलग-अलग हिस्सों से निकाला गया, जहां प्रदेश स्तर के नेताओं को महत्वपूर्ण भूमिका दी गई. कांग्रेस के लिए चुनौती पूर्ण माने जा रहे वागड़ और मेवाड़ के हिस्से में दिया कुमारी ने मोर्चा संभाला. मारवाड़ में गजेंद्र सिंह शेखावत को जिम्मेदारी दी गई, राजेंद्र राठौड़ और सतीश पूनिया ने नहरी क्षेत्र के अलावा पश्चिमी राजस्थान के दूसरे हिस्सों की जिम्मेदारी संभाली, तो अरुण चतुर्वेदी ढूंढाड़ और ब्रज क्षेत्र में सक्रिय नजर आए. वहीं समापन के मौके पर सभी नेताओं को मंच पर रखा गया, पर प्रमुख रूप से भाषण में किसी एक चेहरे की तवज्जो देखने को नहीं मिली.
वसुंधरा राजे नहीं बोली: जयपुर में आयोजित परिवर्तन संकल्प यात्रा के समापन पर जनसभा में मंच पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की मौजूदगी के साथ-साथ उनकी ओर से भाषण नहीं दिए जाने की चर्चाएं भी रही. महिला शक्ति को समर्पित मंच पर सांसद दीया कुमारी ने पूरी जिम्मेदारी को संभाला और राष्ट्रीय महामंत्री अलका गुर्जर उनके सहयोगी की भूमिका में नजर आई. वसुंधरा राजे का भाषण इस दौरान नहीं होना भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बना रहा.
दीया कुमारी की बढ़ी सक्रियता: राजस्थान में निकाली गई परिवर्तन संकल्प यात्रा ने कुल 8982 किलोमीटर का सफर तय किया. 2 सितम्बर को सवाई माधोपुर से चली यात्रा ने 1847 किलोमीटर, बेणेश्वर से कोटा की यात्रा ने 2433 किलोमीटर, रामदेवरा से जोधपुर की यात्रा ने 2574 किलोमीटर और गोगामेडी से अलवर की यात्रा ने 2173 किलोमीटर का सफर तय किया. इस दौरान बेणेश्वर धाम से शुरू हुई यात्रा के शुरुआती दौर में जनता के कम रुझान के बाद चित्तौड़ में दीया कुमारी के नेतृत्व में लोगों का चुनाव देखने को मिला राजसमंद में भी इस दौरान संकल्प यात्रा का भव्य स्वागत हुआ. उसके बाद प्रधानमंत्री की मौजूदगी में मंच संचालन की जिम्मेदारी और बीते दिनों राजधानी में एक प्रदर्शन के दौरान नेतृत्व करने का मौका एक अवसर के रूप में देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि जिस तरह से मोदी सरकार ने आधी आबादी के प्रतिनिधित्व को लेकर चिंताएं जाहिर की है. उसे बीच में युवा विकल्प के रूप में दीया कुमारी भी प्रमुख चेहरा हो सकती है.