जयपुर. जयपुर मेट्रो-प्रथम की एडीजे कोर्ट-8 ने छह साल पहले 2017 में गांधी सर्किल पर एकत्रित होकर ट्रैफिक रोकने से जुड़े मामले में राजस्थान यूथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुमित भगासरा को एसीएमएम कोर्ट-2 की ओर से 27 मई, 2019 के आदेश में दी गई 500 रुपए की सजा के आदेश को रद्द कर उन्हें दोषमुक्त कर दिया. एडीजे कोर्ट ने यह आदेश सुमित की अपील मंजूर करते हुए दिया. सुमित के अधिवक्ता ने बताया कि कोर्ट ने फैसले में कहा है कि निचली कोर्ट ने साक्ष्यों का सही तरीके से आंकलन नहीं किया है.
मामले में अभियोजन के साक्ष्य विरोधाभासी रहे हैं, फिर भी निचली कोर्ट ने अपीलार्थी को दंडित किया है जो कानूनी त्रुटि है. मामले में अधिकतर गवाह पुलिसकर्मी ही हैं और उन्होंने बयानों में कहा है कि वे आरोपियों को नहीं जानते और जो नाम बताए हैं वे एसएचओ की ओर से बताए गए हैं. इन गवाहों ने माना है कि एसएचओ ने जब लड़कों को यूनिवर्सिटी के अंदर जाने के लिए कहा तो वे सभी लड़के अंदर चले गए थे. ऐसे में इन लड़कों ने एसएचओ के आदेश की भी अवज्ञा नहीं की थी.
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मामले के अनुसार, 4 अप्रैल, 2017 को एसआई सुभाष ने गांधीनगर पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि जब वो गश्त पर अन्य पुलिसकर्मियों के साथ जीप में गांधी सर्किल पहुंचे तो वहां पर एसएचओ बजाज नगर व मोतीडूंगरी जाप्ते के साथ मौजूद थे. वहां पर कई वाहनों में एनएसयूआई के पोस्टर लगे हुए थे और एनएसयूआई के छात्र नेता सुमित भगासरा और अभिषेक चौधरी के नेतृत्व में काफी लड़के वाहनों में सवार होकर जुलूस के तौर पर आ रहे थे. उन्होंने अपने वाहन रोड पर खड़े कर दिए और रास्ते को अवरुद्ध कर दिया. उनके पास वाहन रैली निकालने की अनुमति नहीं थी, लेकिन फिर भी उन्होंने वाहनों को उसी तरह चलाया और लोक सेवकों के आदेशों की अनदेखी की. इसलिए मामले में कानूनी कार्रवाई की जाए.