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Ashok Gehlot vs Sachin Pilot: पायलट बोले- मैं अध्यक्ष बना तो 21 सीटों को 100 तक ले आया तो गहलोत ने पेश किया 'फॉर्मूला 156'

सचिन पायलट और सीएम गहलोत के बीच छिड़ी राजनीतिक जंग (Pilot and Gehlot accusing each other) खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. दोनों नेता एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.

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Published : Jan 27, 2023, 7:42 PM IST

Updated : Jan 27, 2023, 11:08 PM IST

गहलोत और पायलट की जुबानी जंग

जयपुर. राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच कुर्सी की लड़ाई सरकार के अपने अंतिम वर्ष में प्रवेश करने के बावजूद बंद नहीं हुई है. सीएम गहलोत 10 जनवरी को अपना बजट पेश करने जा रहे हैं तो वहीं पायलट अपने पांच दिवसीय किसान सम्मेलन में गहलोत को निशाना बनाते नजर आ रहे हैं. पायलट लगातार सीएम पर हमले करते हुए कह रहे हैं कि सरकार रिपीट कैसे होगी जिस पर गहलोत ने अपना 'फॉर्मूला 156' पेश कर दिया है. गहलोत ने न केवल सरकार रिपीट करने के लिए अपने काम को आगे रखने की बात कही, बल्कि साफ कह दिया की राजस्थान की जनता गहलोत को ही मुख्यमंत्री देखना चाहती है. इसी के चलते 2009 और 2018 में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी.

156 सीटों की जीत पर पायलट और गहलोत का बयान
सचिन पायलट लगातार एक बात अपनी मीटिंग में कहते दिख रहे हैं कि राजस्थान में जब उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तो कांग्रेस की केवल 21 सीटें थीं जिन्हें 5 साल संघर्ष कर उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर बहुमत वाली 100 सीटों तक पहुंचाया. अब गहलोत ने इस बात का जवाब देते हुए साफ कर दिया कि बहुमत कोई पायलट की मेहनत से नही आया था बल्कि वह तो 1998 में ही अध्यक्ष रहते हुए पार्टी को 156 सीटों पर जीत दिला चुके हैं.

पढ़ें. Gehlot On Mission 2023: गणतंत्र दिवस समारोह के बाद CM का बड़ा दावा, कहा- इस बार जीतेंगे 156 सीट

सरकार बनने के पायलट और गहलोत के अलग-अलग कारण
सचिन पायलट लगातार राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के आरोप लगाते आ रहे हैं. पायलट अक्सर यह कहते नजर आते हैं कि राजस्थान की सरकार युवाओं, किसानों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खून पसीने की मेहनत से बनी है. जबकि गहलोत ने इस बात का भी जवाब देते हुए साफ कर दिया है कि कार्यकर्ताओं की मेहनत हमेशा अपनी जगह होती है, लेकिन राजस्थान में जनता कांग्रेस सरकार जाने के 6 महीने बाद ही हमारी सरकार के अच्छे कामों को याद करने लग जाती है. लोग मुख्यमंत्री गहलोत को भला आदमी कहते हैं और फिर मुख्यमंत्री के तौर पर उन्हें देखने लगते हैं. यही कारण है कि 2009 और 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी. गहलोत ने कहा कि राजस्थान में जनता की आवाज खुदा की आवाज होती है और उसी के चलते मैं मुख्यमंत्री बनता हूं.

पढ़ें. पायलट का पलटवार: कोई अधिकारी व नेता शामिल नहीं फिर भी पेपर बाहर पहुंच गए, क्या कोई जादूगरी हो गई ?

पायलट और गहलोत ने बताया पिछला चुनाव हारने का ये कारण
राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी की लड़ाई बीते 4 साल से चल रही है और पायलट लगातार यह बात कहते नजर आते हैं कि पहले 1998 में अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने तो 2003 में कांग्रेस चुनाव हार गई. फिर 2009 में अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने तो 2013 में कांग्रेस केवल 21 सीट पर सिमट गई. अब गहलोत ने इस बात पर भी पायलट पर पलटवार करते हुए कहा है कि 2003 में कर्मचारियों की नाराजगी और 2013 में मोदी लहर के चलते कांग्रेस पार्टी सरकार नहीं बना पाई थी, लेकिन साल 2009 और 2018 में पार्टी चुनाव इसलिए जीती क्योंकि जनता को मुझे ही मुख्यमंत्री देखना था.

पढ़ें. Rajasthan Politics: पायलट के बाद श्रीगंगानगर दौरे पर सीएम गहलोत, सियासी गलियारों में हलचल तेज

सीएम गहलोत ने कहा कि इस बार जनता मेरी योजनाओं से काफी खुश है और इसके चलते ही इस बार हमारी सरकार बनेगी. गहलोत ने राजस्थान में 'फॉर्मूला 156' पेश करते हुए यह कहा कि वह दिन रात इस फार्मूले पर काम कर रहे हैं. इस बार न जनता, न कर्मचारी उनसे नाराज हैं और न कोई मोदी लहर है. ऐसे में इस बार दोबारा राजस्थान में सरकार कांग्रेस की ही बनेगी.

पढ़ें. नाम लिए बिना गहलोत को पायलट का जवाब, कहा- इज्जत दोगे तो इज्जत मिलेगी

पेपर लीक पर पायलट और गहलोत की तकरार
सचिन पायलट राजस्थान में लगातार अपनी ही सरकार को घेरते नजर आ रहे हैं. उन्होंने पेपर लीक मामले में मंत्रियों और बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं करने के आरोप लगाने के साथ ही पूर्व भाजपा सरकार के समय कांग्रेस की ओर से लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों पर भी कोई कार्रवाई नहीं करने और कार्यकर्ताओं की जगह नौकरशाही को राजनीतिक नियुक्तियां अधिक देने की बात कही. इस पर सीएम गहलोत ने कर्मचारियों से बातचीत में यह कह दिया कि हमारी पार्टी में भी एक कोरोना आ गया था.

पायलट ने फिर कहा था कि 32 दांतों के बीच में जो जुबान होती है उसे संभाल कर बोलना चाहिए. कोई अपमान करेगा तो उसे जवाब भी अपमान के रूप में ही मिलेगा. इसपर फिर गहलोत ने अपने चेहरे पर 2023 के विधानसभा चुनाव की मांग के संकेत देते हुए यह कह दिया कि उन्हें उम्मीद है कि अब जनता की जो भावना है वह बाकी लोग भी समझेंगे और चुनाव आने तक सब एकजुट हो जाएंगे और मिलकर चुनाव लड़ेंगे ताकि राजस्थान में सरकार रिपीट हो.

गहलोत और पायलट की जुबानी जंग

जयपुर. राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच कुर्सी की लड़ाई सरकार के अपने अंतिम वर्ष में प्रवेश करने के बावजूद बंद नहीं हुई है. सीएम गहलोत 10 जनवरी को अपना बजट पेश करने जा रहे हैं तो वहीं पायलट अपने पांच दिवसीय किसान सम्मेलन में गहलोत को निशाना बनाते नजर आ रहे हैं. पायलट लगातार सीएम पर हमले करते हुए कह रहे हैं कि सरकार रिपीट कैसे होगी जिस पर गहलोत ने अपना 'फॉर्मूला 156' पेश कर दिया है. गहलोत ने न केवल सरकार रिपीट करने के लिए अपने काम को आगे रखने की बात कही, बल्कि साफ कह दिया की राजस्थान की जनता गहलोत को ही मुख्यमंत्री देखना चाहती है. इसी के चलते 2009 और 2018 में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी.

156 सीटों की जीत पर पायलट और गहलोत का बयान
सचिन पायलट लगातार एक बात अपनी मीटिंग में कहते दिख रहे हैं कि राजस्थान में जब उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तो कांग्रेस की केवल 21 सीटें थीं जिन्हें 5 साल संघर्ष कर उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर बहुमत वाली 100 सीटों तक पहुंचाया. अब गहलोत ने इस बात का जवाब देते हुए साफ कर दिया कि बहुमत कोई पायलट की मेहनत से नही आया था बल्कि वह तो 1998 में ही अध्यक्ष रहते हुए पार्टी को 156 सीटों पर जीत दिला चुके हैं.

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सरकार बनने के पायलट और गहलोत के अलग-अलग कारण
सचिन पायलट लगातार राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के आरोप लगाते आ रहे हैं. पायलट अक्सर यह कहते नजर आते हैं कि राजस्थान की सरकार युवाओं, किसानों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खून पसीने की मेहनत से बनी है. जबकि गहलोत ने इस बात का भी जवाब देते हुए साफ कर दिया है कि कार्यकर्ताओं की मेहनत हमेशा अपनी जगह होती है, लेकिन राजस्थान में जनता कांग्रेस सरकार जाने के 6 महीने बाद ही हमारी सरकार के अच्छे कामों को याद करने लग जाती है. लोग मुख्यमंत्री गहलोत को भला आदमी कहते हैं और फिर मुख्यमंत्री के तौर पर उन्हें देखने लगते हैं. यही कारण है कि 2009 और 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी. गहलोत ने कहा कि राजस्थान में जनता की आवाज खुदा की आवाज होती है और उसी के चलते मैं मुख्यमंत्री बनता हूं.

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पायलट और गहलोत ने बताया पिछला चुनाव हारने का ये कारण
राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी की लड़ाई बीते 4 साल से चल रही है और पायलट लगातार यह बात कहते नजर आते हैं कि पहले 1998 में अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने तो 2003 में कांग्रेस चुनाव हार गई. फिर 2009 में अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने तो 2013 में कांग्रेस केवल 21 सीट पर सिमट गई. अब गहलोत ने इस बात पर भी पायलट पर पलटवार करते हुए कहा है कि 2003 में कर्मचारियों की नाराजगी और 2013 में मोदी लहर के चलते कांग्रेस पार्टी सरकार नहीं बना पाई थी, लेकिन साल 2009 और 2018 में पार्टी चुनाव इसलिए जीती क्योंकि जनता को मुझे ही मुख्यमंत्री देखना था.

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सीएम गहलोत ने कहा कि इस बार जनता मेरी योजनाओं से काफी खुश है और इसके चलते ही इस बार हमारी सरकार बनेगी. गहलोत ने राजस्थान में 'फॉर्मूला 156' पेश करते हुए यह कहा कि वह दिन रात इस फार्मूले पर काम कर रहे हैं. इस बार न जनता, न कर्मचारी उनसे नाराज हैं और न कोई मोदी लहर है. ऐसे में इस बार दोबारा राजस्थान में सरकार कांग्रेस की ही बनेगी.

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पेपर लीक पर पायलट और गहलोत की तकरार
सचिन पायलट राजस्थान में लगातार अपनी ही सरकार को घेरते नजर आ रहे हैं. उन्होंने पेपर लीक मामले में मंत्रियों और बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं करने के आरोप लगाने के साथ ही पूर्व भाजपा सरकार के समय कांग्रेस की ओर से लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों पर भी कोई कार्रवाई नहीं करने और कार्यकर्ताओं की जगह नौकरशाही को राजनीतिक नियुक्तियां अधिक देने की बात कही. इस पर सीएम गहलोत ने कर्मचारियों से बातचीत में यह कह दिया कि हमारी पार्टी में भी एक कोरोना आ गया था.

पायलट ने फिर कहा था कि 32 दांतों के बीच में जो जुबान होती है उसे संभाल कर बोलना चाहिए. कोई अपमान करेगा तो उसे जवाब भी अपमान के रूप में ही मिलेगा. इसपर फिर गहलोत ने अपने चेहरे पर 2023 के विधानसभा चुनाव की मांग के संकेत देते हुए यह कह दिया कि उन्हें उम्मीद है कि अब जनता की जो भावना है वह बाकी लोग भी समझेंगे और चुनाव आने तक सब एकजुट हो जाएंगे और मिलकर चुनाव लड़ेंगे ताकि राजस्थान में सरकार रिपीट हो.

Last Updated : Jan 27, 2023, 11:08 PM IST
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